- सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद नीतीश-मोदी को अपने पद बने रहने का हक नहीं : वाम दल
पटना 8 अगस्त, वाम दलों ने कहा है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. उसने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि सभी गलत काम सरकार द्वारा प्रायोजित हैं और सरकार को अपनी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी. इस सख्त टिप्पणी के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील मोदी को अपने पद पर बने रहने का कोई भी अधिकार नहीं है. वाम दल इन दोनों नेताओं के अविलंब इस्तीफे की मांग करते हैं. भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीआई(एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, एसयूसीआई (सी) के राज्य सचिव अरूण कुमार, अखिल हिंद फारवर्ड ब्लाॅक के राज्य महासचिव अशोक कुमार और आरएसपी के वीरेन्द्र ठाकुर ने आज संयुक्त बयान जारी करके नीतीश कुमार और सुशील मोदी के इस्तीफे की मांग की है. वाम नेताओं ने कहा कि मुजफ्फरपुर सहित अन्य शेल्टर गृह मामले में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा व उनके पति चंद्रशेखर वर्मा की भूमिका के कई सबूत सामने आ चुके हैं. भाजपा कोटे से मंत्री सुरेश शर्मा भी सवालों के घेरे में हैं लेकिन सरकार इन मंत्रियों को हटाने की बजाए निर्लज्ज तरीके से इन नेताओं का बचाव कर रही है. जाहिर है सरकार निष्पक्ष जांच की बजाए इसे प्रभावित और छोटी मछलियों को निशाना बनाकर बड़े लोगों को बचाने का काम कर रही है. यह इसलिए भी कि इस जघन्य व सत्ता संरक्षित अपराध के तार सत्ता के शीर्ष नेताओं तक पहुंच रहे हैं.
मुजफ्फरपुर कांड न केवल बालिका, अल्पावास, स्वाधार आदि गृहों में रह रही लड़कियांे-महिलाओं की अत्यंत दयनीय स्थिति को उद्घाटित कर रहा है बल्कि नीतीश राज में सत्ता के संरक्षण में एनजीओ द्वारा संगठित आर्थिक भ्रष्टाचार का भी चरम उदाहरण है. सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछा है कि बिना सत्यापन के एनजीओ को फंड कैसे दिया जा रहा है? मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में जहां बिहार की नीतीश-मोदी सरकार कटघरे में है, वहीं मुजफ्फरपुर स्वाधार गृह मामले में केंद्र सरकार कटघरे में है. स्वाधार की योजना केंद्र सरकार की योजना है. इसका भी टंेडर ब्रजेश ठाकुर के पास ही था. इसका अनुदान राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार प्रदान करता है लेकिन ब्रजेश ठाकुर को बिना राज्य सरकार की अनुशंसा के केन्द्र सरकार ने 2016 में अनुदान जारी किया. जाहिर है कि भाजपा नेताओं का खुलेआम संरक्षण ब्रजेश ठाकुर को हासिल रहा है, इसलिए नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं. महज 300 प्रतियां के अखबार प्रातःकमल को भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के बड़े-बड़े विज्ञापन मिलते रहे. वाम नेताओं ने कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से पूछा है कि प्रातःकमल जैसे छोटे अखबार को बड़े विज्ञापन प्रदान करने के क्या कारण हैं? केंद्र सरकार बताए कि बिना सत्यापन के ये विज्ञापन ब्रजेश ठाकुर को कैसे मिलते रहे? इस स्वाधार गृह से 11 महिलाएं अब भी गायब हैं. केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को जवाब देना चाहिए कि आखिर यह सब कैसे संभव हुआ?
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 500 लड़कियों के नाम रजिस्टर्ड थे लेकिन टिस की टीम ने वहां मात्र 49 लड़कियों को पाया. 28 मई को लड़कियों की शिफ्टिंग के समय केवल 44 लड़कियों को दिखलाया गया. राज्य सरकार अन्य बची 450 लड़कियों का हिसाब दे, उनका क्या हुआ? लड़कियों को बेचे जाने व किडनी निकाल लेने तक की चर्चा चल रही है. अतः इसे सीबीआई जांच में जोड़ा जाना चाहिए. यदि सरकार ने इन लड़कियों को पुनवार्सित किया है, कोई रोजगार मुहैयया कराया है तो उसकी लिस्ट जारी करे. वाम दलों ने कहा है कि शेल्टर गृहों का प्रत्येक वर्ष सामाजिक आॅडिट किया जाना चाहिए. मुजफ्फरपुर की घटना के बाद भी बिहार की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है. इस मामले में बिहार सरकार अव्वल दर्जे की संवेदनहीन साबित हो रही है.
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