देश ‘बनाना रिपब्लिक’ बनने की राह में : शिवसेना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 5 सितंबर 2018

देश ‘बनाना रिपब्लिक’ बनने की राह में : शिवसेना

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मुंबई, पांच सितंबर, शिवसेना ने रूपए की गिरती कीमत और ईंधन की कीमत सर्वाधिक होने पर अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा की तीखी आलोचना की और कहा कि देश ‘बनाना रिपब्लिक’ बनने की राह पर है। पार्टी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि डॉलर के मुकाबले रूपया निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की अर्थव्यवस्था के तबाह होने की तोहमत कांग्रेस पर लगा रहे हैं और यह भूल रहे हैं कि पिछले चार वर्ष से वह सत्ता में हैं। शिवसेना ने कहा, ‘‘पेट्रोल, डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। पेट्रोल शीघ्र ही 100 रूपए पर पहुंच जाएगा। बड़ी संख्या में बेरोजगार युवक सड़कों पर उतरेंगे और अराजकता फैलाएंगे। किसान खुश नहीं हैं। खाद्य पदार्थों, रसोई गैस और सीएनजी की कीमतों में वृद्धि हुई है। नए निवेशों में गिरावट आई है।’’  पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘‘ देश की तस्वीर दिल दहलाने वाली है और हम ‘बनाना रिपब्लिक’ बनने की राह पर चल रहे हैं।’’ राजनीति शास्त्र में ‘बनाना रिपब्लिक’ राजनीतिक रूप से ऐसे अस्थिर देश को कहते हैं जिसकी अर्थव्यवस्था कुछेक उत्पादों मसलन केला, खनिज इत्यादि के निर्यात पर टिकी होती है।  संपादकीय में कहा गया है कि अगर रूपए की कीमत इसी तरह गिरती रही तो यह जल्दी ही 100 रूपए प्रति अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा।  संपादकीय में कहा गया है जब भाजपा विपक्ष में थी तो कहा करती थी कि रूपए की कीमत गिरने से देश की साख भी गिरती है। पार्टी ने तंज किया, ‘‘अब अगर रूपया 100 रूपए प्रति अमेरिकी डॉलर के नजदीक पहुंच रहा है तो क्या यह कहा जा सकता है कि हमारे देश की छवि सुधर रही है?’’  इसने विश्वबैंक की एक हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा ऐसे वक्त में जब भारतीय मुद्रा ‘मृत्यु शैया पर है’ ऐसे में यह दावा करना ‘‘हास्यास्पद’’ है कि देश विश्व की छठी सबये बड़ी अर्थव्यवस्था है। संपादकीय में कहा गया कि नीति आयोग देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने का आरोप डूबे कर्ज वसूलने के लिए उठाए गए कदमों के लिए आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन पर मढ़ रहा है लेकिन रूपए की कीमत उससे बहुत नीचे पहुंच गई है जो राजन के कार्यकाल के दौरान थी। शिवसेना ने दावा किया है कि राजन ने सरकार के नोटबंदी के निर्णय का विरोध किया था। वह इसके प्रचार प्रचार के लिए हजारों करोड़ रूपए खर्च करने पर केन्द्र के खिलाफ थे। इसमें आगे कहा गया, ‘‘यह विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लक्षण नहीं हैं। देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के लिए कांग्रेस और रघुराम राजन को जिम्मेदार ठहराना एक मजाक है। हमें बताइए कि आपने क्या किया? लेकिन सरकार के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है।

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