बिहार : सामाजिक संगठनों द्वारा 18 फरवरी को ऐतिहासिक गांधी मैदान में विशाल भूमि अधिकार जन जुटान रैली - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 22 जनवरी 2019

बिहार : सामाजिक संगठनों द्वारा 18 फरवरी को ऐतिहासिक गांधी मैदान में विशाल भूमि अधिकार जन जुटान रैली

  • एकता परिषद द्वारा आयोजित जनांदोलन 2018 के बाद 2019 में दम दिखाएंगे भूमिहीन

ekta-parishad-protest-biharपटना, 22 जनवरी। सूबे में भूमि मुद्दे को लेकर काम करने वाले सामाजिक संगठन एकजुट हो गए हैं। इन संगठनों द्वारा शक्ति प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। मुद्दा है भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी. बंदोपाध्याय के द्वारा सिफारिशों को तुरंत लागू करवाना और आवासीय भूमिहीनों के लिए 10 सेंट् आवास भूमि सुनिश्चित करना तथा उनको एक कारगर आवास का कानून बनवाना। इन मांगों को लेकर 18 फरवरी को ऐतिहासिक गांधी मैदान में विशाल भूमि अधिकार जन जुटान में लाखों भूमिहीनों को जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

सीएम नीतीश कुमार ने भूमि सुधार आयोग गठित कियाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने प्रथम कार्यकाल में लाखों रू. व्यय करके भूमि सुधार आयोग 2006  को गठित की। आयोग के अध्यक्ष डी. बंदोपाध्याय ने महत्वपूर्ण सिफारिष किए। परंतु सरकार ने सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल दी । उसको अमल करने की हिम्मत सरकार को नहीं हुई। अध्यक्ष डी.बंदोपाध्याय की अनुशंसा को लागू करने में सरकार हिल जाती है। आज भी आयोग की सिफारिश लम्बित है। एक बार फिर सामाजिक संगठन मुद्दा को उठाने लगे हैं। उन सिफारिशों को तुरंत लागू करने आग्रह सरकार से करने लगे हैं। सिफारिश मुद्दे को हल्केपन करने के उद्देष्य से 2015 में एक भूमि सुधार कोर कमिटी का गठन किया गया। सरकारी कार्यक्रम  अभियान बसेरा की कछुआ गति है। पर दुर्भाग्य से उसकी दो सालों से कोई बैठक ही नहीं बुलायी गयी। सामाजिक संगठनों ने सरकार के साथ कई दफे संवाद भी किए और उस ओर सरकार को सहयोग भी किए। बावजूद, इसके सरकार की ओर से कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं निकला। 

आजादी के बाद से अबतक 23 लाख परिवारों के बीच भूमि वितरणः कल्याणकारी सरकार ने आजादी के बाद से अबतक 23 लाख परिवारों के बीच में भूमि वितरित की है। लेकिन वितरित भूमि में आधा से अधिक लोग भूमि से बेदखल हैं। आजादी के 66 साल बाद नेशनल सिम्पल सर्वे संगठन के 2013 के अनुसार बिहार में 16 लाख परिवार आवासहीन है। इनमें ऐसे परिवार हैं जिनके पास 1/2 डिसमिल से भी कम या पूर्णतः आवासहीन है। एक अन्य स्त्रोतों के अनुसार लगभग 30 लाख से ज्यादा परिवार वासभूमि अधिकार कानून से वंचित हैं। महादलित मुसहर समुदाय पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं। उनके कुल आबादी का 98.8 प्रतिशत पूरी तरह से भूमिहीन/आवासहीन है। 

बिहार भूमि सुधार अधिनियम बनाने वाला पहला राज्य: सामाजिक संगठनों के माने तो बिहार की अर्थ व्यवस्था अभी भी कृषि आधारित ही है यह सर्वविदित है। इस लिए यहां के खेतिहर समाज के सामाजिक-आर्थिक परिवेश में गरीबी और विषमता दूर करने के लिए सम्मान जनक जीवन जीने के लिए भूमि सुधार एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन बिहार में आजादी के बाद ही बिहार भूमि सुधार अधिनियम 1950 बनाने वाला पहला राज्य होते हुए भी कानून के धरातल पर लाने में सबसे पीछे है। 

विशाल भूमि अधिकार जन जुटान में लाखों मेंः एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भूमि अधिकार जन जुटान के बिहार के संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि आगामी 18 फरवरी 2019 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में विषाल भूमि अधिकार जन जुटान का आयोजन किया गया है। इस जन जुटान में सूबे के सभी जिलों के लाखों की संख्या में आवासीय भूमिहीन आएंगे। बिहार सरकार के नुमांइदे और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से आग्रह किया गया है कि वासभूमि अधिकार कानून जल्द से जल्द बनाएं।

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