माले-आइसा-इनौस का राज्यव्यापी प्रतिवाद, पटना में कारगिल चैक पर किया प्रदर्शनविश्वविद्यालयों में 200 प्वायंट रोस्टर प्रणाली बहाल करने के लिए तत्काल अध्यादेश लाए सरकार.13 प्वायंट रोस्टर व 10 प्रतिशत सामान्य श्रेणी के आरक्षण जैसे निर्णयों को वापस लो.
पटना 28 जनवरी019 शिक्षा और रोजगार के क्षेत्रों में एस.सी./एस.टी./ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने की लगातार चल रही कोशिशों के खिलाफ आज माले-आइसा-इनौस ने संयुक्त रूप से पूरे बिहार में प्रतिवाद किया. राजधानी पटना के कारिगल चैक पर दर्जनों कार्यकर्ताओं ने एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण पर सुनियाजित हमले पर रोक लगाने, विश्वविद्यालयों में 200 प्वांयट रोस्टर प्रणाली की जगह 13 प्वायंट रोस्टर प्रणाली के आदेश को रद्द करने, 200 प्वायंट रोस्टर प्रणाली पर अध्यादेश लाने, 10 प्रतिशत सामान्य श्रेणी के आरक्षण जैसे निर्णयों को वापस लाने आदि मांगों के साथ प्रदर्शन किया. प्रदर्शन का नेतृत्व भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी की सदस्य शशि यादव, अभ्युदय, रामबलि प्रसाद, अनीता सिन्हा, मुर्तजा अली, अशोक कुमार, पन्नालाल, रणविजय कुमार, राखी मेहता, अनुराधा, राजेश सिंह कुशवाहा, अभिनव, लंकेश कुमार सिंह, विनय कुमार,निशांत, संतोष आर्या, शशांक मुकुट शेखर आदि कर रहे थे. जबकि संचालन सुधीर कुमार ने किया. पटना के अलावा अरवल, नवादा, आरा, जहानाबाद, सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, नालंदा आदि जिला केंद्रों पर भी प्रतिवाद मार्च निकाले गए और जगह-जगह मोदी व जावेड़कर का पुतला दहन किया गया. कारगिल चैक पर प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए शशि यादव ने कहा कि 200 प्वायंट रोस्टर की जगह 13 प्वायंट रोस्टर लाने से विश्वविद्यालयों में शिक्षक बहाली की प्रक्रिया में आरक्षण लगभग खत्म हो जाएगा और इसका भारी खामियाजा एससी/एसटी/ओबीसी संवर्ग के छात्रों को उठाना पड़ेगा. 200 प्वांयट रोस्टर प्रणाली में विश्वविद्यालय को यूनिट माना जाता है और उस पर आरक्षण लागू किया जाता है जबकि 13 प्वांयट रोस्टर प्रणाली में विभाग को यूनिट माना जाता है. 13 प्वायंट रोस्टर प्रणाली के तहत किसी विभाग में प्रत्येक आरक्षित वर्ग से एक नियुक्ति भी तब होगी जब उस विभाग में न्यूनतम 14 नियुक्तियां होंगी. जबकि अधिकांश विभागों में 14 से कम नियुक्तियां हैं. ऐसे में ऐसे विभागों में एक भी आरक्षित वर्ग की बहाली नहीं हो सकेगी. जाहिर है संविधान द्वारा एससी/एसटी/ओबीसी संवर्ग के लिए प्राप्त 49.5 प्रतिशत आरक्षण का यह घोर उल्लंघन है.पहले से ही आरक्षित पद भारी संख्या में खाली पडे हैं. कुल मिला कर कहा जाय तो उच्च शिक्षा का क्षेत्र वंचित और दमित पृष्ठभूमि के छात्रों के लिये और दूर हो जायेगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला जब से आया है, पूरे देश का अध्यापक समुदाय मोदी सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय से मांग कर रहा है कि 200-पाॅइण्ट रोस्टर प्रणाली को बनाने के लिए तुरत कानून बनाया जाये लेकिन मोदी सरकार ऐसा नहीं करना चाहती. अब सर्वोच्च् न्यायालय के इस निर्णय के बाद यह बेहद जरूरी हो गया है कि मोदी सरकार तत्काल 200-पाॅइण्ट रोस्टर प्रणाली को बचाने के लिए एक अध्यादेश लाये. एक ओर एस.सी./एस.टी./ओबीसी के आरक्षण के अधिकार को कमजोर बनाने की कोशिशें चल रही हैं, तो दूसरी ओर सामान्य कैटेगरी के गरीब उम्मीदवारों को 10 प्रतिशत आरक्षण का विधान बनाया गया है, जो कि संविधान के मूल उद्देश्यों के खिलाफ है. संविधान का उद्देश्य आरक्षण के माध्यम से सामाजिक भेदभाव को दूर करना है.

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