बिहार : एक परिसर में काम करने वालों को वेतन निर्गत करने में भेदभाव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 24 जनवरी 2019

बिहार : एक परिसर में काम करने वालों को वेतन निर्गत करने में भेदभाव

शिक्षकों को 12 माह का वेतन मिलता है और रसोइयों को 10 माह का ही, 1250 रूपए में दम नहीं और 18000 से कम नहीं पर मंजूर नहीं
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कुर्सेला,24 जनवरी। केन्द्र और राज्य सरकार से उपेक्षित हैं एम.डी.एम.रसोइया। बिहार राज्य विघालय रसोइया संघ के प्रखंड अध्यक्ष ओम प्रकाश,उपाध्यक्ष रामप्रसाद यादव,सचिव रंजीत मंडल आदि ने कहा कि रसोइया को वाजिब एवं न्यायोचित मांगों को अनदेखी कर दी जा रही है। हमलोग सरकार के वादाखिलाफी के खिलाफ एम.डी.एम.रसोइया संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर 7 जनवरी 2019 से बेमियादी हड़ताल पर हैं।  एम.डी.एम.रसोइया संयुक्त संघर्ष समिति की 15 सूत्री मांग है। इस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। बिहार राज्य विघालय रसोइया संघ के प्रखंड अध्यक्ष ओम प्रकाश ने कहा कि सरकार एम.डी.एम. रसोइया का पारिश्रमिक तत्काल बढ़ाकर न्यूनतम 18000 रूपए प्रतिमाह कर दें। केरल, हरियाणा, कर्नाटक, गोवा, त्रिपुरा सहित अन्य राज्यों की तरह बिहार एम.डी.एम. रसोइया को भी राज्यांश में बढ़ोतरी कर प्रतिमाह पारिश्रमिक में किया जाए। 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश को लागू किया जाए। मध्याह्न भोजन कर्मी ( रसोइया) को स्कूल की चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। 3000 प्रतिमाह पेंशन,उपादन (ग्रेच्यूटी),भविष्यनिधि,चिकित्सा,सुविधा,ई.एस.आई. आदि सभी योजना क्रमियों को लागू किया जाए। 10 महीना के बजाय 12 महीना के पारिश्रमिक का प्रत्येक महीना के प्रथम सप्ताह में भुगतान सुनिश्चित किया जाए। मध्याह्न भोजन कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाए और चिकित्सा बीमा सहित मृत्यु होने पर 5 लाख रूपए की अनुदान राशि उपलब्ध कराया जाए।मध्याह्न भोजन कर्मियों को 180 दिन का सवैतनिक मातृत्व अवकाश, आकस्मिक अवकाश प्रदान किया जाए। रसोइया को वर्ष में दो सेट वर्दी (पोशाक) एवं सफाई भत्ता का भुगतान किया जाए। सभी विघालय मेें समुचित ढांचागत विकास कर खाना बनाने का शेड,भंडार स्थल और साफ पेयजल की आपूर्ति किया जाए। रसोइया के मुद्दे पर विचार एवं समाधान के लिए जिला एवं राज्यस्तरीय समाधान समिति का गठन किया जाए। विभागीय निर्देशों का उल्लंघन कर मनमाने ढंग से काम से हटाए गए रसोइया को पुनः कार्य पर वापस लो तथा रसोइया से निर्धारित काम के अतिरिक्त कार्य लेने पर सख्ती से रोक लगाया जाए। जमीन के अभाव में भवन विहीन विघालय का अन्य प्रारंभिक विघालय में मर्ज (विलय) होने पर शिक्षक के साथ एम.डी.एम. रसोइया का भी समायोजन सुनिश्चित किया जाए।मध्याह्न भोजन योजना का नगदीकरण एवं एन.जी.ओ.,निजी ठेकेदारों,कम्पनियों के हवाले करने की कार्रवाई पर रोक लगाया जाए। एम.डी.एम. रसोइया के सेवानिवृत का उम्र 65 वर्ष किया जाए। सभी कार्यरत रसोइया को नियुक्ति पत्र/चयन पत्र निर्गत किया जाए। हड़ताल एवं घेरा डालो सहित एम.डी.एम.रसोइया संगठनों द्वारा आयोजित अन्य न्यायोचित आंदोलन के क्रम में रसोइया पर हुई दमनात्मक कार्रवाई एवं पारिश्रमिक कटौती को वापस किया जाए। 

दिसम्बर और जनवरी में बेमियादी हड़तालः 
आशा कार्यकर्ताओं ने 1 दिसम्बर से और सेविकाएं और सहायिकाएं ने 5 दिसम्बर से हड़ताल पर रहे। इसके बाद कुरियर भी हड़ताल पर रहे। डाटा आॅपरेटर भी रहे। कई माह से वेतन एवं डी.ए. भुगतान नहीं होने पर 15 जनवरी से ए.एन.एम. हड़ताल पर रहे। सभी आंदोलन समाप्त हुआ। अभी रसोदया लोगों का आंदोलन 7 जनवरी से जारी है। आज भी रसोइया भोजन तैयार करने के बाद शिक्षकों को पहले भोजन टेस्ट करती हैं। तब जाकर शिक्षक टेस्ट करते हैं। दोनों के टेस्ट करने के बाद ही बच्चों के बीच में वितरण होता है एम.डी.एम.। शिव महलदार, लहरी देवी,रूपा देवी,चंदन देवी,नीरो देवी आदि ने कहा। कुर्सेला प्रखंड में 37 प्राथमिक और मध्य विघालय है। कही पर 4 तो कही 5 रसोइया कार्यरत हैं। कुछ ही स्कूल में एल.पी.जी. उपलब्ध है। बाकी स्कूलों में लकड़ी से बनता है मध्याह्न भोजन। 

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