विशेष : एक निडर पत्रकार हैं रवीश कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

विशेष : एक निडर पत्रकार हैं रवीश कुमार

रवीश कुमार सावधान तुमको उसी तरीके से उड़ा देंगे जैसे जैश के आतंकी ने पुलवामा में सीआरपीएफ के जवान को उड़ा दिया है
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रवीश कुमार का सर कलम करने वाले को मिलेगा एक करोड़ ,रवीश कुमार सावधान तुमको उसी तरीके से उड़ा  देंगे जैसे जैश के आतंकी ने पुलवामा में सीआरपीएफ के जवान को उड़ा दिया है ।रवीश तुम देशद्रोही हो और रवीश जैसे लोगों के कारण ही इस देश में जैश जैसे आंतकी पैंदा हो रहे हैं । ऐसा ही कुछ प्रशांत भूषण को लेकर सोशल मीडिया में देखने का मिलता है ,प्रशांत भूषण देशद्रोही है इनका जो सर कलम करके लायेगा उसे मुंह मांगा इनाम दिया जाये, इन पर तो हमले भी हो चुके हैं। ऐसे कई नाम है जिनको देशद्रोही का सम्मान इसी देश के सम्मानित नागरिक ने दिया है और इन सम्मानित नागरिक का बस चले तो सरे आम चैक चैराहे पर इन सबों को फांसी लटका दें । हालांकि मेरे पोस्ट पर भी आये दिन इस तरह कि धमकी भरी प्रतिक्रिया आम है लेकिन मुझे हैरानी तब हुई जब इस तरह के सम्मानित नागरिक मेरे गांव के लोगों से ही धमकी दिलवाना शुरु कर दिया हंसी भी आयी लेकिन जिन लोगों के लिए मैं हमेशा 24 घंटे खड़ा रहता हूं उसकी खामोशी क्या कहना है । इससे पहले मुजफ्फरपुर कांड के समय मेरे थाने में तैनात अधिकारियों से मेरे ऊपर कोई केस तो नहीं है कही से कोई मामला है तो बताईए।

पूरी कुंडली खंगाल लिया लोगों ने ननिहाल कहां है ,दिल्ली विश्वविधालय में पढ़ता था वहां पता कर रह थे कुछ निकालो ईटीवी में दरभंगा रहा है वहां ढूढो । नहीं कुछ मिला तो कुछ लोग ये कहानी बनाना शुरु कर दिये कि मुजफ्फरपुर में पढ़ाई के दौरान इनके पिता जी ब्रजेश ठाकुर के यहां काम करते थे इससे भी बात नहीं बनी तो जातिए एंगल से मसले को प्रभावित करने कि कोशिश शुरु कि गयी , एक खास वर्ग के लोग पूरी ताकत लगा दिया किसी तरीके से संतोष सिंह का चरित्र संदेहास्पद बना दे, खैर बात आयी गयी क्या हुआ सबके सामने हैं । हमारी सेना बोर्डर पर लड़ती है आतंक प्रभावित इलाको में लड़ती है उन्हें पता है कि सामने खड़ा व्यक्ति दुश्मन है और उसे मारना है लेकिन देश के अंदर जो देश को घून की तरह खाये जा रहा है ,एक तो ऐसे लोगों का पता करना मुश्किल है पता भी चल गया तो पूरा सिस्टम उसके साथ खड़ा रहता है ,जैसे ही आवाज उठाईगा सभी टूट पडेंगे और ऐसी स्थिति में देश के अंदर के दुश्मन से लड़ना बहुत ही मुश्किल भऱा काम है ।ये चंद नाम ऐसे ही योद्धा का है जो देश के अंदर के दुश्मन से दो दो हाथ करते रहते हैं ठीक है ये मोदी के विचारधारा से सहमत नहीं है लेकिन याद करिए ऐसे तमाम योद्धा कांग्रेस के भी उतने ही विरोधी रहे हैं ,कांग्रेस राज में हुए अधिकांश भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले या फिर न्यायालय में मजबूती से लड़ने वालो की सूची में भी इन योद्धाओं का नाम सबसे ऊपर रहा है ।

भारत सरकार चार वर्ष पहले परीक्षा लिया और रिजल्ट नहीं दे रहा था ,और जिन लड़को का रिजल्ट आया गया भारत सरकार तीन वर्ष बीत गये किसी को नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा था , विश्वविधालय है पांच वर्ष में भी बच्चों को बीए की डिग्री नहीं मिल रही थी । कांलेज है शिक्षक एक दो छात्र दो हजार रवीश कुमार ने प्राइम टाइम में इस विषय को उठाया और लगातार 50 से भी अधिक ऐपिसोड चलाये । भारत सरकार को चालीस हजार से अधिक बच्चे को नियुक्ति पत्र देने पर मजबूर होना पड़ा ,बिहार जैसे राज्य में सेशन को लेकर राज्यपाल के स्तर में प्रयास तेज हुआ शिक्षक नियक्ति कि प्रक्रिया में तेजी लाने पर काम शुरु हुआ परिणाम सामने हैं ऐसे अनगिणत विषय पर जिस पर रवीश कि खबर के बाद प्रशासन और सरकार हरकत में आयी है । याद करिए शहाबुद्दीन जब जेल ले निकला था शहाबुद्दीन भले ही राजद से जुड़ा हुआ था लेकिन जेल से बाहर निकालने में सभी दल के बड़े नेता शामिल थे,। सिवान का वो चंदा बाबू जिसके तीन तीन बेटे को तेजाब में डाल कर जिंदा चीमनी में झोक दिया था एक भाई जो इस घटना का चश्मदीद था उसकी सरेआम हत्या इसलिए कर दी गयी थी कि वो शहाबुद्दीन के खिलाफ गवाही देने पर अड़ा रहा जबकि सरकार अपने ही वकील का बाॅर्डीगार्ड वापस ले लिया था ताकि वो सिवान तारीख पर नहीं जा सके । उस वक्त कौन सामने आया था शायद आप भूल गये होगे यही प्रशांत भूषण सामने आये थे और चंदा बाबू का केस मुफ्त में लड़े, वकील कि एक पूरी टीम दिल्ली से सिवान पहुंचा और चंदा बाबू से वकालतन पेपर पर दस्तख्त कराया और शहाबुद्दीन के खिलाफ केस लड़ा ।

जन सरोकार से जुड़े ऐसे सैकड़ो मामले हैं जिनको लेकर प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में लड़ते आ रहे हैं ।इसी तरह पटना हाईकोर्ट में भी एक सीनियर वकील थे एमपी गुप्ता जनहित याचिका के सहारे बिहार कि लालू राबड़ी सरकार को परेशान करके रख दिया था उस राज्य के आतंक को निष्प्रभावी बनाने में इनकी भी बहुत बड़ी भूमिका रहा थी कई अधिकारी जो लालू -राबड़ी के इशारे पर जुल्म करता था विकास के पैसे को लूट रहा था सारे या तो जेल गये या फिर उनको पेंशन नहीं मिला। हर गांव में एक व्यक्ति ऐसा मिल जायेगा जो सिस्टम सेे जीवन प्रयत्न लड़ता रहता है जिनमे सैकड़ो ऐसे लोग हैं जिनको अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है सैकड़ो ऐसे लोग हैं जो इस लड़ाई में जेल में उनका परिवार बर्बाद हो गया है । इस तरह देश के अंदर सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालो का देश के सैनिक कि तरह ही भारत को मजबूत बनाने में बड़ा योगदान है । ऐसे लोगों को दरकिनार करने कि जो कोशिश चल रही है उससे किसका नुकसान हो रहा है आम लोगों का जिसका कोई नहीं है । इस खेल में शामिल लोगों पर गौर करिए ये वही लोग है जो शहाबुद्दीन के साथ खड़े थे ,क्यों कि उस वक्त इनकी लड़ाई वामपंथी पार्टियों से थी । ये वही लोग है जिनके बाप दादा अंग्रेजों के गुलामी करते थे ये वहीं लोग हैं जो आपातकाल के समय इंदिरागांधी के साथ खड़े थे, ये वहीं लोग हैं जो 1989 में वीपी सिंह के खिलाफ गांव गांव में तर्क दे रहे थे । ये वही लोग है जिनका ना तो हिन्दू धर्म से कोई वास्ता है ना कभी गौ पालक रहे हैं गौर से देखिए ये वही सामंती लोग है जो आज भी समाज में जाति के नाम पर भेदभाव बनाया रखना चाहते हैं। ये भारत के विकास के दुश्मन है ये भारत के समृद्धि का दुश्मन है, ये चाहता है कि समाज में हिंसा का माहौल बना रहे और उसके आड़ में इन सबों कि दुकानदारी चलती रही ।



पत्रकार संतोष सिंह के फेसबुक वाल से 

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