जो जमीन और पानी के मुद्दे पर बात करेंगा वह सत्ता पर राज करेंगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 13 अप्रैल 2019

जो जमीन और पानी के मुद्दे पर बात करेंगा वह सत्ता पर राज करेंगा

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गुना,12 अप्रैल ।  सहरिया जाति के लाेग ठान लिए हैं कि जो जमीन और पानी के मुद्दे पर काम करेगा वह सत्ता पर राज करेगा। इसी को को वोट करेंगे।इनके सुर में सुर एकता परिषद भी मिलाने लगी है।एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार कहते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार के लिए संघर्ष-संवाद करते रहे आदिवासी और जीत सुनिश्चित है। यहां के बम्होरी में आगे श्री परमार कहते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार के लिए लोक सभा चुनाव के प्रत्याशियों से संवाद कर आदिवासी समुदाय द्वारा निर्णय लिया जाना चाहिए। उक्त उद्गार एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार ने गुना जिले के बम्होरी में आयोजित सहरिया एकता पंचायत के दौरान कही। एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार ने कहा कि सहरिया समाज अपनी भूमि से बेदखली, वनभूमि पर अधिकार का अभाव और पीने के लिए पानी की समस्याओं से जूझ रहा है। प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार के लिए एकजुट होकर वोट की ताकत से लोक सभा चुनाव के प्रत्याशियों से अपने पक्ष में काम करने की सहमति पत्र मिलने सामुदायिक निर्णय लेना होगा। लोक सभा चुनाव हमारे गणतंत्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसलिए समय से सभी मतदाता वोट देने के लिए जरूर जायें और अपनी ताकत का प्रदर्शन करें। परांठ गांव की मुन्नी बाई ने बताया कि 1 लाख की सूद पर ब्याज जोड़कर 6 लाख करके गांव के दबंग ने उसकी 6 बीघा जमीन को हडप लिया है। 4 साल से उनके परिवार को राशन नहीं मिल पाया है। पारोंदा के लितरू आदिवासी ने बताया कि उसकी 10 बीघा जमीन सीमांकन के बाद भी दबंग व्यक्ति नहीं छोड़ रहा है और ढिमरपुरा के लोगों ने परोंदा आने जाने का मार्ग भी कब्जा कर लिया है। नौनेरा गांव के भारत आदिवासी ने बताया कि 35 परिवारो वनभूमि पर 2006 के पूर्व कब्जा है किंतु दावा दाखिले के बाद भी अधिकार नहीं मिला है। 

पंचायत में सर्वसम्मति से तय किया गया कि वनाधिकार, जमीन का हडपना, बंधुआ मजदूरी, पीने के पानी की समस्या, राशन कार्ड और पेंशन जैसे मुद्दों को आगामी लोकसभा चुनाव में सभी प्रत्याशियों के सामने रखा जाएगा तथा लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों के साथ लिखित में समझौता किया जाएगा। जो प्रत्याशी इन मुद्दों पर चुनाव के बाद काम करने की लिखित स्वीकृति देंगे उनको सहरिया समाज वोट करेगा। एकता परिषद के साथी 10 दिन के अंदर पूरे बमोरी विधानसभा क्षेत्र के गांव में पानी की समस्या वाले  गांवों की पहचान करेंगे और उसको प्रशासन को सौंपेंगे। वनभूमि अधिकार की समस्या, पट्टा है कब्जा नहीं की समस्या, बंधुआ मजदूरी की समस्या से ग्रस्त परिवारों की सूची तैयार कर काम किया जायेगा। इसी तरह से पंचायत ने मांग किया कि जिन बंधुआ मजदूरों को पूर्व में मुक्त कराया गया था, उनको पूनर्वास योजना के अंतर्गत शामिल किया जाये तथा एक अभियान चलाकर बंधुआ मजदूरों की सूची तैयार कर कार्यवाही की जाये। सहरिया आविासी परिवारों की महिलाओं को पेंशन की व्यवस्था और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन की व्यवस्था की जायें। पंचायत को सम्बोधित करते हुए रामप्रकाश शर्मा ने कहा कि सरकार आदिवासी हितों की अनदेखी करती चली आ रही है। पंचायत में गुना जिले के संयोजक सतीश मिश्रा, वरिष्ठ कार्यकर्ता अनिल भाई, दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता सलील जी ने भी भागीदारी की। पंचायत में 22 गांवो के सहरिया समाज के आदिवासी मुखियाओं ने भाग लिया। पंचायत का आयोजन एकता परिषद की गुना जिला इकाई के द्वारा किया गया।

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