बिहार : सुप्रीम कोर्ट का आदेश नाकाफी, सभी की बिना शर्त रिहाई की मांग उठी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 अगस्त 2018

बिहार : सुप्रीम कोर्ट का आदेश नाकाफी, सभी की बिना शर्त रिहाई की मांग उठी.

  • मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों व बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी-छापेमारी के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद, मोदी आपातकाल के खिलाफ व्यापक आंदोलन का आह्वान

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पटना 29 अगस्त 2018, आम लोगों के लिए लड़ने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, लेखकों व वकीलों की गिरफ्तारी-छापेमारी के खिलाफ आज पटना के कारगिल चैक पर नागरिक समुदाय ने प्रतिवाद सभा आयोजित की. प्रतिवाद सभा में पटना शहर के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी, शिक्षक, राजनीतिकर्मी, संस्कृर्तिकर्मी, छात्र-नौजवान आदि शामिल हुए. प्रतिवाद सभा ने एक स्वर में कल देश के 10 प्रतिष्ठित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी व उनके घरों पर छापेमारी की कड़ी आलोचना की और कहा कि ऐसा लग रहा है देश नए दौर के आपातकाल से गुजर रहा है. लेकिन इस मोदी आपातकाल का भी वही हश्र होगा जो 1975 के आपातकाल का हुआ था. देश की जनता इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. प्रतिवाद सभा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी 10 लोगों को 6 सितंबर तक नजरबंद रखने के आदेश को नाकाफी बताया गया और कहा गया कि इस मामले में बिना शर्त सभी की अविलंब रिहाई होनी चाहिए. प्रतिवाद सभा को मुख्य रूप से समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय, पटना नगर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डाॅ. सत्यजीत, प्रसिद्ध नाट्यकर्मी जावेद अख्तर व तनवीर अख्तर, पटना विश्वविद्यालय की पूर्व शिक्षिका प्रो. भारती एस कुमार, पीयूसीएल की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पटना विवि की इतिहास की शिक्षिका प्रो. डेजी नारायण, पटना विवि के शिक्षक प्रो. शंकर आशीष दत्त, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के अशोक प्रियदर्शी, सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश, चिकित्सक डाॅ. शकील, नाट्यकर्मी रंजीत वर्मा, सर्वहारा जनमुक्ति के अजय कुमार, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, एसयूसीआईसी के जितेन्द्र कुमार, ऐपवा की सरोज चैबे, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर आदि ने संबोधित किया. प्रतिवाद सभा की अध्यक्षता प्रो. डीएम दिवाकर ने की जबकि संचालन भाकपा-माले के अभ्युदय ने की.

इस मौके पर पूर्व शिक्षक प्रो. संतोष कुमार, पटना विवि के जाने माने शिक्षक प्रो. रमाशंकर आर्य, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, लेखक अवधेश प्रीत, तारकेश्वर ओझा, नरेन्द्र कुमार, इंसाफ मंच के राजाराम, इनौस के नवीन कुमार, आइसा के मोख्तार, कोरस की समता राय, पटना जसम के राजेश कमल, अनिता सिन्हा, अनीश अंकुर, अक्षय कुमार, एआईपीएफ के संतोष सहर, मोना झा, पटना वीमेन्स काॅलेज की शिक्षिका रीचा आदि बड़ी संख्या में पटना शहर के नागरिक उपस्थित थे. प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए रामजी राय ने कहा कि तानाशाहों का काम भय पैदा करने का होता है. यह भय पैदा करके नरेन्द्र मोदी 2019 का चुनाव जीतना चाहते हैं. लेकिन देश की जनता इन्हें सत्ता से बाहर करने की तैयारी कर रही है. आने वाले दिनों में इस आपातकाल के खिलाफ और बड़ी गोलबंदी होगी कि शासकों की बनाईं जेलें कम पड़ जाएंगी. आज देश मोदी आपातकाल के दौर से गुजर रहा है, और इसका इलाज उसी तरह किया जाना चाहिए जैसा कि लोगों ने 1977 में इंदिरा आपातकाल का किया था. उमर खालिद पर हमले का प्रयास, दाबोलकर, पंसारे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या, स्वामी अग्निवेश पर बार-बार हमले और मानवाधिकार प्रचारकों का निरंतर उत्पीड़न लोकतंत्र को एक फासीवादी शासन के अधीन करने की एक ही रणनीति का हिस्सा हैं. मानवाधिकार वकील सुरेंद्र गडलिंग, दलित अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार सुधीर ढवाले, महेश राउत, नागपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोमा सेन और मानवाधिकार प्रचारक रोना विल्सन की गिरफ्तारी के दो महीने बाद पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को दमन व गिरफ्तारियों का दूसरा चक्र चलाया है. डा. सत्यजीत ने कहा कि गरीबों-पीड़ितों की आवाज उठाने वालों का दमन विनाशकारी साबित होगा. डा. शकील ने अपने वक्तव्य में कहा कि 40 साल पहले का आपातकाल एकतरफा था, आज यह दुतरफा मार कर रहा है. भारती एस कुमार ने कहा कि गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ जो आक्रोश उभरा था वह अभी भी जारी है. जावेद अख्तर ने कहा कि आजाद भारत में गांधी जी की हत्या पहली राजनीतिक हत्या थी, उसी वक्त महसूस हो गया था कि संघी देश की आजादी के लिए सबसे बड़े खतरे हैं. प्रो. डेजी नारायण ने कहा कि सुधा भारद्वाज पीयूसीएल संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. आज ऐसे लोगों को ‘शहरी माओवादी’ बताया जा रहा है, यह बेहद शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले पीयूसीएल को सरकार ने लाल संगठन कह कर प्रताड़ित करने की कोशिश की थी. हमने उसका विरोध किया था और आज भी हमारा प्रतिरोध जारी है. प्रो. शंकर आशीष दत्त ने कहा कि आज 1975 से भी बुरा हाल है. जिस आधार पर 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, दुर्भाग्यपूर्ण है. सभा की अध्यक्षता करते हुए डीएम दिवाकर ने कहा कि 28 अगस्त को गिरफ्तार होने वालो में जानी मानी कार्यकर्ता सुधा भारद्वााज भी शािमल हैं, जो एक वकील हैं और आजीवन छत्तीसगढ़ के सबसे उत्पीड़ित समुदायों की रक्षा के लिए काम करती रही हैं. उनके अतिरिक्त वर्नोंन गौंजाल्वेस, गौतम नवलखा, वरवरा राव एवं कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियों को गिरफ्तार किया गया है. मंुबई, दिल्ली, रांची, गोवा और हैदराबाद में कई कार्यकर्ताओं के घरों पर छापेमारी की गई है. हम सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वर्नोन गौंजाल्वेस, वरवरा राव, आनंद तेलतुंबड़े व अन्य सभी गिरफ्तार लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं.

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