सिनेमा की तरह भारत भी बदल रहा है : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 19 जनवरी 2019

सिनेमा की तरह भारत भी बदल रहा है : मोदी

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मुंबई, 19 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कभी ‘‘बेबसी’’ पर ध्यान केंद्रित करने वाली भारतीय फिल्में अब बदल रही हैं। आज के भारत में समस्याओं से ज्यादा समाधान है। प्रधानमंत्री यहां भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय के उद्घाटन के मौके पर उपस्थित फिल्मी जगत से जुड़े लोगों को संबोधित कर रहे थे।  मोदी ने कहा, ‘‘फिल्में और समाज एक दूसरे का प्रतिबिंब हैं और सिनेमा की तरह भारत भी वक्त के साथ बदल रहा है। आप जो फिल्मों में देख रहे हैं वह समाज में होता है और समाज में जो होता है वह फिल्मों में दिखता है।’’ 

प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी ‘प्रथम श्रेणी के शहरों’ के सिर्फ अमीर लोग ही फिल्म उद्योग में जा सकते थे, लेकिन अब दूसरे और तीसरे श्रेणी के शहरों के कलाकार भी अपने पांव जमा रहे हैं और अपनी कलात्मक क्षमताओं को मजबूती दे रहे हैं।  उन्होंने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि भारत बदल रहा है। पूर्व में, गरीबी को एक खूबी के तौर पर देखा जाता था...फिल्में गरीबों और बेबसें के बारे में होती थीं। अब समस्याओं के साथ, समाधान भी दिख रहे हैं। अगर यहां करोड़ो समस्याएं हैं तो करोड़ों समाधान भी हैं।’’  मोदी ने कहा, ‘‘फिल्मों को पूरा होने में 10-15 साल लग जाते थे। प्रसिद्ध फिल्मों को वास्तव में इसलिये जाना जाता था कि उनके पूरा होने में कितना वक्त लगा...अब फिल्में कुछ महीनों और तय समय सीमा में बन जाती हैं। ऐसा ही कुछ सरकारी योजनाओं के साथ भी है। वे भी अब तय समयसीमा में पूरी हो रही हैं।’’  उन्होंने कहा कि हालांकि, ‘‘अगर कोई सरकार कहे कि वह सारे काम अकेले कर सकती है तो वह आपको मूर्ख बना रहा है। सबके विकास के लिये सबके साथ की जरूरत है।’’ 

प्रधानमंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि इस संग्रहालय में द्वितीय विश्वयुद्ध की 30 घंटे लंबी डिजिटाइज्ड फुटेज है। इसके साथ ही इस युद्ध में शहीद होने वाले डेढ़ लाख भारतीय सैनिकों के पराक्रम को भी दुनिया जानेगी।  मोदी ने कहा, ‘विदेशों में भी हमारी फिल्में बेहद लोकप्रिय हैं।’  उन्होंने कहा कि कुछ विश्व नेताओं को भारतीय गानों के पूरे-पूरे बोल याद हैं, यद्यपि उन्हें भाषा नहीं आती।  मोदी ने कहा भारत की सांस्कृतिक शक्ति (सॉफ्ट पावर) में फिल्मों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि कैसे विदेशी नेताओं के साथ अपनी बातचीत में भारतीय फिल्मों और उनकी लोकप्रियता देखकर वह चकित रह गए।  उन्होंने कहा, “पर्यटन को बढ़ावा देने में भी फिल्मों का अहम योगदान होता है।’’  उन्होंने फिल्म उद्योग को आश्वासन दिया कि पायरेसी और छिपे कैमरे से रिकॉर्डिंग रोकने के लिये प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।  उन्होंने कहा, “जल्द ही फिल्म की शूटिंग और उससे जुड़ी मंजूरियों के लिये एकल खिड़की व्यवस्था तैयार की जा रही है।”  दावोस में हुए विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन की तरह भारत में वैश्विक फिल्म सम्मेलन आयोजित किया जा सकता है। 

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