नयी दिल्ली, 19 सितंबर , बॉलीवुड में जीवनी आधारित फिल्मों की बाढ़ के बीच नंदिता दास को उम्मीद है कि उनकी फिल्म ‘मंटो’ अलग छाप छोड़ेगी। यह फिल्म मशहूर लघुकथा लेखक मंटो के उस दौर की कहानी कहती है जब सांप्रदायिक हिंसा चरम पर थी। बतौर निर्देशक नंदिता दास की यह दूसरी फिल्म है। फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने सआदत हसन मंटो का किरदार निभाया है। फिल्म में वर्ष 1946 से शुरू लेखक के सबसे अधिक उथल-पुथल भरे एवं रचनात्मक दौर को दर्शाया गया है। यह पूछे जाने पर कि कलाकार बार-बार विभाजन पर ही बात क्यों करते हैं, इस पर नंदिता ने कहा, ‘‘आखिर हम इसे भूल क्यों नही पाये हैं। शायद हम इसे इसलिए नहीं भूल पाये हैं क्योंकि हमने इससे कुछ सीखा ही नहीं।’’ अभिनेत्री से निर्देशक बनीं नंदिता ने कहा कि वह मंटो की नजर से उथल-पुथल भरे उस इतिहास को देखने में अधिक रूचि रखती हैं। उन्होंने बताया, ‘‘आज सांप्रदायिक हिंसा की वही घटनाएं हो रही हैं। तब जो लोग इससे जूझे थे और आज जो इससे जूझ रहे हैं : वो आम लोग हैं। सिरिल रेडक्लिफ ने एक रेखा खींच दी जो शायद एक गांव से होकर गुजरी और फिर सबकुछ तबाह हो गया।’’ मंटो की दो बेटियां नुसरत एवं नुजहत हाल में इस फिल्म को देखने के लिये इसके विशेष प्रीमियर पर मुंबई आयी थीं। नंदिता ने कहा कि यह उर्दू लेखक जनवरी 1948 में मुंबई छोड़ पाकिस्तान चला गया। उन्हें राष्ट्रीयता में नहीं बांटा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मंटो एक ऐसे लेखक हैं जो भारत और पाकिस्तान दोनों से संबंधित हैं। उन्हें राष्ट्रीयता में नहीं बांटें।’’ नंदिता ने कहा कि वह पड़ोसी देश में भी फिल्म को रिलीज होते देखना चाहती हैं। रसिका दुग्गल, ताहिर राज भसीन, दिव्या दत्ता, रणवीर शौरी और ऋषि कपूर अभिनीत यह फिल्म इस शुक्रवार को रिलीज होगी।
बुधवार, 19 सितंबर 2018
हमने विभाजन से कुछ नहीं सीखा : नंदिता दास
Tags
# मनोरंजन
# सिनेमा
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
सिनेमा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें