बिहार : सरकार के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पिछले अठारह माह से वेतन नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

बिहार : सरकार के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पिछले अठारह माह से वेतन नहीं

जब ए.एन.एम. आंदोलनरत थे तो उनका मनोबल तोड़ने का जरूर किया गया प्रयास कहां 300 करोड़ रू.का प्रबंध हो गया है। आखिर वह गया कहां। अब ए.एन.एम.पूछ रही हैं कि वह 300 करोड़ की राशि आकाश में उड़ गयी कि धरती के गर्भ में चली गयी?
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पटना,05 फरवरी। बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पिछले अठारह माह से वेतन नहीं मिल रहा है। वेतन के लाले पड़ने से उन्हें भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों वेतन नहीं मिलने से परेशान कर्मचारियों ने हाजिरी बनाकर आंदोलन भी किए। उसका प्रभाव सरकार पर नहीं पड़ा। जब ए.एन.एम.आंदोलनरत थे तो उनका मनोबल तोड़ने का प्रयास जरूर किया गया। उन्हें बताया गया कि 300 करोड़ रू.का प्रबंध हो गया है। आखिर वह गया कहां। ए.एन.एम.पूछ रही हैं कि वह 300 करोड़ की राशि आकाश में उड़ गयी कि धरती के गर्भ में चली गयी? जी, आप ही बताएं कि क्यों बिहार सरकार ए.एम.एम.कर्मियों को वेतनादि देना नहीं चाहती है? साहब बिहार सरकार ने इनको केन्द्रीय परियोजना से जोड़ दी है। इसके कारण वेतनादि नहीं मिल पा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकार को सोचना चाहिए कि सभी लोगों का परिवार है। आखिर किस तरह से जीवन व्यक्तित करेंगे? स्वास्थ्य विभाग के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अलग-अगल ए.एन.एम.कर्मियों को पिछले अठारह माह से वेतन नहीं मिल रहा है। वेतन नहीं मिलने से वेतन के लाले कर्मियों के घर में  पड़ने लगा है। इससे उन्हें भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

बताते चले कि स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न तरह के कई हेड है। एक हेड है 2210। इस हेड में रहने वाली ए.एन.एम.कर्मियों को बिहार सरकार के द्वारा नियमित नहीं तो तीन-चार माह  के बाद वेतन मिल जाता हैा। उनको भी जरूर परिवार चलाने में परेशानी होती है। इससे अधिक परेशानी 2211 हेड वाली ए.एन.एम. कर्मियों को हो रहा है। परेशान ए.एन.एम.कर्मियों के परिजन सीएम और स्वास्थ्य मंत्री से गुहार लगातेे लगाते थकहार गए तब जाकर उनलोगों ने हाजिरी बनाकर आंदोलन किए। इसका असर सरकार के ऊपर नहीं पड़ा। जानकार लोगों का कहना है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के अंशदान से 2211 हेड वाली ए.एन.एम.कर्मियों को वेतनादि मिलता है। इसमें केन्द्रीयांश 60 और राज्यांश 40 प्रतिशत का है। डबल इंजिन की सरकार में यह हाल है तो केन्द्र और राज्य में अलग-अलग सरकार रहने पर क्या होगा? वेतन नहीं मिलने से उन्हें आर्थिक दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है। आलम यह है कि चार माह से बिना वेतन के पारिवारिक जिम्मेदारियां निभा रहें कर्मियों को अब रोजी-रोटी तक के लाले पड़ने शुरू हो गए हैं। कई बार गुहार लगाए जाने के बावजूद कर्मचारियों के वेतन भुगतान के संबंध में सरकार की ओर से कोई जिम्मेदारी नहीं ली जा रही है, जिससे कर्मचारियों में गुस्सा है। कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ने से उनके परिवारों को भुखमरी के हालातों से गुजरना पड़ रहा है।  दिल में दर्द और चेहरे पर मुस्काल बिखेरकर ए.एन.एम.कर्मी एमआर टीकारण अभियान में जुड़े हुए हैं। अभी स्कूलों में एमआर टीकाकरण अभियान चल रहा है।

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