सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 29 मई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 मई 2019

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 29 मई

आगामी 5 जून को आने वाले ईद-उल- फितर त्यौहार के संबंध में शांति समिति की बैठक आज

sehore map
आगामी 5 जून को आने वाले ईद-उल-फितर त्यौहार के संबंध में कलेक्टर श्री गणेश शंकर मिश्रा के निर्देशानुसार 30 मई को शांति समिति की बैठक आयोजित की जाएगी। बैठक पुलिस अधीक्षक कार्यालय के नवनिर्मित कंट्रोल रूम में सायं 4 बजे आयोजित होगी। शांति समिति के सदस्यों शांति समिति की बैठक में उपस्थित होने की अपेक्षा की है। 

मानसून के पहले विद्युत रखरखाव के चलते सीहोर के विभिन्न क्षेत्रों में होगी बिजली कटौती

विद्युत विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार मानसून के पहले विद्युत विद्युत रखरखाव के कारण 30 मई को सीहोर के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली कटौती की जाएगी। सीहोर के दशहरा वाला बाग अन्तर्गत खारपा पंप, चितावलिया, लसुड़ियाखास, मानाखेड़ा पंप, मुस्करा पंप, पचपीपलिया, विशनखेड़ा, सेमली पंप पर सुबह 10 बजे से सायं 4 बजे तक एवं दोराहा अन्तर्गत खाईखेड़ा में सुबह 10 से शाम 6 बजे तक एवं अमदपुर अन्तर्गत कउखेड़ी, पुराना बड़खेड़ा, पीपलखेड़ा, चरनाल, अहमदपुर कस्बा मंजाखेड़ा पर सुबह 10 से शाम 6 बजे तक विद्युत प्रवाह बंद रहेगा।

पॉक्सो एक्ट : बच्चों को सुरक्षा की गारंटी

समाज में नैतिक आचरण का ह्रास होता दिख रहा है। सबसे दुखद है छोटे बच्चों के साथ अनाचार। इससे न केवल बच्चे और उसके परिवार को त्रासदी से गुजरना पड़ता है बल्कि पूरा समाज इस अपराध से शर्मसार होता है। भारतीय संविधान में विभिन्न अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है किन्तु बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं था। इसका एकमात्र कारण यह है कि हमारे समाज ने इस तरह के अपराध की कल्पना भी नहीं की थी। कालान्तर में बच्चों के साथ निरंतर बढ़ते अपराधों की बढ़ती संख्या को देखकर सरकार ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया। प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस (पॉक्सो) एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीडऩ से बच्चों के संरक्षण का यह अधिनियम। बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों, छेडख़ानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है। इस अधिनियम की धारा 4 में वो मामले संज्ञान में लिये जाते हैं, जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसमें सात साल सजा से लेकर उम्र कैद और अर्थ दंड भी लगाया जा सकता है। पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुँचाई गई हो। इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है। इन धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पाँच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। पॉक्सो एक्ट की धारा 3 में पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है, जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। यह कानून लडक़े और लडक़ी को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।

पास्को एक्ट में संशोधन
बारह वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म में फाँसी की सजा का प्रावधान तो पहले ही हो गया था, लेकिन आइपीसी में हुए संशोधन से यौन शोषण का शिकार होने वाले बालक छूट गए थे। अब बालकों को भी यौन शोषण से बचाने और उनके साथ दुराचार करने वालों को फाँसी की सजा का प्रावधान किया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों (कोई भी - लडक़ी हो या लडक़ों) को यौन उत्पीडऩ से बचाने के बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉस्को) 2012 में संशोधन को 6 अगस्त 2018 को मंजूरी दी गयी है। संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है। 

पॉस्को एक्ट के प्रावधान
पॉस्को एक्ट में यौन शोषण की परिभाषा में यौन उत्पीडऩ, अश्लील साहित्य, सेक्सुअल और गैर सेक्सुअल हमले को शामिल किया गया है। एक्ट में भारतीय दंड संहिता 1860 के अनुसार सहमति से सेक्स करने की उम्र को 16 से बढ़ाकर 18 साल किया गया है। एक्ट के अनुसार अगर कोई व्यक्ति (बच्चा, युवा व बुजुर्ग सभी) किसी बच्चे यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे या बच्ची के साथ उसकी सहमति या बिना सहमति के कोई यौन कृत्य करता है तो यह पॉक्सो एक्ट के दायरे में आएगा। यदि पति या पत्नी में से कोई भी 18 साल से कम उम्र का है और वे आपस में भी यौन कृत्य करते हैं, तो यह भी अपराध की श्रेणी में आएगा और उस पर केस दर्ज हो सकता है। इस एक्ट के तहत सभी अपराधों की सुनवाई एक स्पेशल कोर्ट में कैमरे के सामने होती है। एक्ट में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान यह कोशिश होनी चाहिए कि पीड़ित के माता-पिता या वह जिस पर वह भरोसा करता है, मौजूद रहें। अगर अभियुक्त  किशोर है, तो उसके ऊपर किशोर न्यायालय अधिनियम 2000 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) के तहत केस चलाया जाएगा। यदि पीड़ित बच्चा दिव्यांग है या मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर है, तो विशेष अदालत को उसकी गवाही को रेकॉर्ड करने या उसे समझने के लिए अनुवादक व विशेष शिक्षक की सहायता लेनी चाहिए। अगर आरोपी ने कुछ ऐसा अपराध किया है जो बाल अपराध कानून के अलावा अन्य कानून में भी अपराध है, तो उसे सजा उस कानून के तहत होगी, जो सबसे सख्त हो। इसमें खुद को निर्दोष साबित करने का दायित्व अभियुक्त पर होता है। इसके अलावा इसमें गलत आरोप लगाने, झूठी जानकारी देने व किसी की छवि को खराब करने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे लोग जो गलत काम के लिए बच्चों का व्यापार करते हैं, वे भी इस कानून के दायरे में आते हैं। अधिनियम में यह प्रावधान भी है कि यदि कोई शख्स ये जानता है कि किसी बच्चे का यौन शोषण हुआ  है, तो इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो उसे 6 महीने की जेल और आर्थिक दंड की सजा मिल सकती है। यह कानून बाल संरक्षक की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपता है। इसमें पुलिस को बच्चे की देखभाल सहित अन्य जिम्मेदारियाँ निभानी होती हैं। इसके अलावा पुलिस की यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वह मामले की जानकारी 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को भी दे, जिससे सीडब्ल्यूसी बच्चे की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठा सके। एक्ट में ये भी प्रावधान किया गया है कि केस की सुनवाई अदालत बंद कमरे में दोस्ताना माहौल में करे। बच्चे की पहचान गुप्त रखी जाए। पॉक्सो के तहत स्पेशल कोर्ट पीड़ित बच्चे को दी जाने वाली मुआवजे की राशि का निर्धारण कर सकता है। एक्ट में यह भी कहा गया है कि केस को यौन शोषण होने की तारीख से एक साल के अंदर निपटाया जाना चाहिए।      पॉस्को एक्ट में अपराधियों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है। निश्चित रूप से इस कानून से बाल यौन उत्पीडऩ को रोका जा सकेगा। इसमें समाज की सहभागिता भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि यौन उत्पीडऩ का शिकार किसी भी परिवार का कोई भी बच्चा या बच्ची हो सकती है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम सब मिलकर अपराध को रोकें और अपराधी को दंड दिलायें ताकि अपराधियों के मन में डर बना रहे।

मोटर सायकल पर अवैध शराब ले जाने पर वाहन मालिक को कारण बताओ सूचना पत्र जारी

कलेक्टर श्री गणेश शंकर मिश्रा ‍द्वारा मोटर सायकिल पर अवैध मदिरा ले जाने के मामले में मोटर सायकिल मालिक को कारण बताओं सूचना पत्र जारी करते हुए निर्देशित किया है कि न्यायालय में उपस्थित होकर कारण दर्शाएं अन्यथा जप्त वाहन में अर्थदण्ड की कार्यवाही की जाएगी। जिले के आष्टा अन्तर्गत पार्वती थाने में पुलिस द्वारा गश्त के दौरान मुखबिर से प्राप्त सूचना पर 25 मार्च 2019 को एक व्यक्ति मोटर सायकल क्रमांक MP-37-MJ-0518 पर दोनों तरफ प्लास्टिक की बोरियों को रस्सी से बांधकर एवं एक सफेद रंग के झोले में अवैध मदिरा लेकर किलेरामा की तरफ जाता पाया गया। पुलिस द्वारा तलाशी के लिए मोटर सायकल चालक को रोकने का प्रयास किया गया लेकिन वह मोटर सायकल को रोड़ किनारे खेत में भागने लगा तब पुलिस द्वारा घेराबंदी कर उसे पकड़ा गया। पुलिस द्वारा मोटर सायकल की तलाशी ली गई तो उसमें शराब की 50  क्‍वाटर तथा 12 बाटल बीयर जो लगभग 61 लीटर होना पाया गया। जप्त की गई मदिरा को थाने में लाकर राजसात करने की कार्यवाही की गई। जप्त वाहन रजिस्ट्रेशन अनुसार लाड़सिंह पिता मोती सिंह निवासी मानाखेड़ी तहसील आष्टा जिला सीहोर का होना पाया गया जिस पर जिला आबकारी अधिकारी द्वारा जप्त वाहन एवं मदिरा को धारा 34(2) आबकारी अधिनियम के अन्तर्गत राजसात करने की अनुशंसा की गई है। कलेक्टर श्री मिश्रा द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया कि वाहन मालिक 10 जून को पूर्वान्ह कलेक्टर न्यायालय में उपस्थित होकर कारण दर्शाएं अन्यथा उसके विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी।

अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू एवं धुम्रपान निषेध दिवस 31 मई को

हर साल की तरह इस साल भी 31 मई को अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू एवं धूम्रपान निषेध दिवस मनाया जायेगा। इस दिवस पर युवाओं, छात्र-छात्राओं एवं जनसामान्य में तम्बाकू एवं धूम्रपान के सेवन की बढ़ती आदत पर रोक लगाने के लिये विभिन्न कार्यक्रम होंगे। इन कार्यक्रम में तम्बाकू, बीड़ी एवं सिगरेट के उपयोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणामों को बताया जायेगा। दिवस पर जिले में तम्बाकू एवं धूम्रपान के सेवन के दुष्परिणामो की जानकारी  देने के लिये सेमीनार, रैली, पोस्टर, प्रदर्शनी, वाद-विवाद, निबंध-लेखन, प्रश्नमंच, चित्रकला प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक, गीत, नृत्य कार्यक्रमो आयोजन होगा।  मध्यप्रदेश स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि जिला मुख्यालय एवं प्रत्येक विकासखंड मुख्यालय पर सार्वजनिक स्थान पर तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के संबंध में कार्यशाला का आयोजन किया जाए। जिसमें जन प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पत्रकार, शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हों। जनसमुदाय द्वारा तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में न करने एवं अपने कार्यालय/दुकानों को तंबाकू सेवन से मुक्त रखने की शपथ ग्रहण करें।  क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर रैली निकालकर जनजागरुकता लाई जावे एवं किशोर-किशोरियों, युवाओं के द्वारा वाद विवाद प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता, हस्ताक्षर अभियान चलाया जाए। जिला मुख्यालय में आयोजित होने वाला कार्यक्रम कलेक्टर/जनप्रतिनिधियों की अध्यक्षता में एवं विकासखंड में आयोजित होने वाला कार्यक्रम अनुविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित किया जाए।  प्रत्येक ग्राम पंचायत में तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभावों के संबंध में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया जावे एवं साइकिल रैली, दौड़ प्रतियोगिता, गांव में नारे लेखन का कार्य किया जाए। प्रत्येक विद्यालय/महाविद्यालय स्तर पर जागरुकता कार्यक्रम, प्रश्नमंच, निबंध, चित्रकला प्रतियोगिता, पोस्टर, रैली का आयोजन किया जाए।  

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