बिहार सरकार के द्वारा विमुक्त राशि से सहायकों को बल्ले-बल्ले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 13 मार्च 2019

बिहार सरकार के द्वारा विमुक्त राशि से सहायकों को बल्ले-बल्ले

जब सहायक ही दलाली करने पर उतारू हो जाते हैं, निर्गत आदेश से राज्यकर्मियों के वेतनमान बनाने व निकासी करने वाले सहकर्मी सेवा के बदले मेवा खाने के जुगाड़ में लग गए
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मोकामा,13 मार्च। पटना जिले के असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी है डाक्टर प्रमोद कुमार झा। उन्होंने अपने अधीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि साल भर से अधिक दिनों से वेतन भुगतान से वंचित ए.एन.एम. को हरहाल में 15.03.2019 तक सभी लम्बित भुगतान अघतन करना सुनिश्चित करेंगे।उन्होंने यह चेतावनी दी है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में लम्बित भुगतान रहने की स्थिति में 2019-20 के लिए कमिटमेंट राशि का प्रावधान नहीं किया जाएगा। इसे अत्यंत ही गंभीरता से ले। इसी गंभीरता के आलोक में ‘कार्यरत सहायक‘ नाजायज ढंग से ए.एन.एम. से वसूली करने का मन बना चुके हैं। सेवा शुल्क बटोरने का धंधा जारी है।

 बताते चले कि पटना जिले में कार्यरत ए.एन.एम. को दो प्रकार के शीर्ष से वेतनादि मिलता है। एक शीर्ष है 2210 और द्वितीय 2211। शीर्ष 2011 में केन्दांश और राज्यांश का अंश रहता है। राशि के अभाव में डेढ़ साले से अधिक दिनों का वेतनादि ए.एन.एम.को नहीं मिल रहा था। राज्य सरकार के द्वारा दिनांक 28.02.1019 को एक अरब चैरानबे करोड़ दस लाख तिनेपन हजार पांच सौ छह विमुक्त किया गया है। इस राशि को निर्गत करने से राज्यकर्मियों में हर्ष व्याप्त है। अब दुकानदार, मकान मालिक, बिजली बिल,स्कूल फीस, बैंक लाॅन के साथ अन्य ऋण उतार पाएंगे।  इसके आलोक में डाक्टर प्रमोद कुमार झा, सिविल सर्जन सह सदस्य सचिव जिला स्वास्थ्य समिति पटना ने 05.03.2019 को आदेश निर्गत जारी किया है कि 15.03.2019 तक सभी लम्बित भुगतान अघतन करना सुनिश्चित करेंगे। वित्तीय वर्ष 2018-19 में लम्बित भुगतान रहने की स्थिति में 2019-20 के लिए कमिटमेंट राशि का प्रावधान नहीं किया जाएगा। इस तरह के डाक्टर प्रमोद कुमार झा, सिविल सर्जन सह सदस्य सचिव जिला स्वास्थ्य समिति पटना के निर्गत आदेश से राज्यकर्मियों के वेतनमान बनाने व निकासी करने वाले सहकर्मी सेवा के बदले मेवा खाने के जुगाड़ में लग गए हैं। कब से कब पांच हजार रू.की मांग कर रहे हैं। ऐसे लोगों की शिनाख्त कर कार्यवाही करने की जरूरत है। वहीं अब समय आ गया है कि राज्यकर्मियों के वेतनादि सहायकों के दायरे से मुक्त कर दिया जाए। सरकारी योजनाओं में बिचैलियां का आगमन की तरह ही सहकर्मी दलाली करने लगे हैं। सरकारी योजना की तरह ही बिहार सरकार के सहायक भी दलाली करके सेवा के बदले में मेवा खाने पर उतारू हो गए हैं। वेतन विमुक्त करने के नाम पर मोटी राशि बटोरने का हथकंडा अपनाने लगे हैं।

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