बेगुसराय (अरुण शांडिल्य) आज के दौर में अपराधकर्मियों का ही बोलबाला है।सम्पूर्ण बिहार के पुलिसकर्मियों के लिये बड़े ही शर्म की बात है,की चन्द अपराधी के वजह से आम जनसामुदाय तो दहशत में जी ही रहे हैं स्वयं पुलिसकर्मी भी दहशत में अपनी ड्यूटी के नाम पर खानापूर्ति मात्र कर रहे हैं।बीते बुद्धवार की संध्या को बेगूसराय से अपने ड्यूटी के बाद अथमलगोला के रूपस नीरपुर ग्राम को जा रहे पुलिसकर्मी सूरज कुमार को अपराधियों ने गोली मारी और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।अब सवाल यह उठता है कि जब पुलिसकर्मी स्वयं ख़ौफ़ में जी रहा हो वो पुलिसकर्मी आमजनों की सुरक्षा क्या और कैसे करेगी।यहाँ भी एक यह बात भी सोचनीय है कि पुलिसकर्मी कहाँ-कहाँ पर ड्यूटी के लिये या सुरक्षा व्यवश्था देने के लिये तैनात रहेगी,सच है कि अपराधियों के पीछे-पीछे तो पुलिस चलेगी नहीं।अपराधी अंजाम देते आ रहे हैं,और दे भी रहे हैं आगे भी देते ही रहेंगे अगर सरकार और प्रशासनिक व्यवस्था इस अपराधियों को खत्म करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाता तबतक घटनायें तो घटती ही रहेगी।मेरे कहने का आशय यह है कि पुलिसकर्मी सूरज कुमार के ऊपर जानलेवा हमला हुआ उसे गोली मारी गई और वह मृत्यु के आगोश में हमेशा के लिये सो भी गया,और ये घटना है बीते बुद्धवार की आज शुक्रवार यानी घटना के बाद नयूज़ लिखने तक तकरीबन 50 घंटे बीत चुके हैं और पुलिसकर्मी बेगूसराय और मोकामा कर क्या रहे हैं जो अभी तक अपराधियों को छानकर ऊपर नहीं कर सके हैं।ऐसे अपराधियों का पता लगाकर,अपराधी जहाँ कहीं भी मिले उसे गोली मार देनी चाहिये।और अपराधी अभी तक पुलिस के गिरफ्त से बाहर है ये ये बात पुलिस विभाग के निकम्मेपन को साफ दर्शाता है कि बिहार पुलिस और बिहार सरकार के वश की बात नहीं कि बिहार को अपराध मुक्त बना सके।सूरज कुमार बेगूसराय के उपाधीक्षक कार्यालय में कार्यरत था।बताया जाता है कि गोली सूरज के छाती के निचले हिस्से में लगी थी,स्थानीय चिकित्सकों ने पटना रेफर कर दिया था परन्तु सूरज को एयर एम्बुलेंस से दिल्ली ले जाया गया था,चिकित्सकों के अथक प्रयास के बाद भी बचाया नहीं जा सका और सूरज कुमार चन्द अपराधियों की वजह से दुनियाँ से सदा के लिये विदा हो लिया।अब बिहार सरकार के साथ साथ बिहार पुलिस की बारी हैअपने जौहर दिखाने की,कि किस तरह सूरज के हत्यारों को सजा देकर उसे इन्साफ दिलाने में कामयाब होते हैं या नहीं।सूरज के घर की तो रोशनी ही मानो बूझ गई।पूरे घर में मातम छाया हुआ है।
शुक्रवार, 10 अगस्त 2018
विशेष : चन्द अपराधियों के समक्ष लाचार बिहार पुलिस।
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