नई दिल्ली, 6 अगस्त, अखिल भारतीय मिथिला संघ ने पहली बार राष्ट्रीय राजधानी में मधुश्रावणी पर्व (मिथिला मधुर सावन महोत्सव) का आयोजन मंडी हाउस इलाके के कॉपरनिकस लेन पर किया। इसमें दिल्ली और आस-पास से सैकड़ों महिलाएं पहुंचीं। उन्होंने अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा का मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया। रविवार को हुए कार्यक्रम में मधुश्रावणी पूजन, पुष्प क्रीड़ा, मैथिली गीत-संगीत सहित कई आकर्षक कार्यक्रमों के बाद मिथिला के पारंपरिक मिष्ठान्न अल्पाहार के साथ महोत्सव का समापन हुआ। अखिल भारतीय मिथिला संघ के अध्यक्ष विजय चंद्र झा ने कहा, "दिल्ली और अगल-बगल में चालीस लाख मैथिल रहते हैं। हमलोगों का कर्तव्य बन जाता है कि उन लोगों में अपनी संस्कृति, संस्कार, पर्व-त्योहार और उसके संरक्षण-संवर्धन में मैथिलानियों की भूमिका का प्रचार-प्रसार करें।" महासचिव विद्यानंद ठाकुर ने बताया कि इस पूजा में संस्कृत और मैथिली के मिश्रित शब्दों और मंत्रों का प्रयोग होता है, यद्यपि इसमें पंडित की कोई भूमिका नहीं होती। कोई अनुभवी महिला ही पूजा कराती हैं और कथा सुनाती हैं। मधुश्रावणी मिथिला की महिलाओं का पर्व है, जो श्रावण कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि से शुरू होती है। नवविवाहिता तेरह दिन तक यह पूजा करती हैं। यह नेह, सौंदर्य और आत्मिक समर्पण का पर्व है। इस पर्व के तीन हिस्से हैं- पहला, अरिपन (अल्पना) या तांत्रिक परंपरा से पूजास्थल का निर्माण। दूसरा, कथा वाचिका के द्वारा प्रतिदिन कथा सुनाया जाना। तीसरा, अंतिम दिन की पूजा और कुमारी लड़कियों व सुमंगलियों का भोजन।
मंगलवार, 7 अगस्त 2018
मिथिला संघ ने दिल्ली में मनाया मधुश्रावणी पर्व
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