बेगूसराय : पेड़ों को राखी बांध मनाया रक्षाबंधन सह वृक्षाबंधन। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 25 अगस्त 2018

बेगूसराय : पेड़ों को राखी बांध मनाया रक्षाबंधन सह वृक्षाबंधन।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) भाई बहन के खूबसूरत रिश्ते में मिठास और उमंग लाने वाले त्योहार रक्षाबंधन के एक दिन पूर्व वर्षों से भारद्वाज गुरुकुल में मनाया जाने वाला उत्सव वृक्षाबंधन है।जान है तो जहान है।पर्यावरण के तत्वों के प्रति जब तक भावनात्मक लगाव नहीं होगा तब तक मानव असुरक्षित रहेगा।केरल में आये बाढ़ ने मानवों के कृत्रिम विकास को ठेंगा दिखा दिया है।सब कुछ धरा रह गया।हज़ारों करोड़ के नुकसान के बाद भी अगर हम नहीं संभले तो बर्बादी तय है।बचपन से ही बच्चों को पर्यावरण के प्रति सजग रहने के लिए किया गया छोटा छोटा प्रयास आज सुखद परिणाम दिया है।विद्यालय परिसर में दर्जनों बड़े पेड़ हैं और सैकड़ों छोटे छोटे पौधे हैं।भावनात्मक लगाव के कारण बच्चे इन पेड़ पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लाखों लीटर का जल संरक्षण किया जा रहा है।पेड़ काटकर,उससे बने कागज़ पर पर्यावरण संरक्षण विषय पर लेख लिखने से लाख गुणा बेहतर है कि इन बच्चों को प्रेरित कर पौधा लगाने और संरक्षण की पढ़ाई कराई जाए।लेख लिखने पर कुछ बच्चों को अंक अच्छे आ जाएंगे परंतु जीवन में वो पिछड़ जाएंगे।बहुत सारे बच्चे लेख में व्याकरणीय गलती करते हैं,अच्छे शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं लेकिन मेरे आंकलन में वो बेहतरीन हैं,क्योंकि उन्होनें ज़मीन पर काम किया है और उनका काम दिखता है।पेड़ पौधों में आज के दिन रक्षा सूत्र बांधकर हम सब प्रण लेते हैं कि हर हाल में हम इनकी रक्षा करेंगे।प्रकृति का सम्मान एवं पूजन भारतीय संस्कृति के मूल में है।जब तक इन तत्वों में हमें देवी और देवता दिखते थे तब तक पर्यावरण हमें सुरक्षित रखता था।आज पर्यावरण के तिरस्कार ने या तो मानव का असमय प्राण लिया है या फिर घुंट घुंट कर जीने को विवश किया है।विज्ञान की पढ़ाई का कतई ये मतलब नहीं है कि हम river को sewer बना दें।असली फूल की जगह नकली का फैलाव कर दें।मानव को अगर ज़िंदा रहना है तो प्रकृति के प्रति भावनात्मक लगाव,जुड़ाव तो रखना ही होगा अन्यथा मानव जाति का अंत कुछ वर्षों में तय है।इस तरह के शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वाले यूँ तो कितने ही होंगे,परन्तु बेगूसराय में एक मात्र भारद्वाज गुरुकुल के प्राचार्य शिव प्रकाश भारद्वाज ही ऐसे कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

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