राजनीतिक नाटकबाजी का गवाह बन रहा है मुंबई का होटल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 10 जुलाई 2019

राजनीतिक नाटकबाजी का गवाह बन रहा है मुंबई का होटल

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मुंबई, 10 जुलाई , मुंबई के जिस आलीशान होटल में कर्नाटक के बागी विधायक ठहरे हुए हैं उसके बाहर बुधवार को जबरदस्त राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री डी के शिवकुमार को होटल में प्रवेश करने से रोक दिया गया। हालांकि कांग्रेस-जद(एस) सरकार को गिरने से रोकने की कवायद के तौर पर वह विधायकों से मुलाकात करने पर अड़े रहे। पवई में रिेनेसन्स होटल के बाहर खड़े वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि राजनीति संभावनाओं का क्षेत्र है और उन्हें उस कमरे में जाने दिया जाए जिसे उन्होंने पहले से बुक कराया था।  इस आलीशान होटल के बाहर सुरक्षाकर्मी, कैमरा क्रू, मीडियाकर्मियों और राजनीतिक समर्थकों के बीच धक्कामुक्की हुई। एक अन्य समूह ने ‘‘शिवकुमार वापस जाओ’’ जैसे नारे लगाए।  इन घटनाक्रमों के बीच होटल से मिले एक ईमेल में खुलासा हुआ कि कमरा बुक कराया गया था लेकिन ‘‘कुछ आपात स्थिति’’ के कारण बुकिंग रद्द कर दी गई। ईमेल में कहा गया है, ‘‘हमारी बातचीत के अनुसार हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि हमारे पास डी के शिवकुमार: आरईजेड775665डी2 के नाम से बुकिंग है। होटल में किसी आपात स्थिति के कारण हमें बुकिंग रद्द करनी पड़ रही है। कोई शुल्क नहीं लगेगा।’’  मंगलवार मध्यरात्रि को पवई के एक लग्जरी होटल में ठहरे हुए 12 में से 10 विधायकों ने मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर अपनी जान को खतरा बताया और कहा कि शिवकुमार को होटल में नही आने दिया जाए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें बागी विधायकों से एक पत्र मिला है।’’  वापस जाने से इनकार करते हुए कांग्रेस के संकटमोचक माने जाने वाले शिवकुमार ने कहा कि वह विधायकों से मिले बिना वापस नहीं जाएंगे। उनके साथ जद(एस) के वरिष्ठ विधायक भी आए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने मित्रों को अपने दिल की बात कहने आया हूं..राजनीति संभावनाओं का क्षेत्र है।’’ शिवकुमार ने कहा कि पुलिस उन्हें कह रही है कि उनके नाम से कोई कमरा बुक नहीं है लेकिन मंत्री ने जोर दिया कि उन्होंने होटल में अपने नाम से एक कमरा बुक कराया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने खिलाफ नारेबाजी से नहीं डरता। सुरक्षा के खतरे के कारण अंदर जाने नहीं दिया जा रहा। मैं महाराष्ट्र सरकार का बहुत सम्मान करता हूं। मेरे पास हथियार नहीं हैं।’’  उन्होंने हैरानी जताई कि उनकी मौजूदगी बागी विधायकों के लिए कैसे खतरा हो सकती है। शिवकुमार ने कहा, ‘‘मैं कैसे विधायकों के लिए खतरा हो सकता हूं। हम दोस्त हैं। अगर भाजपा शामिल नहीं है तो क्यों कई पुलिसकर्मी यहां हैं। मेरे पास दिल है और कोई हथियार नहीं है।’’  यहां पहुंचने पर शिवकुमार ने कहा, ‘‘मुंबई पुलिस या किसी अन्य बल को तैनात होने दीजिए। हम अपने दोस्तों से मिलने आए हैं। हम राजनीति में एक साथ आए थे और एक साथ जाएंगे।’’  उन्होंने कहा कि अगर भाजपा नेता बागी विधायकों से मिल सकते हैं तो वह क्यों नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई में अच्छी सरकार है। मुख्यमंत्री (देवेंद्र फड़णवीस) मेरे अच्छे दोस्त हैं। मैंने यहां एक कमरा बुक कराया है। मेरे दोस्त यहां हैं, कुछ मतभेद हैं, वे मेरे दोस्त हैं...अगर भाजपा नेता मुलाकात कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं मिल सकते।’’  शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने पहले भी महाराष्ट्र के 120 विधायकों की मेजबानी की थी जब विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री थे। कर्नाटक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद शनिवार से ही कांग्रेस के सात, जद(एस) के तीन और दो निर्दलीयों समेत 12 विधायक शहर में ठहरे हुए हैं। उन्होंने कर्नाटक की गठबंधन सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया है। विधायकों ने अपने पत्र में कहा कि वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी या शिवकुमार से मुलाकात नहीं करना चाहते और उन्होंने शहर की पुलिस से उन्हें होटल में आने की अनुमति नहीं देने का भी अनुरोध किया है । पत्र में शिवराम हेब्बार, प्रताप गौड़ा पाटिल, बी सी पाटिल, बायरती बासवराज, एस टी सोमशेखर, रमेश जारकीहोली, गोपालैया, एच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा और महेश कुमारतली के नाम एवं हस्ताक्षर हैं। कर्नाटक का राजनीतिक संकट उच्चतम न्यायालय भी पहुंच गया है। कांग्रेस और जद(एस) के दस बागी विधायकों ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि राज्य विधानसभा अध्यक्ष जानबूझकर उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों पर गौर किया और उन्हें आश्वस्त किया कि वह देखेगा कि क्या उनकी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए कल सूचीबद्ध किया जा सकता है। इस्तीफा देने वाले 14 विधायकों में से 11 कांग्रेस के और तीन जद(एस) के हैं। अगर बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाते हैं तो सत्तारूढ़ गठबंधन बहुमत गंवा सकता है। अध्यक्ष को छोड़कर गठबंधन विधायकों की कुल संख्या 116 (कांग्रेस-78, जद(एस)-37 और बसपा-1) है। कर्नाटक विधानसभा का मानसून सत्र 12 जुलाई से शुरू होगा।

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