बेगूसराय : मध्य विद्यालय मोहन एघु में सरकारी व्यवस्था नगण्य। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 19 सितंबर 2018

बेगूसराय : मध्य विद्यालय मोहन एघु में सरकारी व्यवस्था नगण्य।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य)  आज बहुत दिनों के बाद अपने गाँव में घूमने के ख्याल से यूँ ही निकला।अपने ग्रामीण भाइयों से मिलते जुलते,कुछ ग्रामीण समस्याओं पर बातचीत करते हुए जा रहा था कि अचानक उस विद्यालय पर चलते चलते नजर पड़ गई जहाँ से मैं खुद प्राइमरी शिक्षा प्राप्त कर निकाला था।जब विद्यालय प्रांगण में प्रवेश कर यहाँ की प्राचार्या श्रीमती पिंकी कुमारी से मिला और विद्यालय के बारे में पूछताछ की तो कुछ बातों को लेकर बहुत ही अफसोस हुआ कि इतना सुन्दर विद्यालय,बच्चों की भी उपस्थितिऔर इस विद्यालय का ये हाल। इस विद्यालय में वर्ग प्रथम से वर्ग अष्टम तक में कुल 582 छात्र/छात्राओं की उपस्थिति है।और इस विद्यालय में पानी की सुविधा नगण्य है,प्राचार्य अपने कोष से या अन्य शिक्षक,शिक्षिकाओं के मदद से एक चापाकल की स्वयं व्यवस्था की तो हैं परन्तु उस पानी के लिये एक सोख़्ता की सख्त आवश्यक्ता है।सोख़्ता नहीं रहने के कारण पानी सड़क पर बहने से आने जानेवालों को परेशानी तो होती ही है साथ ही विद्यालय के शिक्षकों को भी भला-बुरा सुनने को मिलते रहता है।वर्ग षष्ठ में 114 छात्र/छात्रायें हैं,वर्ग सप्तम में 108 और वर्ग अष्टम में 112 छात्र छात्रायें है इसके अतिरिक्त वर्ग पंचम में 72,चतुर्थ में 43,तृतीय में 50, द्वितीय में 39 और प्रथम वर्ग में44 विद्यार्थियों के रहते सरकार की व्यवश्था विद्यार्थियों के अनुपात में नगण्य पाया गया।इस विद्यालय में पंखों की सख्त आवश्यकता है बच्चे गर्मी से परेशान दिख रहे थे।एक एक कमरे में सबसे कम वर्ग द्वितीय के विद्यार्थियों को ही लें तो कमरे में बड़ी मस्कत से बैठ पाएंगे वहाँ 50 से लेकर 114 विद्यार्थी जिस वर्ग में हैं उस वर्ग के विद्यार्थियों की क्या दशा होती होगी इस भीषण गर्मी में सोचने बाली बात है।आगे आपको बताते चलूँ की इतने विद्यार्थियों वाले विद्यालयों में शौचालय की कोई व्यवश्था नहीं शिक्षा विभाग के लिये यह कितने शर्म की बात है।जबकि देश के घर घर में शौचालय की लहर आग सी फैली हुई है माननीय प्रधानमंत्री का सख्त निर्देश है कि घर गए शौचालय हो किन्तु विद्यालय शौचालय विहीन यह गौर करने योग्य बातें हैं।आगे इस विद्यालय में अतिरिक्त कमरों की भी सख्त आवश्यक्ता है,इसके साथ साथ एक पुस्तकालय अपना विद्यालय के लिये होनी चाहिये,अब जबकि पढ़ने के लिये कमरा नहीं तो पुस्तकालय के लिये कहाँ से होगा।कमरों के साथ साथ विद्यालय परिसर में चाहरदीवारी की भी अत्यन्त आवश्यक्ता है चाहरदीवारी नहीं रहने के कारण रात्रि में जंगली जानवरों का निवास और शौचस्थान बना हुआ है यह मध्य विद्यालय बड़ी एघु,बेगूसराय।यहाँ की प्राचार्या पिंकी कुमारी के साथ एक एक वर्ग में जाकर विद्यार्थियों से मिला,कुछ हिन्दी,संस्कृत, इतिहास, अंग्रेजी आदि विषयों से सवाल पूछा तो बच्चों के जवाब से काफी संतुष्ट हुआ।कौन कहता है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है,हाँ सरकारी विद्यालयों में सरकार के तरफ से समुचित व्यवश्था नहीं हो पाती है।छात्रवृति,पोशाक आदि के पैसे उन्हीं बच्चों को मिल पाता है जिसका खाता बैंकों में है जिसका नहीं है वह इन पैसों से आज भी वंचित है।और फईय सएकार जो पोशाक के लिये पैसा देती है वह पैसा बहुत ही कम है जितना पैसा सरकार पोशाक के नामपर देती है उतने में एक सेट पोशाक होना मुश्कील है क्या बच्चे एक ही सेट में विद्यालय आएं और सिर्फ रविवार को ही कपड़ा धोकर सुखाकर और फिर सोमवार से शनिवार तक एक ही कपड़ा पहन कर आवें?सरकार को भी सोचना चाहिए के स्वयं वे एक ही कपड़ा सप्ताह भर पहनते हैं क्या?सरकार को इस बावत भी बैंकों को सख्ती से पढ़नेवाले विद्यार्थियों का खाता खोलने का निर्देश लिखित रूप में देने की अनिवार्यता समझते हुए निर्देश देनी चाहिये,बैंकवाले पता नहीं अपने आप को क्या समझ लेते हैं।ग्राहक को दुत्कार कर भगाने में भी जरा भी हिचक नहीं करते हैं।जहाँ तक बच्चों के लिये खाता खोलने की बात आती है तो सीधा नावालिग कह कर खाता खोलने से साफ इंकार करते हुए अभिभावक को दुतकारकर बैंक परिसर से बाहर भगा देते हैं।इनके ऊपर भी  शख़्त कार्यवाही की आवश्यक्ता है।इस विद्यालय में 2 पुरुष शिक्षक गंगेश्वर प्रसाद और सुबोध कुमार हैं तथा प्राचार्या पिंकी देवी के अलावा 11 शिक्षिकायें क्रमशः नूतन कुमारी,सुधा कुमारी,सरिता कुमारी,कुमारी रीता मिश्रा,कुमारी रंजना,नीलू कुमारी,हेमा कुमारी,अनिता राय,रानी कुमारी और नीता सिंह कार्यरत हैं कुल मिलाकर 14 शिक्षक/शिक्षिकायें कार्यरत हैं।जिसमे 03 शिक्षिकायें अवकाश पर थीं क्रमशः सरिता कुमारी, कुमारी रंजना और नूतन कुमारी।उपर्युक्त बातों पर शिक्षा विभाग और पदेन जिलाधिकारी महोदय श्री राहुल कुमार जो कि ड्यूटी के नाम पर बेगूसराय में कीर्तिमान स्थापित किये हुए हैं का भी ध्यानाकृष्ट इस विद्यालय की ओर करना चाहूँगा जिससे इस विद्यालय की आवश्यक आवश्यक्ता पूर्ण हो सके।विद्यालय की शिक्षा व्यवश्था शिक्षकों की ओर से उत्तमोत्तम है।विद्यालय के लिये मिड डे मील के बारे में पूछने पर ज्ञात हुआ कि हरदिया से बनकर आता है यहाँ बच्चों में वितरण कर खिलाने के लिये तीन दाई हैं।साप्ताहिक भोजन मीनू सरकारी हिसाब से ही है,जैसे सोमवार-चावल,दाल और सब्जी,मंगलवार-जीरा राइस और आलू सोयाविन की सब्जी,बुद्धवार-खिचड़ी, चोखा और केला  गुरुवार-चावल,दाल और सब्जी, शुक्रवार-पुलाव, छोला,अण्डा और फल,फलों में बदल बदल कर भी दिया जाता है,शनिवार-खिचड़ी चोखा और केला।आज इस विद्यालय का खिचड़ी चोखा भी खाकर जायका लिया जो कि ठीक ही लागा।अब देखना है कि इस विद्यालय की तरफ कब तक ध्यान देते हैं शिक्षा पदाधिकारी और माननीय जिलाधिकारी महोदय।

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