अब कोचों में चमड़े की सीट लगाने के विरूद आवाज बुलंद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 21 जुलाई 2019

अब कोचों में चमड़े की सीट लगाने के विरूद आवाज बुलंद

बडे़ विषाद के साथ यह कहना पड़ रहा है कि अहिंसक समाज पर आपके मंत्री काल में किया जा रहा यह बहुत बड़ा अन्याय है, जिससे कि समाज में बहुत रोष, नाराज़ी और घृणा का वातावरण निर्मित हो रहा है। 
protest-for-leather-in-train
भोपाल, 20 जुलाई। अबतक रेलवे के कोचों में पोली विनायल की उत्तम क्वालिटी की सीटें की पता उपयोग होती थीं जो काफी किफायती, अग्निरोधक और आरामदायक थीं। इसमें बदलाव केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जी के विभाग रेल मंत्रालय करने जा रहा है। अब मंहगा चमड़ा खरीदकर सीटों पर लगाने का प्रस्ताव प्रस्तावित है। 122, सर्वकल्याण विहार, में जीवदया जी रहते हैं। उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल, भारत सरकार,उद्योग भवन, नई दिल्ली-110001 को विषयक :-रेलवे द्वारा महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों और अहिंसक समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ को लेकर चिट्ठी लिखा।   चिट्ठी में निवेदन किया गया है कि रेल मंत्रालय द्वारा महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों की अवहेलना की जा रही है जबकि देश उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है। अभी तक रेलवे के कोचों में पोली विनायल की उत्तम क्वालिटी की सीटें पता उपयोग होती थीं जो कि किफायती, अग्निरोधक और आरामदायक थीं। पर बड़ा अफसोस है कि अब रेलवे ने मंहगे चमड़े की खरीदारी के लिये टेंडर निकाला है और मंहगा चमड़ा खरीदकर सीटों पर लगाया जाना प्रस्तावित है (Ref. Stores/Fur/ICF/T.No. 07192670 dtd 04.06.2019)। रेल मंत्रालय का यह कदम एक तरफ तो हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत के साथ किया जा रहा क्रूर मजाक है और दूसरी तरफ यह जनता के टैक्स के पैसे के किफायती उपयोग के खिलाफ भी है। चमड़े के उपयोग से तमाम तरह की व्याधि और एलर्जी हो जाती है, यह जाना माना मेडिकल सत्य है। अत: इस तरह के निर्णय से रेल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की भी अनदेखी की गई है।  उपरोक्त संदर्भ में हमें बडे़ विषाद के साथ यह कहना पड़ रहा है कि अहिंसक समाज पर आपके मंत्री काल में किया जा रहा यह बहुत बड़ा अन्याय है, जिससे कि समाज में बहुत रोष, नाराज़ी और घृणा का वातावरण निर्मित हो रहा है।  चमड़ा प्राप्त करने के लिये पता नहीं कितने और कौन कौन से अबोल पशुओं का क्रूरता पूर्वक वध किया जायेगा? अब हमारे जैसे लोग जिनका चमड़े के उपयोग का आजीवन त्याग है, वह कैसे रेलवे में उन सीटों पर बैठ सकेंगे?  कैसे किसी जानवर की खाल पर बैठकर खाना खा सकेंगे? कैसे उन स्लीपरों पर लेट सकेंगे? कैसे चमड़े से होने वाली एलर्जी से अपने आपको बचा सकेंगे? रेलवे को अहिंसक समाज की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिये।  हम शांतिप्रिय नागरिक हैं एवं राष्ट्र के विकास में सदैव ही सहयोगी रहते हैं।हमारी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि रेल मंत्रालय के इस जन असंवेदनशील निर्णय को योजना को तुरंत रोकें ताकि अहिंसक जनों को न तो आंदोलन की राह अपनाना पड़े और न ही कोर्ट की शरण लेना पड़े।अंत में कहा गया कि आपके संतोषजनक उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी। 

कोई टिप्पणी नहीं: