हिंदु-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में है जालियांवाला बाग कांड: मीना तिवारी
जालियांवाला बाग हत्याकांड की शतवार्षिकी पूर्व संध्या पर आज पटना सहित राज्य के विभिन्न केंद्रों पर कैंडल मार्च निकाला गया और हत्याकांड में मारे गए शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. राजधानी पटना के कारगिल चैक (भगत सिंह चैक) और पटना सिटी में नागरिकों की ओर से कैंडल मार्च निकाला गया. कारगिल चैक पर सैंकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित होकर श्रद्धांजलि सभा को आयोजित किया. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि जालियांवाला बाग हत्याकांड न केवल साम्राज्यवादी ताकतों की कू्ररता का बल्कि हिंदु-मुस्लिम एकता का भी परिचायक है. उन्होंने कहा कि देश ने जिस हिन्दू -मुस्लिम एकता के बल पर साम्राज्यबवाद का मुकाबला किया था, आज उस एकता को आज के निरंकुश शासकों के हमलों से हर कीमत पर बचाने की चुनौती हमारे सामने है. उन्होंने कहा कि अप्रैल 9, 1919 को राम नवमी था - उस दिन डॉ सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल की गिरफ्तारी के खिलाफ जनता को हिन्दू-मुस्लिम एकता के नारे लगाते हुए और मुसलमानों को राम नवमी के जुलूसों में शामिल देख कर ब्रिटिश शासकों को 1857 के दोहराए जाने का भय सताने लगा और इसी कारण जालियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया गया. आज से 100 वर्ष पहले हिंदू-मुस्लिम एकता के नारे से ब्रिटिश शासक घबराते थे, ऐसे नारों को ‘राजद्रोह’ मानते थे. लेकिन संघ के गोलवलकर, दीन दयाल उपाध्याय जैसे नेता भी ‘हिन्दू-मुस्लिम एकता के नारों के खिलाफ लिखते थे. जबकि जलियांवाला बाग के शहीदों से और 1857 और गदर आंदोलन के गदरियों से प्रेरित भगत सिंह, हिंदू मुस्लिम एकता की जरूरत पर लोगों को सचेत कर रहे थे. दंगा व नफरत फैलाने वालों के देश विरोधी और अंग्रेज प्रेमी चरित्र को उन्हों्ने अच्छी तरह से समझ लिया था. आज संघ और भाजपा हिंदू मुस्लिम एकता के लिए काम करने वालों को देशद्रोही-राजद्रोही कहती है और दंगाइयों को देश भक्ति का सर्टिफिकेट देती है. आज संघ, भाजपा, मोदी-योगी सब बांटो और राज करो वाले अंग्रेजों के शासन वाले मॉडल पर चल रहे हैं. यही वे काले अंग्रेज हैं जिनके खिलाफ भगत सिंह ने हमें सचेत किया था. जलियांवाला बाग के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब हम हिंदू मुस्लिम एकता तोड़कर नफरत फैलाने वाली संघी-भाजपाई ताकतों को पराजित करेंगे. सभा को उनके अलावा भाकपा-माले की राज्य कमिटी के सदस्य रणविजय कुमार, रामबलि प्रसाद, मुर्तजा अली, अनिता सिन्हा, अशोक कुमार, रामकल्याण सिंह आदि माले कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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