आम नागरिकों की सुरक्षा राष्ट्र सरकारों की सबसे अहम जिम्मेदारी : भारत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 30 मई 2019

आम नागरिकों की सुरक्षा राष्ट्र सरकारों की सबसे अहम जिम्मेदारी : भारत

citizen-safety-important-india-in-un
संयुक्त राष्ट्र, 29 मई, भारत ने कहा है कि संघर्षों में आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राष्ट्रीय सरकारों की सबसे पहली जिम्मेदारी है न कि शांतिरक्षकों की। भारत ने चिंता जताई है कि सुरक्षा की राष्ट्रीय एवं सामाजिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बहुत कम काम किया गया है।  संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि के.नागराज नायडू ने कहा कि गलत तरीके से यह मान लेना आम प्रवृत्ति है कि आम लोगों की सुरक्षा संघर्ष में शामिल पक्षों, शांतिरक्षकों और मानवीय सहायता देने वाले संगठनों की जिम्मेदारी है। हालांकि यह जिम्मेदारी सबसे पहले राष्ट्रीय सरकारों की है।  उन्होंने ‘सशस्त्र संघर्षों में आम नागरिकों की सुरक्षा’ विषय पर सुरक्षा परिषद में खुली चर्चा में ये बातें कहीं।  विश्व निकाय में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि ने कहा कि संरक्षण की राष्ट्रीय एवं सामाजिक क्षमताओं को मजबूत बनाने के लिहाज से बहुत कम काम किया गया है।  नायडू ने कहा, “बाहरी एजेंसियां राष्ट्रीय सरकारों की जिम्मेदारी की पूरक हो सकती हैं लेकिन उनकी जगह नहीं ले सकती।”  साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण अभियानों के संदर्भ में आम लोगों की सुरक्षा एक जटिल मुद्दा है। इसके मुख्य कारण सशस्त्र संघर्षों की अलग-अलग प्रकृति, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण के लंबे समय से माने जा रहे सिद्धांतों के संभावित विरोधाभास, जनादेशों की सीमाओं और शांतिरक्षण मिशनों के लिए संसाधनों की अपर्याप्त उपलब्धता हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: