महाराष्ट्र में डांस बार चलाने की सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

महाराष्ट्र में डांस बार चलाने की सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी

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नयी दिल्ली, 17 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने कुछ शर्तों के साथ महाराष्ट्र में डांस बार चलाने की गुरुवार को इजाजत दे दी।  न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के 2016 के कानून को वैध माना, लेकिन उसके कुछ प्रावधानों को निरस्त भी कर दिया। न्यायालय ने कहा कि डांस बार में नोट और सिक्के नहीं उड़ाये जा सकेंगे, लेकिन बार बालाओं को टिप दी जा सकेगी। न्यायालय ने अपने फैसले में महाराष्ट्र सरकार के कानून में अश्लीलता पर सजा के तीन साल के प्रावधान को मंजूरी दे दी। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद मुंबई में डांस बार अब शाम के छह बजे से रात 11.30 बजे तक खुल सकेंगे। डांस बार में शराब परोसने और ऑर्केस्ट्रा को भी इजाजत मिल गयी है।  खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि बार में किसी तरह की अश्लीलता नहीं होनी चाहिए। इसके लिए तीन साल की सजा के प्रावधान को बरकरार रखा गया है। न्यायालय ने, हालांकि स्पष्ट किया कि डांस बार में सीसीटीवी लगाना जरूरी नहीं होगा। शीर्ष अदालत के फैसले के तहत डांस बार के स्टेज और ग्राहकों के बीच दीवार नहीं होगी। सरकार ने तय किया था कि ग्राहक और बार बालाओं के बीच तीन फुट ऊंची एक दीवार बनाई जाये, जिससे डांस तो देखा जा सके, मगर उन तक पहुंचा न जा सके। न्यायालय ने कहा कि मुंबई जैसे क्षेत्र में धार्मिक और शैक्षणिक स्थलों से एक किलोमीटर की दूरी पर डांस बार होने का नियम तर्कसंगत नहीं है। इसके परिणामस्वरूप अब मुंबई में ज्यादा डांस बार देखने को मिल सकते हैं। ग्राहक बार बालाओं को टिप दे सकते हैं, मगर वे रुपये नहीं लुटा पायेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि बार बालाओं और मालिक के बीच वेतन निर्धारित करना सही नहीं। यह अधिकार सरकार का नहीं, बल्कि मालिक और बार बालाअों के बीच आपसी करार का है। शीर्ष अदालत ने गत वर्ष 31 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इंडियन होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने राज्य में डांस बार के परिचालन को नियमित करने के लिए महाराष्ट्र प्रोहिबिशन ऑफ ऑब्सीन डांस इन होटल्स, रेस्टोरेंट्स एंड बार रूम्स एंड प्रोटेक्शन ऑफ डिग्निटी ऑफ वीमेन (वर्किंग देयरइन) एक्ट, 2016 को चुनौती दी थी।

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