एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि चुनाव में एक मत भी महत्व है। इसका महत्व लोगों को समझाया। ‘चूल्हा बाद में वोट पहले‘ का नारा बुलंद किया। मौके पर पद्मश्री सुधा वर्गीस, विजय कुमार सिंह आदि विचार व्यक्त किया।
पटना, 29अप्रैल। आजकल बिहार में जोरशोर से ‘नो वोटर लेफ्ट बिहाइंड‘ के बैनर तले मतदाता जागरूकता अभियान चल रहा है। इस बार जमकर सारण संसदीय क्षेत्र में मतदाता जागरूकता अभियान चलाया गया। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चार बार सांसद बने हैं। वहीं राजीव प्रताप रूडी तीन बार सांसद बने हैं। 2014 में पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को जबर्दस्त शिकस्त दिए थे। इस बार सीधे मुकाबला लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय से है।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति और लोकनायक का जुड़ाव रखने वाले संसदीय क्षेत्र है सारण
भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण से जुड़ाव रखने वाले है सारण संसदीय क्षेत्र। यहां से तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों दारोगा प्रसाद राय, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का भी चुनाव क्षेत्र रहा है। यहां से लालू प्रसाद यादव चार बार जीत दर्ज की है लेकिन राबड़ी देवी 2014 में इस सीट से हार गयी। राजद ने इस हार को विजय में तब्दील करने के लिए चंद्रिका राय को प्रत्याशी बनाया है। बता दें कि लालू के चुनौती लेने वाले समधी हैं चंद्रिका राय। यह आसानी से कहा जा सकता है कि राजद की पारंपरिक सीट रही है। सारण में इस बार एनडीए-महागठबंधन के बीच गढ़ बचाने की चुनौती है। एनडीए की ओर से भाजपा के राजीव प्रताप रूडी और महागठबंधन से राजद के चंद्रिका प्रसाद राय आमने-सामने है। यहां पर रूडी के सामने अपनी चैथी जीत सुनिश्चित करने की चुनौती दिख रही है, तो चंद्रिका राय के लिए पहली बार लालू परिवार का गढ़ बचाने का मौका है।
‘नो वोटर लेफ्ट बिहाइंड‘
आर्दश लोक कल्याण संस्था से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मनोहर मानव कहते हैं कि एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.वी. ने महिलाओं को संगठित कर शराबबंदी करने में सफल हुए थे। आज भी यहां की महिलाएं संगठित है। उन्होंने कहा कि सारण संसदीय क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या-12,68,338 है। उसमें महिला मतदाता हैं 5,80,605 और पुरूष मतदाता 6,87,733। इस चुनाव में महिलाओं की अहम भूमिका है। सारण सीट के संसदीय क्षेत्र पर एक नजर डालने से यह पता चलता है कि यहां का चुनावी खेल सामाजिक समीकरणों पर ही होता है। वर्ष 1957 से लेकर 70 के दशक तक यह क्षेत्र कांग्रेसियों का गढ़ कहा जाता था। सन 1977 के चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेसी किला को ढाह दिया। यहां से चार बार जीते। 1996 में रूडी पहली बार चुनाव जीत कर सारण का प्रतिनिधित्व किए। रूडी अब तक तीन बार जीते हैं और इस बार फिर मैदान में होंगे। पिछली बार रूडी ने राबड़ी देवी को हराया था। कुल वोटरों की संख्या- 12,68,338 है। महिला मतदाता 5,80,605 और पुरूष मतदाता 6,87,733 है। विधानसभा सीटें छह है- मढौरा,छपरा,गरखा, अमनोर,परसा और सोनपुर। वर्ष 2015 के विधानसभा में सीटें राजद को 4 और भाजपा को 2 सीट प्राप्त है। 2014 में भाजपा लहर में राजीव प्रताप रूडी ने जीत की हासिल किए थे। एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि चुनाव में एक मत भी महत्व है। इसका महत्व लोगों को समझाया। ‘चूल्हा बाद में वोट पहले‘ का नारा बुलंद किया। मौके पर पद्मश्री सुधा वर्गीस, विजय कुमार सिंह आदि विचार व्यक्त किया।
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