बिहार : ‘हाउस वर्करों‘ की स्थिति में सुधार लाने हेतु कदम उठाएं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

बिहार : ‘हाउस वर्करों‘ की स्थिति में सुधार लाने हेतु कदम उठाएं

‘हाउस वर्करों‘ के न्यूनतम मजदूरी के तहत मिलने वाले वेतन से अंशदान काटकर भविष्य निधि कार्यालय में भेजेऐसा करने से रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलने की संभावना बढ़ जाएगी
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पटना,26 अप्रैल। मिशनरी संस्थाएं हैं कार्यरत पटना महाधर्मप्रांत के क्षेत्र में। अधिकांश मिशनरी संस्थाएं पंजीकृत हैं। इन संस्थाओं के द्वारा शिक्षा, चिकित्सा, संचार, ग्रामीण विकास आदि में कार्य किया जाता है। यहां पर केन्द्र और राज्य सरकार के कानून लागू होते हैं। सरकार के द्वारा पारित केन्द्रीय वेतनमान मिलता है। वहीं रिटायरमेंट के बाद भविष्य निधि कार्यालय से  पेंशन मिलता है। केन्द्रीय वेतनमान डकारने वाले मिशनरी संस्थाओं के संचालकों एवं विभिन्न पल्लियों में कार्यरत कर्मियों को केन्द्रीय वेतनमान नहीं देते हैं। उनको बिहार सरकार के द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी को मनमाने ढंग से वेतनमान में ढालकर वेतन देते हैं। उनको रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं दिया जाता है। ऐसे कर्मियों को मिशनरी संस्थाओं के संचालक ‘हाउस वर्कर‘ कहकर संबोधित करते हैं। जानकार लोगों का कहना है कि पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा अधिकांश पल्लियों की संस्था के अध्यक्ष हैं। अगर विलियम डिसूजा चाहे तो पल्लियों में कार्यरत कर्मियों का अंशदान काटकर भविष्य निधि कार्यालय में भेज सकते हैं ताकि ऐसे लोगों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल सकें।

विगत कुछ दिनों के क्रियाकलापों को देखने से पता चलता है कि आजकल ईसाई समुदाय के बीच में काफी अनबन चल रही है। अपने ही लोगों के बीच में चलन चल गया है कि किस तरह से एक-दूसरे को नीचा दिखा सके। सर्वविदित है कि ईसाई समुदाय धरातल पर से उठने के लिए काफी प्रयास किया है। पहले हम ‘क‘ से कर्मचारी होते थे। उसके बाद कुछ इंगलिश जाने तो ‘ A‘ से आया बन गए। ‘B‘ से बेहरा, ‘C‘ से कारपेंटर हो गए। ‘D‘ से दरवान हो गए। अब उसमें परिवर्तन आया है। किसी तरह से ईसाई समुदाय पनप गया है। वह मिशनरी स्कूल भी हो सकता है। जहां से पूर्ण पढ़ाई तो नहीं हो पाती है। अगर पूर्ण पढ़ाई होती तो आई.ए.एस.,आई.पी.एस. बने रहते थे। उसके लिए व्यक्तिगत अपनी क्षमता होने की भी जरूरत है। हां जो आगे बढ़ गए हैं उन्हें और आगे बढ़ने की जरूरत है। वह किसी तरह से बढ़ा है। उससे प्रेरणा लेने की जरूरत है। मगर जो आगे बढ़ गए हैं उनका साफ मतलब होना चाहिए कि वे किसी भी व्यक्ति को पीछे नहीं धकेले। हां आप किसी व्यक्ति को दबाकर नहीं खड़े होने की कोशिश करें। संसार और सृष्टि का नेचर है कि हर कोई आगे बढ़ते जाता है।फिर वह सामने वाला क्यों नहीं बढ़ रहा है़! इस ओर आपने कभी सोचा है। एक सोच विकसित हुआ है। जो मिशनरी में कार्यरत हैं। उनको रिटायर होने पर पेंशन नहीं मिलता है। कारण कि पटना धर्मप्रांत में कार्यरत संस्थाओं के पास कम कर्मचारी हैं। कम कर्मचारी होने पर पेंशन मिलना मुश्किल है। पटना धर्मप्रांत के हाउस में कार्यरत कर्मचारियों को मिलाकर यूनियन बना दें। और पीएफ काटकर पीएफ आॅफिस में जमा करवाया जाए। इस बारे में पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा को कदम उठाने की जरूरत है। महाधर्माध्यक्ष इस ओर आप क्या सोचते हैं? क्या हम अपने अधीन कर्मचारियों को बराबरी हक दिला सकते हैं? यह हमारी इच्छा है। हमारी इच्छा को अपनी इच्छा बना लें। वक्त की मांग है।  

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