नयी दिल्ली, 28 फरवरी, बीसीसीआई ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर एस श्रीसंत पर 2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में कथित संलिप्तता के लिये लगाया गया आजीवन प्रतिबंध ‘कानूनन पूरी तरह टिकने लायक है’ और उन्होंने मैच को ‘प्रभावित करने का प्रयास’ किया था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की दलीलों का विरोध करते हुए श्रीसंत की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ से कहा कि आईपीएल मैच के दौरान कोई स्पॉट फिक्सिंग नहीं हुई थी और क्रिकेटर के खिलाफ लगाए गए आरोपों की साक्ष्यों के जरिये पुष्टि नहीं की गई है। 35 वर्षीय क्रिकेटर ने केरल उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है जिसमें बीसीसीआई द्वारा उनपर लगाए गए आजीवन प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। केरल उच्च न्यायालय की एक सदस्यीय पीठ ने श्रीसंत पर बीसीसीआई द्वारा लगाए गए आजीवन प्रतिबंध को हटा दिया था और बोर्ड द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई सारी कार्यवाही को निरस्त कर दिया था। बाद में उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ बीसीसीआई द्वारा दायर याचिका पर प्रतिबंध को बहाल कर दिया था। बीसीसीआई की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने मामले में रिकॉर्ड की गई टेलीफोन पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए अदालत से कहा कि यह स्पष्ट है कि धन की मांग की गई थी और संभवत: उन्होंने (श्रीसंत ने) हासिल भी किया। त्रिपाठी ने पीठ से कहा, ‘‘(श्रीसंत पर आजीवन कारावास लगाने का) अनुशासनात्मक समिति का फैसला कानूनन पूरी तरह टिकने लायक है।’’ उन्होंने कहा कि मामले में समिति की कार्यवाही एक ऐसी चीज पर है जो क्रिकेट के खेल को प्रभावित करती है। पीठ ने श्रीसंत की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019
श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगाना कानूनन पूरी तरह सही : बीसीसीआई
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