दो सौ अंक वाली रोस्टर प्रणाली के लिए अध्यादेश के संकेत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 6 मार्च 2019

दो सौ अंक वाली रोस्टर प्रणाली के लिए अध्यादेश के संकेत

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नयी दिल्ली, 05 मार्च, मोदी सरकार ने विश्वविद्यालयों और कालेजों के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आरक्षण के मामले में दो सौ अंकों वाली रोस्टर प्रणाली लागू करने के वास्ते अध्यादेश लाने का संकेत दिया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आरक्षण को लेकर मंगलवार को भारत बंद के दिन मंगलवार सुबह अपने आवास पर पत्रकारों के सामने यह स्पष्ट संकेत दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मोदी सरकार सामाजिक न्याय के पक्ष में है और 200 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली लागू करेगी तथा दो दिन में शिक्षकों को न्याय मिल जायेगा। इस संबंध में गुरुवार को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में अध्यादेश को मंज़ूरी मिलने की सम्भावना है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 13 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली को जब जायज़ ठहरा दिया तो सरकार ने पुनरीक्षण याचिका दायर की लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया। उनका मानना है कि रोस्टर के लिए विभाग नहीं बल्कि विश्वविद्यालय इकाई हो, इसलिए वह दो सौ अंकों वाले रोस्टर के पक्ष में हैं और उसे लागू करेंगे। बस दो दिन रुक जायें। उन्होंने कहा कि वह राज्यसभा और लोकसभा में वचन दे चुके थे कि दो सौ अंकों वाला ही रोस्टर लागू किया जायेगा। इसलिए आज भारत बंद करने वाले शिक्षकों से वह अपील करते हैं कि वे दो दिन रुक जाएँ, उन्हें न्याय मिल जायेगा। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने आज भारत बंद को लेकर रैली भी निकली और प्रदर्शन भी किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी कल केन्द्रीय समिति की बैठक में अध्यादेश लाने की मांग की थी। इससे पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व सदस्य तथा भाजपा समर्थक प्रसिद्ध शिक्षक नेता इन्दर मोहन कपाही और ए. के. भागी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्री जावडेकर को पत्र लिखकर दो सौ अंकों वाली रोस्टर प्रणाली को लागू करने की मांग की थी, डूटा एवं अन्य शिक्षक संगठन गत एक वर्ष से यह मांग करते आ रहे थे और इसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालयों और कालेजों में हड़ताल कर रहे थे।  इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा 13 अंक वाले रोस्टर को जायज ठहराने और फिर उच्चतम न्यायलय द्वारा उस फैसले को बरक़रार रखने के कारण दलित आदिवासी और पिछड़े वर्ग के शिक्षकों के लिए नौकरी से वंचित हो गये थे। इस फैसले से दिल्ली के के चार हज़ार तदर्थ शिक्षकों पर तलवार लटक गयी थी।

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