कोर्ट ने कर्नाटक के 10 बागी विधायकों को अध्यक्ष से मिलने की अनुमति दी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 11 जुलाई 2019

कोर्ट ने कर्नाटक के 10 बागी विधायकों को अध्यक्ष से मिलने की अनुमति दी

court-order-mla-meet-speaker
नयी दिल्ली, 11 जुलाई, उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) के दस बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शाम छह बजे मुलाकात करने और इस्तीफा देने के अपने निर्णय से अवगत कराने की अनुमति प्रदान कर दी । प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष से कहा कि वह इन विधायकों के इस्तीफे के बारे में आज ही निर्णय लें। पीठ ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा लिये गये फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाये जब न्यायालय इस मामले में आगे विचार करेगा। शीर्ष अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि इन बागी विधायकों के मुंबई से बेंगलुरू पहुंचने पर इन्हें हवाईअड्डे से विधानसभा तक सुरक्षा प्रदान की जाये। इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ उन 10 विधायकों के मामले में आदेश पारित कर रही है जो हमारे सामने हैं, अन्य के लिये नहीं। कर्नाटक विधानसभा के 13 सदस्यों - कांग्रेस के 10 और जद(एस) के तीन- ने छह जुलाई को सदन की सदस्यता से अपने-अपने त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को सौंपे थे। इसके साथ ही राज्य में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के लिये राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। 

शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले विधायकों में प्रताप गौडा पाटिल, बी सी पाटिल, बी बसवराज, रमेश जारकिहोली, ए शिवराम हब्बर, एस टी सोमशेखर, महेश कुमातल्ली, के गोपालैया, नारायण गौडा, अडगुर एच विश्वनाथ शामिल हैं। इन विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा में विचित्र स्थिति है जहां 15 विधायक इस्तीफा देना चाहते हैं लेकिन अध्यक्ष उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छह जुलाई को जब कुछ बागी विधायक अपने त्यागपत्र देने गये तो अध्यक्ष पिछले दरवाजे से अपने कार्यालय से बाहर चले गये। उन्होंने कहा कि एक बागी विधायक से उस समय धक्कामुक्की की गयी जब उसने बुधवार को अध्यक्ष के कार्यालय तक पहुंचने का प्रयास किया। रोहतगी ने कहा कि राज्य विधानसभा का सत्र 12 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन उससे पहले ही सत्तारूढ़ गठबंधन ने इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये अध्यक्ष के समक्ष आवेदन दायर किया है। उन्होंने कहा, ‘‘सदन में बहुमत सिद्ध करने का आदेश देने की बजाये बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। हम इस्तीफा देकर जनता के बीच जाकर फिर से चुनाव कराना चाहते हैं।’’  रोहतगी ने जब यह कहा कि 15 विधायक पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं तो पीठ ने कहा, ‘‘हम सिर्फ उन्हीं 10 विधायकों के मामले का संज्ञान लेंगे जो हमारे सामने हैं।’  जब रोहतगी ने एक जुलाई से अभी तक के घटनाक्रम का जिक्र किया तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हमें किसी बात से आश्चर्य नहीं होता है।’’  रोहतगी ने मई, 2018 की घटना का जिक्र किया जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार के गठन का मामला शीर्ष अदालत पहुंचा था। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी न्यायालय अध्यक्ष को सदन में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दे सकता है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरू और मुंबई, जहां बागी विधायक टिके हैं, पूरी तरह से हंगामे की स्थिति है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को देखते हुये बागी विधायकों के लिये मुंबई से बेंगलुरू जाने पर पूरी तरह पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: