कानून को जाति तटस्थ होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 2 मई 2019

कानून को जाति तटस्थ होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

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नयी दिल्ली, एक मई, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि देश में कानून को जाति तटस्थ और एकरूप होना चाहिए।  उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, “देश में कानून एक रूप होना चाहिए और यह सामान्य श्रेणी या अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिये नहीं हो सकता।” केंद्र ने अदालत के 20 मार्च 2018 के उस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिससे कथित तौर पर अजा/अजजा अधिनियम के प्रावधान कमजोर हो रहे थे।  न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल का प्रतिवेदन सुनने के बाद कहा कि वह अपना फैसला सुरक्षित रखती है।  शुरू में वेणुगोपाल ने कहा कि मार्च का पूरा फैसला “समस्यापरक” है और अदालत द्वारा इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। पिछले साल का समर्थन कर रहे पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि केंद्र की पुनर्विचार याचिका निष्फल हो गई है क्योंकि संसद पहले ही फैसले के प्रभाव को निष्प्रभावी बनाने के लिये अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) संशोधन अधिनियम 2018 पारित कर चुकी है।  उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र की याचिका पर फैसले पर पुनर्विचार किए जाने तक संशोधित अधिनियम पर रोक की मांग की।  पीठ ने कहा कि अगर फैसले में कुछ गलत हुआ है तो उसे पुनर्विचार याचिका में हमेशा सुधारा जा सकता है। 

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