भावुक प्रधान न्यायाधीश ने अंतिम बार संभाली शीर्ष अदालत की कमान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

भावुक प्रधान न्यायाधीश ने अंतिम बार संभाली शीर्ष अदालत की कमान

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नई दिल्ली, एक अक्टूबर, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सोमवार को अंतिम बार अदालत की कमान संभाली। उनके साथ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई भी थे, जो न्यायमूर्ति मिश्रा के बाद इस पद को संभालेंगे। जब एक वकील ने एक गीत के जरिए उनके लंबे जीवन की कामना की तो प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा कि अभी वह ‘‘ दिल से बोल रहे हैं’’ हालांकि शाम के वक्त दिमाग से जवाब देंगे।बीते दस दिन में आधार, समलैंगिकता, विवाहेत्तर और सबरीमला जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठों की अध्यक्षता करने वाले सीजेआई मिश्रा महज 25 मिनट तक चली अदालत की कार्यवाही के दौरान भावुक नजर आए। कार्यवाही के अंत में जब एक वकील ने ‘‘ तुम जियो हजारों साल...’’ गाना शुरू कर दिया तो न्यायमूर्ति मिश्रा ने उन्हें अपनी अनोखी शैली में रोक दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ वर्तमान में मैं अपने दिल से बोल रहा हूं... अपने दिमाग से मैं शाम के वक्त बोलूंगा।’’  प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, जो तीन अक्तूबर को प्रधान न्यायाधीश पद ग्रहण करेंगे, और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर आज पीठ में शामिल थे। तीन अक्तूबर से शीर्ष अदालत की कमान संभालेंगे। न्यायामूर्ति गोगोई और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर भी पीठ का हिस्सा थे। पीठ ने कहा कि सोमवार को वह तत्काल सुनवाई वाला कोई मामले नहीं लिया जायेगा और ऐसे मामलों की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तीन अक्तूबर को हो सकेगी।  तभी अचानक, अधिवक्ता आरपी लूथरा ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण के निवर्तमान सीजेआई के खिलाफ किए गए दो कथित विवादित ट्वीट का जिक्र किया। इनमें कोरेगांव-भीमा मामले समेत न्यायमूर्ति मिश्रा के हाल के फैसलों की आलोचना की गई थी। अधिवक्ता ने कहा कि अदालत कथित विवादित ट्वीटों का संज्ञान ले। लेकिन इस पर पीठ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 जनवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इसके बाद उनका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में तबादला हो गया था। वह 19 दिसंबर 1997 को स्थायी न्यायाधीश बने थे। उन्होंने 23 दिसंबर 2009 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया था। वह 24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे। न्यायमूर्ति 10 अक्टूबर 2011 को पदोन्नति प्राप्त कर शीर्ष अदालत में पहुंचे थे और 28 अगस्त 2017 को देश के प्रधान न्यायाधीश बने थे।

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