नयी दिल्ली, 31 जनवरी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लेखनी को दबाने के प्रयासों को रोकने की जरूरत पर बल देते हुये कहा है कि सभ्यता के वजूद को बचाने के लिये ‘लेखनी’ की पवित्रता को बरकरार रखना जरूरी है। मुखर्जी ने बृहस्पतिवार को ‘अमर उजाला फांउडेशन’ के पहले शब्द सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये ‘शब्दों’ और ‘लेखनी’ के महत्व का जिक्र करते हुये कहा ‘‘वास्तव में सभ्यता के वजूद के लिये लेखनी और लेखन की पवित्रता को बरकरार रखना होगा।’’ उन्होंने साहित्य या अन्य क्षेत्रों में लेखनी को दबाने के प्रयासों को नाकाम बनाने की जरूरत पर बल देते हुये कहा, ‘‘मैं लिखे और बोले गये उन शब्दों की ताकत का उल्लेख करना चाहूंगा जो सदियों से सहस्त्रों विचारों के प्रकटीकरण का माध्यम बने हैं। इन शब्दों और लेखनी की पवित्रता को बरकरार रखना हमारा दायित्व है।’’ इस अवसर पर मुखर्जी ने हिंदी साहित्य में जीवन पर्यन्त उल्लेखनीय योगदान के लिये वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह को सर्वोच्च शब्द सम्मान ‘आकाशदीप’ से सम्मानित किया। इसके अलावा कन्नड़ लेखक गिरीश कर्नाड को हिंदी से इतर भारतीय भाषा श्रेणी में आकाशदीप सम्मान से नवाजा गया। दोनों वरिष्ठ साहित्यकार खराब स्वास्थ्य के कारण सम्मान समारोह में हिस्सा नहीं ले सके। मुखर्जी ने सिंह और कर्नाड के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। इनके अलावा श्रेष्ठ कृति सम्मान श्रेणी में कथाकार मनीष वैद्य के कहानी संग्रह ‘फुगाटी का जूता’, कवि आर चेतनक्रांति को कविता संग्रह ‘वीरता पर विचलन’ के लिये, कथाकार अनिल यादव के उपन्यास ‘सोनम गुप्ता बेवफा नहीं है’ के लिये, अनुवाद श्रेणी में गोरख थोरात को मराठी कविता संग्रह के हिंदी अनुवाद ‘देखणी’ के लिये और उदयीमान साहित्यकार के रूप में प्रवीण कुमार के पहले कथा संग्रह छबीला ‘रंगबाज का शहर’ के लिये शब्द सम्मान से नवाजा गया। इस मौके पर शब्द सम्मान के निर्णायक मंडल के सदस्य विश्वनाथ त्रिपाठी, मंगलेश डबराल, सुधीश पचौरी और ज्ञानरंजन भी मौजूद थे। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने प्रिंट मीडिया द्वारा ‘लोकतंत्र के सचेतक’ की अपनी मूल भूमिका से इतर साहित्य के प्रोत्साहन की दिशा में कारगर पहल करने की सराहना की।
शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019
सभ्यता के वजूद को बचाने के लिये ‘लेखनी’ की पवित्रता को बरकरार रखना होगा : मुखर्जी
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