‘कंडोम बाबा का ढाबा’ का किया इस्तेमाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 अगस्त 2019

‘कंडोम बाबा का ढाबा’ का किया इस्तेमाल

कंडोम के प्रति जागरूकता को लेकर लोकप्रिय एडूटमेंट शो ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं ’ ने किया ‘कंडोम बाबा का ढाबा’  का किया इस्तेमाल
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पॉपुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के लोकप्रिय एडूटमेंट शो ‘मैं कुछ भी कर सकती हूं’  में रूढ़ियों और सामाजिक मुद्दों से जुड़े मिथकों को तोड़ने के लिए लोकप्रिय मनोरंजन प्रारूपों के साथ नवाचार किया गया है।  इसके तीसरे सीज़न में अन्य मुद्दों के साथ परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी पर बात की जा रही है। अपने काउंटर नैरेटिव के हिस्से के रूप में, शो ने “कंडोम बाबा का ढाबा” पेश किया है, जो एक काल्पनिक सड़क के किनारे खाने का स्टाल है। यहां ग्राहकों को कंडोम मुफ्त में वितरित किए जाते हैं। इस अनूठी अवधारणा का उद्देश्य कंडोम की खरीद से जुड़ी शर्मिंदगी को दूर करना और उनके उपयोग को सामान्य बनाना है।

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा कहती हैं, “लोगों को कंडोम खरीदने से परहेज करने के कुछ महत्वपूर्ण कारणों में से एक है, ऐसे मामलों में शर्मिंदगी। इसलिए ढाबे जैसी जगह पर कंडोम उपलब्ध कराने की अवधारणा इसके उपयोग को सामान्य करने के लिए है। 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 के अनुसार, वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले गर्भ निरोधक के सभी आधुनिक तरीकों में से 12%  से कम हिस्सा कंडोम का है। पुरुषों को परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित करने की सख्त जरूरत है। कंडोम बाबा का ढाबा एक ऐसी जगह की कल्पना करता है, जहां पुरुष बिना किसी शर्म के अपनी पसंद के कंडोम प्राप्त कर सकते हैं। यह ढाबा उस बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी हमें तत्काल आवश्यकता है।" यह शो एक युवा डॉक्टर, डॉ स्नेहा माथुर की प्रेरक यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मुंबई में अपने आकर्षक करियर को छोड़कर अपने गांव में काम करने का फैसला करती है। यह शो सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा की बेहतरीन गुणवत्ता सुनिश्चित करने के डॉ. स्नेहा की लडाई पर केंद्रित है। उनके नेतृत्व में, गांव की महिलाएँ सामूहिक कार्रवाई के ज़रिए अपनी आवाज़ उठाती हैं। दूसरे सीज़न में महिलाओं के साथ युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया था। नए स्लोगन ‘मैं देश का चेहरा बदल दूंगी’, के साथ शो की नायिका डॉ. माथुर ने स्वच्छता तक पहुंच,  परिवार नियोजन सहित नए मुद्दों को उठाने की योजना बनाई है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन का एक फ्लैगशीप कार्यक्रम बन चुका है। इसे 13 भारतीय भाषाओं में डब किया गया है और देशभर के 216 ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन पर भी प्रसारित किया जा रहा है। इस बार, आर. ई. सी फाउंडेशन व बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया का समर्थन किया है।  

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