बिहार : ‘ऊंची-उड़ान‘ नामक नाटक के बल पर विक्टर फ्रांसिस उड़ते चले गए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 7 अप्रैल 2019

बिहार : ‘ऊंची-उड़ान‘ नामक नाटक के बल पर विक्टर फ्रांसिस उड़ते चले गए

  • 35 सालों से जुड़े हैं रंगमंच, दूरदर्शन और आकाशवाणी से बहुआयामी विक्टर को कई बार सम्मानित भी किया गया

अपनी रंगमंचीय यात्रा स्वलिखित नाटक ‘ ऊंची-उड़ान‘ से प्रारंभ की। उसके बाद विक्टर फ्रांसिस का उड़ान थमने का नाम नहीं लिया। इन 35 सालों के दरम्यान विक्टर ने सैकड़ों नाटकों, नुक्कड़ नाटकों एवं सांस्कृतिक कार्याक्रमों का आयोजन एवं निर्देशन किया। स्वलिखित नाटकों में ‘ ऊंची-उड़ान ‘ के अलावे ‘सिसकती खामोशी‘, ‘दरका हुआ दर्पण‘,‘तकिया कलाम‘,‘वापसी‘,‘अंधी सभ्यता‘, ‘खौफनाक रात‘ एवं भोजपुरी नाटक ‘धुरपतिया‘काफी लोकप्रिय रहे।
onchi-uda-played
पटना,07 अप्रैल। पटना शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कुर्जी,बालूपर।यहां पर रहते हैं विक्टर फ्रांसिस। 1984 में कलाकृति नाट्य संस्था की स्थापना की। इसी साल पष्चिमी चम्पारण के बेतिया में जन्म लेने वाले रंगकर्मी रंगमंच की दुनिया में अपना पहला कदम रखा। उन्होंने अपनी रंगमंचीय यात्रा स्वलिखित नाटक‘ ऊंची-उड़ान से प्रारंभ की। उसके बाद विक्टर फ्रांसिस का उड़ान थमने का नाम नहीं लिया। इन 35 सालों के दरम्यान विक्टर ने सैकड़ों नाटकों, नुक्कड़ नाटकों एवं सांस्कृतिक कार्याक्रमों का आयोजन एवं निर्देशन किया। स्वलिखित नाटकों में ‘ ऊंची-उड़ान के अलावे ‘सिसकती खामोशी‘, ‘दरका हुआ दर्पण‘,‘तकिया कलाम‘,‘वापसी‘,‘अंधी सभ्यता‘, ‘खौफनाक रात‘ एवं भोजपुरी नाटक ‘धुरपतिया‘काफी लोकप्रिय रहे।

जब विक्टर फ्रांसिस ‘दरका हुआ दर्पण‘ में बने ‘बिहारी‘ 
इस नाटक में आज की रंग बदलती बदलती दुनिया और समाज के चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ है। इस नाटक का मंचन लगभग सत्रह-अठारह बार पटना के कालिदास रंगालय एवं अन्य प्रेक्षागृहों में किया गया। इस नाटक में विक्टर फ्रांसिस द्वारा अभिनीत ‘बिहारी‘ का चरित्र आज भी लोगों के मानसपटल पर अंकित है। 

1989 में फिल्म ‘धुरपतिया‘ से फिल्मी यात्रा
छोटे पर्दे के लिए बनी ‘धुरपतिया‘। इस फिल्म को ‘बिहार की पहली भोजपुरी टेली आर्ट फिल्म‘ के नाम से संबोधित किया गया।फिल्म के संवाद प्रदीप शर्मा ने लिखे थें, गीत ब्रजकिशोर दुबे एवं संगीत कमल सिन्हा का है। इस फिल्म के लेखक,निर्माता और निर्देशक विक्टर फ्रांसिस है।1990 में विक्टर ने फिल्म लेखन,निर्माण एवं निर्देशन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस प्रशिक्षण में सर्वोत्तम स्थान प्राप्त किया। प्रशिक्षण के पष्चात रंगमंच पर अपनी उपस्थिति को बरकरार रखा। फिल्म जगत की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया। इसी साल विक्टर फ्रांसिस को पहलीबार ‘कलाश्री‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

नोट्रेडम कम्युनिकेशन सेंटर से जुड़े
नोट्रेडम कम्युनिकेशन सेंटर के बैनर तले कई फिल्मे ‘ संजीवन‘,‘सबेरा‘, ‘वचन‘, ‘जिम्मी बुलेट‘, ‘अनूठा प्रेम‘, ‘मंजिल‘ एवं ‘एहसास‘ का लेखन एवं निर्देशन कर विक्टर ने फिल्म क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बना ली। 1992 में इनकी फिल्म‘ जिम्मी बुलेट‘ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म एवं वचन को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फिल्म का सम्मान प्राप्त हुआ। 1994 में इनकी फिल्म ‘ अनूठा प्रेम‘ को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फिल्म का सम्मान प्रदान किया गया। बहुचर्चित फिल्मकार प्रकाश झा की फिल्म ‘कथा माधोरपुर की‘ में भी विक्टर फ्रांसिस की भूमिका सराहनीय रही।दिल्ली दूरदर्शन की फिल्म ‘चम्पारण के गांव‘ में विक्टर ने मुख्य सहायक निर्देशक एवं रूप सज्जाकार के रूप में अपना सराहनीय योगदान किया।

पटना दूरदर्शन से जुड़कर तैयार किए आठ नाटक 
पटना दूरदर्शन से जुड़कर विक्टर फ्रांसिस ने आठ नाटक तैयार किए। उन्होंने अपने स्वलिखित एवं अभिनीत इन नाटकों के द्वारा अपनी संस्थान के सदस्यों को आगे बढ़ने में सहायता प्रदान की। इन नाटकों के नाम है जन्मा है ‘तारणहार‘, ‘क्रिसमस उपहार‘, ‘चमका तारा‘, ‘सांताक्लाॅस‘,‘क्रिसमस का रहस्य‘, ‘चरनी के लाल‘, ‘हैप्पी क्रिसमस‘ और ‘सलीब और हम‘।

2002 में विक्टर फ्रांसिस सिगनीस इंडिया के अध्यक्ष बने
अन्तरराष्ट्रीय फिल्म सिनेमा एवं टेलिविजन की संस्था सिगनीस इंडिया के अध्यक्ष विक्टर फ्रांसिस 2002 में अध्यक्ष बने। जीजस प्रोडक्शंस एवं सिगनीस इंडिया के संयुक्त बैनर से कई टेलीफिल्मों का निर्माण किया। जिनमें कुछ यादगार फिल्में हैं। सम्प्रति विक्टर फ्रांसिस उक्त संस्था के सचिव एवं कोषाध्यक्ष हैं।‘सलीब और हम‘,‘देखो सांताक्लाॅस आया‘, परमेश्वर का प्रबंध (चार एपीसोड का धारावाहिक) येसु के चमत्कार (तीन एपीसोड का धारावाहिक) नदी मिले सागर से, शक,फर्ज,विकलांगता अभिशाप नहीं,  फैशन, रिश्ते, क्षमादान,येसु आइए,अनंत जीवन, आमेन है। रंगमंच, दूरदर्शन और आकाशवाणी से भी जुड़े हैं। आकाशवाणी पटना से प्रकाशित नाटक ‘ सलीब पर कुर्बान‘ एवं रेडियो मनीला (फिंलीपिंस) के लिए लिखित, निर्देशित एवं अभिनीत नाटक ‘ कल आज और कल‘, नया सवेरा‘,‘परिवर्तन‘ एवं ‘अंधविश्वास‘ इस बात का ठोस प्रमाण है कि इंसान हर मुकाम हासिल कर सकता है,जिसके बारे में वह सोचता है। बस उसके अंदर हौसल्ला और कुछ कर दिखाने की तमन्ना होनी चाहिए। जीजस प्रोडक्शंस एवं नोट्रेडम कम्युनिकेशन सेंटर के सहयोग से 52 एपीसोड की भोजपुरी धारावाहिक ‘ अंजोरिया कहिया होई‘ का निर्माण ,लेखन एवं निर्देशन किया। धारावाहिक ‘काका कहलें‘, सिसकती खामोशी, एवं कांची न परितिया हमार‘डायरी के पन्नों से आदि का निर्माण भी किया गया। क्रिसमस के अवसर पर ‘हैप्पी क्रिसमस‘ क्रिसमस पर आधारित क्रिसमस वीडियो एलबम को रिलीज कर काफी प्रशंसा भी बटोर चुके हैं। अपनी भविष्य की योजना के बारे में विक्टर फ्रांसिस कहते हैं कि जीजस प्रोडक्शंस एवं इमेज आट्स इंटरटेनमेंट के संयुक्त बैनर में एक भोजपुरी फीचर फिल्म ‘गोरिया तहरे खातिर‘ का लेखन निर्देशन एवं निर्माण में कार्यशील हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: