ईसाई धर्म कबूलने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को संवैधानिक आरक्षण है प्राप्त ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को संवैधानिक आरक्षण नहीं है प्राप्त
पटना,16 दिसम्बर। औरों की तरह ही ईसाई समुदाय में भी जाति व्यवस्था बरकरार है।इसका इजहार प्रेरितों की रानी ईश मंदिर में किया गया।कुछ दिन पूर्व अनुसूचित जनजाति के ईसाई आदिवासी लोग नवाखानी त्योहार पर जश्न मनाया था। आज दलित ईसाई लोग क्रिसमस मिलन के नाम पर लुफ्त उठाया। बताते चले कि ईसाई धर्म कबूलने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को संवैधानिक आरक्षण बरकरार रहता है। इसके कारण एसटी का सांस्कृतिक पक्ष मजबूत है। धर्मान्तरण के बाद भी सुरक्षित ढंग से लाभ उठाते हैं। वहीं विपरित परिस्थिति में पड़ जाते हैं अनुसूचित जाति से ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले लोग। धर्मान्तरण करने के बाद से ही अनुसूचित जाति वाला संवैधानिक आरक्षण से वंचित हो जाते हैं। इस संदर्भ में जानकार लोगों का कहना है कि आरक्षण सुविधा चले न जाए इसके लिए गुप्त प्लान धर्मान्तरित दलित ईसाई अपनाते हैं। सनातन धर्म का चोंगा पहन लेते हैं।ऐसा करने से दलित आरक्षण बरकरार रहता है। ऐसे लोगों को कहा जा सकता है 'कहीं ईसाई तो कहीं सनातन, धर्म दर्शाते धर्मान्तरित ईसाई' । आगे कहते हैं कि धर्मान्तरित ईसाइयों को दलित आरक्षण से वंचित कर पिछड़ी जाति की श्रेणी में धकेल दिया जाता है।मजे की बात है अगर दलित ईसाई घर वापसी कर लेते हैं तो उनको तत्काल अनुसूचित जाति ( एस.सी.) का आरक्षण प्राप्त हो जाता है। आज प्रेरितों की रानी ईश मंदिर में धर्मान्तरित दलित ईसाई जुटे। फादर टॉम और फादर रोबर्ट मिलकर मिस्सा किए। दलित ईसाई हैं फादर रोबर्ट। बिहार में 85प्रतिशत दलित ईसाई हैं। यह दावा बिहार दलित ईसाई सभा के द्वारा किया है।उपस्थिति बहुत कम थी।इसी अल्पसंख्या में क्रिसमस मिलन समारोह मना।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें