विशेष : झूठ को पांव लगाने के राजनीतिक प्रयास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 मार्च 2019

विशेष : झूठ को पांव लगाने के राजनीतिक प्रयास

कहावतें हमेशा बहुत बड़ा संदेश देती हैं, साथ ही व्यक्ति को सचेत करने का काम करती है। कहते हैं कि एक झूंठ को सौ बार बोला जाए तो वह सच जैसा लगने लगता है और कई बार बोला जाए तो यह भी हो सकता है कि व्यक्ति सच को ही पूरी तरह से भूल जाएं। वर्तमान राजनीतिक वातावरण में पूरी तरह से झूंठ प्रमाणित हो चुके शब्द को बार-बार दोहराया जा रहा है। यहां सबसे ज्यादा ध्यानाथ तथ्य यह है कि इसे केवल प्रचारित किया जा रहा है, प्रमाणित नहीं किया जा रहा। प्रमाण देने के लिए राजनीतिक दलों के पास कुछ है ही नहीं। क्या यह केवल राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करने के लिए जनता को भ्रमित करने का षड्यंत्र मात्र है। यह मीमांसा का विषय हो सकता है और होना भी चाहिए। 

बात चल रही है राफेल की। इसमें कांग्रेस के नेताओं को समस्या क्या है, उसका मूल भाव सामने अभी तक नहीं आ सका है, लेकिन इसके बारे में देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय को एक प्रकार से अस्वीकार करने की मानसिकता निश्चित ही देश में भ्रम पूर्ण वातावरण बनाने का काम कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी चुनावी आमसभाओं में खुलेआम रुप से नारे लगवा रहे हैं 'चौकीदार... चोर है...। इस प्रकार का नारा लगवाने के पीछे ऐसा लगता है कि यह राहुल गांधी और उनके नेताओं में सत्ता की भूख जाग्रत हो चुकी है। क्योंकि जिस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कांग्रेसी नेता चोर बताने का प्रयास कर रहे हैं, उनका पूरा परिवार आज भी उसी स्थिति में हैं, जैसी वह पांच साल या पन्द्रह वर्ष पूर्व में था। यहां पन्द्रह वर्ष का जिक्र इसलिए किया गया कि नरेन्द्र मोदी का परिवार गुजरात में निवास करता है और प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी गुजरात के सफल मुख्यमंत्री रहे। यह सच है कि गुजरात प्रदेश में मुख्यमंत्री के रुप में और अब प्रधानमंत्री के रुप में नरेन्द्र मोदी ने देश में उस मिथक को तोड़ा है, जिसमें कहा जाता था कि सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकती। झूंठ चाहे जितना बोला जाए, लेकिन सच यही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। इसके विपरीत हम देखें कि पिछली सरकार का कार्यकाल कैसा रहा? उस समय केन्द्रीय मंत्री भी भ्रष्टाचार के लपेटे में आए। कई पर प्रकरण चला और जेल भी गए। कांग्रेस सहित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के राजनेताओं में आज भी इतना साहस नहीं है कि वह अपने शासनकाल की उपलब्धियों के आधार पर चुनावी सभा कर सकें।

वर्तमान में देश का राजनीतिक चुनावी वातावरण पूरी तरह से नरेन्द्र मोदी युक्त हो गया है। देश का कोई भी राजनीतिक दल हो, उनका भाषण मोदी के बिना अधूरा ही रहता है। मोदी वर्तमान समय की राजनीतिक धुरी बन गए हैं। आज की राजनीति का यह भी सबसे बड़ा सच है कि नरेन्द्र मोदी ने अपने काम और समर्पण के आधार पर अपने आपको इतना बड़ा कर लिया है कि सब उसके सामने बौने ही दिखाई दे रहे हैं। विपक्ष का यह बौनापन ही भड़ास निकालने का कारण बनता जा रहा है। हर कोई अपने आपको नरेन्द्र मोदी के बराबर बताने का प्रयास करता दिखाई दे रहा है। उनको संभवत: यही लगता होगा कि जनता उन्हें किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं समझे। वास्तविकता क्या है, यह राजनीतिक विश्लेषक भी जानते हैं और आम जनता भी जानती है। आज विपक्ष भले ही एकजुट होकर अपने सपने साकार करने की मुद्रा में दिखाई दे रहा हो, लेकिन सच यह है कि विपक्ष का कोई भी राजनीतिक दल अपने स्वयं के दम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकता। अपने आपको मुकाबले में बनाए रखने के लिए ही विपक्ष की ओर से झूंठ का सहारा लिया जा रहा है। और इसीलिए ही मनगढ़ंत तरीके से 'चौकीदार चोर हैÓ जैसे हवाई फायर किए जा रहे हैं। वास्तव में इस नारे की हवा तो उसी समय निकल गई थी, जब फ्रांस की ओर से स्पष्टीकरण आ गया था। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने भी कागजों की जांच करने के बाद किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इंकार किया था। ऐसे में विपक्षी दल खासकर कांग्रेस की ओर से चौकीदार चोर है का राग अलापना मात्र भ्रम की स्थिति को निर्मित करने का एक राजनीतिक प्रयास भर है।

इसके अलावा कुछ कांग्रेस नेताओं के बयानों के निहितार्थ तलाश किए जाएं तो उन्होंने एक अलग प्रकार की राजनीति करने वाले बयान दिए हैं। देश में व्याप्त सत्तर साल की समस्याओं के लिए भी वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराना राजनीतिक अपरिपक्वता का ही नमूना कहा जा सकता है। इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि भ्रम फैलाने के मामले में देश के राजनेताओं को विशेषज्ञता हासिल है। उनकी झोली में तमाम प्रकार के तर्क और कुतर्क भी हैं। जिनमें से कुछ तो निकल चुके हैं और कुछ निकलने के लिए समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसा हम इसलिए भी कह रहे हैं कि हमने अभी हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान देखा। किस प्रकार से समाज को विभाजित करने का खेल खेला गया। कुछ ऐसा ही इस बार भी हो सकता है। इसलिए अब जनता को भी सावधान होने की आवश्यकता है। वह वर्तमान स्थिति का पूरी गंभीरता के साथ अध्ययन करे और देश को एक बार फिर मजबूत सरकार बनाने की दिशा में मतदान करे।



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सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश
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