- एक नहीं तीन बार लालू नगर मुसहरी में शौचालय बनाया गया और अधूरा ही रह गया
- यहां दिल की अरमान आंसूओं में बह गए पर शौचालय बना ही नहीं
राजधानी पटना में स्थित है लालू नगर नामक मुसहरी में 1992 से लेकर 2019 तक तीन बार शौचालय बनाने का प्रयास किया गया। तीनों बार महादलितों को शौचालय देने के बदले धोका ही दिया गया। नतीजा है कि महादलित 27 साल से खुले मैदान में ही शौचक्रिया कर रहे हैं।
पटना,05 मार्च। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि घर-घर शौचालय बनाने का काम चल रहा है। बापू के 150 वीं 2019 तक घर-घर शौचालय निर्माण हो जाएगा। हुजूर कम से कम बालूपर स्थित लालू नगर मुसहरी में शौचालय बनवा दें। लोग मजबूरी में खुले में शौचक्रिया कर रहे हैं। गाली खाकर गंदगी निकाल रहे हैं। कांग्रेस को परास्तकर छात्र नेता लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने। 1990 से लेकर 2005 तक लालू-राबड़ी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन रहे। बतौर मुख्यमंत्री बनकर लालू प्रसाद यादव ने काफी कार्य किए। महादलितों के टोला में भ्रमण किए। उनको वासगीत पर्चा दिए। मकान भी बना दिए। उन्हीं के कार्यकाल में 1992 में बालूपर मुसहरी में मकान बना। 16 मुसहर समुदाय के लोग झोपड़ियों में रहते थे। 16 महादलितों को एक तल्ला मकान बनाकर दिए। इससे खुश होकर लालू यादव के समर्थकों ने मुसहरी का नाम लालू नगर रख दिया। तब से यह मुसहरी लालू नगर से विख्यात है। इसके बाद पुरूषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय बना। न पानी की व्यवस्था की गयी और न ही जल निकासी का प्रबंध नहीं किया गया। फलतः प्रथम प्रयास का शौचालय कामयाब न हो सका।
दीघा ग्राम पंचायत के बंटवारा के बाद पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत का सृजन हुआ। पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत की मुखिया ने 16 परिवार वाले मुसहरों के नाम से शौचालय निर्माण करवाया। वर्ष 2017 में 16 शौचालय बना। जो बीच में ही अधूरा शौचालय बनाकर फरार हो गया। इस तरह दूसरा प्रयास भी 2 साल से बेकार साबित हो रहा है। पूर्वी दीघा, पष्चिमी दीघा, पूर्वी मैनपुरा, पश्चिमी मैनपुरा और उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत को भंगकर नगर निगम में शामिल कर लिया गया। भंग पंचायतों को नूतन राजधानी अंचल में शामिल कर लिया गया। वार्ड का विभाजन भी कर लिया गया है। वार्ड संख्या-22 ए, वार्ड संख्या-22 बी और वार्ड संख्या- 22 सी। वार्ड संख्या-22 ए के वार्ड पार्षद दिनेश कुमार हैं। वार्ड संख्या-22 बी की वार्ड पार्षद सुमित्रा सिन्हा और वार्ड संख्या-22 सी की वार्ड पार्षद रजनी देवी है। वार्ड संख्या-22 ए के वार्ड पार्षद दिनेश कुमार के तीसरा प्रयास से 6 शौचालय बनाया जा रहा है। 2018 से ही 6 माह से शौचालय बन रहा है। गड्ढा खुदाई कर छोड़ दिया गया है। उक्त गड्ढे में लघुशंका करने अर्जुन मांझी गए थे। चम्पल में पैर फंस जाने से अर्जुन गड्ढे में गिर गया। आंख से ऊपर 6 टांका पड़ा है। तीसरा भी अधूरा ही रह गया है। यहां के लोगों ने कहा कि आसपास में घर बन जाने से शौचक्रिया करने की जगह नहीं है। किसी तरह से शौच कर भी लेते हैं तो जमीन पर वाले गाली बकते हैं और ईंटा फेंकते हैं। इनकी दिक्कत देखकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यहां पर एकमात्र मैट्रिक उत्र्तीण धमेंद्र कुमार मांझी है। उनके ही प्रयास से शौचालय बन रहा है। जो अधूरा ही रह गया है।
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