बेगूसराय : विश्वगुरु बनने वाला देश आज चेला बनने के भी योग्य नहीं। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 3 अक्तूबर 2018

बेगूसराय : विश्वगुरु बनने वाला देश आज चेला बनने के भी योग्य नहीं।

शिक्षा में समाया विदेशी नीति,जातिवाद 
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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य), आज के युवाओं के लिये यह आलेख है उम्मीद इस आलेख को युवा अगर थोड़ी भी अपने आप में उतार लें तो इस आलेख का आशय पूर्ण समझूँगा।जरा देखिये इन बुजुर्गों को ये भी 1970 के दशक के छात्र रहे होंगे।गरीबी अवश्य ही अभिशाप हो सकता है पर इरादा अभिशाप नहीं।ये अपनी रोजी रोटी चलाने के लिये और भी कोई काम धन्धा अपना सकते थे मगर नहीं अन्य कोई धन्धा इनके जमीर और जज्वात को गवारा नहीं।ये हम बच्चों युवाओं के लिये दुकान नहीं रहने के कारण सड़को पर ही पुस्तक वो भी शिक्षाप्रद बड़ों और बच्चों दोनो के लिये।आगे आपके लिये प्रस्तूति है कुछ लेख इसका अध्ययन मनन अवश्य करें। 1990 के आसपास की बात है। जो भी प्रतिभावान बच्चे अच्छे Engineering, Medical, Law, Accounts या अन्य किसी भी Field से अपनी पढ़ाई पूरी करते, विदेशी कम्पनियाँ तुरन्त Toppers को भर्ती करके विदेश ले जाती। ये दौर बहुत ज्यादा Competition का दौर था।  प्रतिभा पलायन (Brain Drain) एक राष्ट्रीय समस्या और ज्वलंत मुद्दा बन चुका था। TV, अख़बारों, रेडियो, सभाओं, संगोष्ठी और Debates में छाया हुआ मुद्दा।  राष्ट्र में रहकर युवा भले ही राष्ट्र की सेवा ना कर पा रहे थे, किन्तु भारत की विश्वगुरु की पहचान फिर से ज़िन्दा हो रही थी। संसार स्तब्ध था और धीरे-धीरे विश्व के सभी सम्मानित संस्थानों पर भारतीय युवा Doctors, Engineers, Professors, Scientists, CEO आदि-आदि के रूप में कब्जा जमाते जा रहे थे। आपके जितने भी जानकार विदेशों में Set हैं, उनमें से ज़्यादातर की Graduation 1980 के दशक से लेकर से 2000 के बीच पूरी हुई होगी।उसमें भी कुछेक 2005 तक का भी होना संभावित हो सकता है पर इसके बाद तो विदेश नीति ने शिक्षा का जो स्तर गिराया है उसे आप भी देख ही रहे हैं।उसपर से ये अब जातिबाद का कुठाराघात चलाया जा रहा है परिणाम क्या होनेवाला है आप खुद सोच लें।आगे इस तथ्य पर भी एक नजर डाल कर देखें शायद बातें समझने में सहायक सिद्ध हो।

फिर से विश्व ने भारत के साथ छल किया। UNO के माध्यम से पैसे फेंककर भारत में No Detention Policy लागू करवाई और Universalisation of Elementary Education के नाम पर भारतीय शिक्षा की बुनियादी जड़ों को काट दिया। युवाओं को भटकाने के लिए अमेरिकी और यूरोपी कम्पनियों ने Facebook, Whatsapp, twitter और ना जाने कितने जंजाल युवाओं के गले में डाल दिया। Social Media या Shopping के अलावा आप अपने Computer पर किसी भी Developed Country की कोई भी Useful जानकारी, general knowledge, Information वाली website आप नहीं खोल सकते।  आप खुद check कर लीजिये।  वो लोग आपसे Medical, Engineering, Architecture में हो रही advancement share नहीं करना चाहते। बस आपको Social Media पर फँसाकर,आपका ध्यान भटकाकर आपको पढ़ाई में पीछे छोड़ना चाहते थे,और उन्होंने बड़े ही शातिराना ढंग से आपको पीछे छोड़ दिया।  कहाँ गया प्रतिभा-पलायन का मुद्दा ? जब प्रतिभा ही नहीं बची तो प्रतिभा-पलायन कैसा ?  युवा सतर्क हो जायें, Internet को छोड़कर किताबों की तरफ लौटें। उज्ज्वल भविष्य आपका इंतजार कर रहा है। व्रत का मतलब समझें। संकल्प का मतलब समझें। खाना छोड़ना व्रत नहीं है, Internet या Mobile छोड़ना भी व्रत हो सकता है। दिन में दस घण्टे किताब पढ़ना भी संकल्प हो सकता है। ।।। 

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