बिहार : कौन करेंगा 17 वीं लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधित्व ? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 4 जून 2019

बिहार : कौन करेंगा 17 वीं लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधित्व ?

15 नवम्बर,2000 झारखंड विभाजन के बाद बिहार विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है। इसको लेकर एंग्लो इंडियन समुदाय में आक्रोश व्याप्त है। इसके आलोक में एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों का आग्रह है कि महामहिम किसी बिहारी एंग्लो इंडियन समुदाय से लोकसभा में मनोनीत करें।  
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पटना,04 जून। कौन करेंगा 17 वीं लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधित्व ? इसको लेकर एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों में बीच जोरशोर से चर्चा है। सभी एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों का ध्यान केन्द्रित है महामहिम राष्ट्रपति की दरबार पर। आखिरकार वह कौन 2 सौभाग्यशाली वंदे हैं जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की अनुशंसा पर महामहिम काॅल करेंगे। बताते चले कि लोकसभा संसद का निचला सदन है लोकसभा सदस्यों का चुनाव सीधे जनता की वोटिंग से होता है। संविधान में लोकसभा की देशभर में कुल 552 सीटें तय की गई हैं। इनमें से 530 सीट पर राज्यों के प्रतिनिधि चुने जाते हैं जबकि 20 सीट पर केन्द्र शासित प्रदेश से चुने जाते हैं। जबकि 2 सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से होते हैं। इन सीट पर हर पांच साल में चुनाव करवाया जाता है।  एंग्लो इंडियन शब्द को भारत सरकार अधिनियम 1935 में परिभाषित किया गया था संविधान के अनुच्छेद 366 य2द्ध के तहत एंग्लो इंडियन ऐसे किसी व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में रहता हो और जिसका पिता या कोई पुरुष पूर्वज यूरोपियन वंश के हों यह शब्द मुख्य रूप से ब्रिटिश लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि भारत में काम कर रहे हों और भारतीय मूल के हों। भारत की संसद लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर बनती है। देश में लोकसभा के लिए अधिकतम 552 सदस्य 530 राज्य, 20 केंद्र शासित प्रदेश 2 एंग्लो इंडियन हो सकते हैं, लेकिन विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लोकसभा के लिए केवल 543 सदस्य चुने जाते हैं और यदि चुने गए 543 सांसदों में एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई सदस्य नहीं चुना जाता है तब भारत का राष्ट्रपति इस समुदाय के 2 सदस्यों का चुनाव कर सकता है।

लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में एंग्लो इंडियन के लिए सीटों का आरक्षण
एंग्लो इंडियन एकमात्र समुदाय है जिसके प्रतिनिधि लोकसभा के लिए नामित होते हैं क्योंकि इस समुदाय का अपना कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है यह अधिकार फ्रैंक एंथोनी ने जवाहरलाल नेहरू से हासिल किया था। एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व लोकसभा में दो सदस्यों द्वारा किया जाता है। अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्य नियुक्त करते हैं। इसके तहत 1951-52,1957,1962 और 1967 में फ्रैंक एंथोनी और ए.इ.टी.बैरा मनोनीत हुए। कुल मिलाकर 8 बार फ्रैंक एंथोनी और 7 बार ए.इ.टी.बैरा लोकसभा में मनोनीत हुए। 16 वीं लोकसभा में  बेकर्स श्री जौर्ज और हे प्रोफेसर रिचर्ड मनोनीत हैं।  इसी प्रकार विधान सभा में अनुच्छेद 333 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार है कि यदि विधानसभा में कोई एंग्लो इंडियन चुनाव नहीं जीता है वह 1 एंग्लो इंडियन को सदन में चुनकर भेज सकता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड, उत्तराखंड और केरल जैसे राज्यों में विधान सभा के लिए एंग्लो इंडियन समुदाय का एक-एक सदस्य नामित है। 15 नवम्बर,2000 के पूर्व बिहार में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधित्व होता था। 15 नवम्बर,2000 झारखंड विभाजन के बाद बिहार विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है। इसको लेकर एंग्लो इंडियन समुदाय में आक्रोश व्याप्त है। इसके आलोक में एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों का आग्रह है कि महामहिम किसी बिहारी एंग्लो इंडियन समुदाय से लोकसभा में मनोनीत करें।   बिहार विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व विधायक आल्फ्रेड डी रोजारियो का कहना है कि लोकसभा में किसी बिहारी को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिले। वहीं झारखंड के 82वें विधायक ग्लेन जोसेफ गाॅलस्टन ने कहा कि अपना कोई विधानसभा क्षेत्र नहीं है। ये पूरे झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये चुनाव भी नहीं लड़ते हैं, पर विधानसभा में इनकी अपनी अलग पहचान है। ये राजनीतिज्ञ हैं, पर दलगत राजनीति से सीधा सरोकार नहीं है। आमतौर पर झारखंड के इस विधायक से ज्यादातर लोग वाकिफ नहीं है, पर सदन में राज्य के मसलों को ये जोरदार तरीके से रखते हैं। एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व गॉलस्टन ने कहा कि मेरा जन्म पटना में हुआ है। अब भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। 

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