पूर्णिया : रखरखाव के अभाव में ध्वस्त हुई कोसी व सीमांचल की नहरें, प्रतिवर्ष बेमौसम बर्बाद होती हैं फसलें - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

पूर्णिया : रखरखाव के अभाव में ध्वस्त हुई कोसी व सीमांचल की नहरें, प्रतिवर्ष बेमौसम बर्बाद होती हैं फसलें

कुमार गौरव । पूर्णिया : कोसी नहर प्रणाली से सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया तथा अररिया जिलों के लगभग 9.96 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होती हैं। नहरों का उपयोग बाढ़ के पानी को डायवर्ट करने में भी होता है लेकिन सूबे के अमूमन सभी हिस्सों के साथ साथ कोसी और सीमांचल के जिलों में कोसी परियोजना की स्थिति बदहाल ही है। प्रशासन के सही तरीके से निर्माण व रखरखाव के अभाव में कोसी और सीमांचल के जिलों की अधिकांश नहरें ध्वस्त हो चुकी हैं। समय पर नहरों की उड़ाही नहीं होने के कारण हल्की बारिश में ही पानी लबालब हो जाता है। इससे नहरों में कटाव और रिसाव से कई एकड़ में लगी फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इन नहरों को समय पर दुरूस्त कर दिया जाए तो बेशक बाढ़ के पानी से भी काफी हद तक निजात मिल सकती है। हाल ही में जानकीनगर की जेसीबी नहर का मेड़ टूट जाने से नहर का पानी खेत में प्रवेश कर गया था और किसानों को भारी नुकसान हुआ था। जानकीनगर थाना क्षेत्र के रुपौली दक्षिण पंचायत स्थित होकर गुजरने वाली जेबीसी 200 आरडी नहर से बनेश्वर वितरनी नहर में पानी का दबाव बढ़ने के कारण रुपौली दक्षिण पंचायत के रमजानी के पास 10 जुलाई 2019 की रात्रि 9:30 बजे नहर टूट गई थी। जिससे रमजानी के आसपास लगभग 50 एकड़ फसल में पानी फैल गया। उसी दिन रात्रि 11:00 बजे जेबीसी 179 आरडी नहर का पूर्वी बांध इटहरी के पास टूट गया था एवं इटहरी के पास लगभग 100 एकड़ में लगी फसल भी पानी की चपेट में आ गई थी। इटहरी के मुसलमान टोली में भी पानी घुस चुका था एवं विनोवा ग्राम जाने वाली सड़क को भी पानी के तेज बहाव ने तोड़ दिया था। उसके अगले दिन जिलाधिकारी प्रदीप कुमार झा ने निरीक्षण के बाद आदेश दिया था कि जल्द से जल्द बांध का मरम्मत किया जाए एवं जहां जहां बांध कमजोर है उसे चिन्हित कर मरम्मत कर दिया जाए। जिलाधिकारी के आदेश के बाद बनेश्वर वितरनी नहर  के बांध एवं जेबीसी नहर के बांध को मरम्मत कर दिया गया है। सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता बनमनखी मुकुंद प्रसाद ने बताया कि बनेश्वर वितरनी नहर के बांध एवं जेबीसी नहर के बांध को मरम्मत कर दिया गया है बांध पूरी तरह से सुरक्षित है। वहीं केनगर में गत वर्ष आठ माह के दरम्यान छह बार नहरें टूटी और सैकड़ों एकड़ में लगी फसलें बर्बाद हो चुकी है। 

...1954 में कोसी नहर का निर्माण कराया गया था : 
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कोसी नदी द्वारा उत्पन्न बाढ़ संकट पर नियंत्रण व कोसी और सीमांचल के क्षेत्र को सिंचित करने के उद्देश्य से 1954 में नेपाल सरकार के साथ हुए समझौते के तहत कोसी नदी पर भीमनगर के समीप बांध बनाकर पश्चिमी कोसी तथा पूर्वी कोसी नहर का निर्माण कराया गया। कोसी और सीमांचल में नहरों से खेतों में सिंचाई करने के मकसद से पूर्वी कोसी मुख्य नहर प्रणाली का विकास किया गया और इस प्रणाली के तहत सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया व कटिहार जिले को लाभान्वित किया गया। वहीं पूर्णिया के सिंचाई विभाग की उदासीनता ने नहरों को पानी से महरूम कर दिया है। जिससे किसानों को अपनी जेबें ढ़ीली कर खेतों में पटवन करना पड़ता है। जो हर लिहाज से किसानों के लिए महंगा साबित होता है। आलम यह है कि जिस नहर से किसानों को अपने खेतों में पटवन करना था आज उस नहर की मिट्‌टी की कटाई हो रही है और कई जगहों पर तो मेड़ काटकर खेतों में मिला लिया गया है। कमोबेश यह स्थिति जिले के सभी 14 प्रखंडों में है। सिंचाई विभाग की उदासीनता के कारण आज सभी प्रखंडों में नहरों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। नहर काटकर कोई खेत बना रहा है तो कोई नहर की मिट्टी से अपने घर दरवाजे की भराई कर रहा है। कितने नहरों का उपयोग सड़क के रूप में किया जा रहा है। लेकिन विभागीय अधिकारी मौन है। कभी कभार तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि बेमौसम नहरों में पानी छोड़े जाने से कमजोर हो चुके मेड़ पानी के बहाव को झेल नहीं पाता है और टूट जाता है। जिससे कई एकड़ में लगी फसलें डूब जाती हैं।

...नहरों के अस्तित्व पर खतरा : 
केनगर के प्राणपट्टी, रामनगर, जगनी, गोकुलपुर, रामनगर, चूनापुर आदि गांवों में नहर से सिंचाई कर किसान अपने खेतों में फसल उगाते थे। लेकिन कई वर्षो से नहर में पानी आना बंद हो गया है। जिस कारण किसानों को पंपसेट से महंगी सिंचाई करनी पड़ती है। नहर में पानी नहीं रहने से रामनगर, वीरपुर, चंपानगर आदि कई माईनरों का अस्तित्व ही लगभग खत्म हो गया है। कुछ दिन पूर्व शुरू हुए मुख्य नहरों के जीर्णोद्धार से किसानों में आशा की किरण जगी थी कि छोटी छोटी नहरों का भी जीर्णोद्धार होगा। लेकिन आज तक विभाग द्वारा इसकी सुधि नहीं ली गई। इन नहरों की बदहाल स्थिति देख किसानों के चेहरे फिर मुरझाने लगे हैं। क्षेत्र के किसानों ने विभागीय अधिकारी से जल्द से जल्द नहरों की मरम्मत कर दोबारा इसे चालू करवाने की मांग की है ताकि किसानों को पटवन में सुविधा हो सके।

...दस वर्षों से नहर में पानी नहीं, मखाने की खेती पर ग्रहण : 
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तपती गर्मी व सिंचाई विभाग की उदासीनता से श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सभी पंचायतों में सिंचाई योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल पाया है। पटवन के अभाव में मखाने की खेती भी चौपट होने के कगार पर है। किसान ज्यादा कीमत पर डीजल खरीदकर पंपसेट से पटवन करने को मजबूर हैं। गर्मी अधिक होने के कारण पटवन करने के दो तीन दिन बाद से ही पानी सूखने लगता है। जबकि मखाने की खेती में लगातार तीन महीने तक पटवन करना अनिवार्य बताया जाता है। किसान कपिलदेव दास, नेपाली दास, विशुनदेव दास, रामजी महतो, राजकुमार महतो ने बताया कि बगल में नहर रहने के बाद भी नहरों में 10 वर्ष पूर्व से ही पानी नहीं छोड़ा गया है। जिससे इस क्षेत्र के किसानों को नहरी पानी का लाभ नहीं मिल पाया है। किसानों ने कहा कि नहरों में पानी नहीं रहने से सिंचाई में काफी पूंजी निवेश करने के बाद भी अच्छी उपज नहीं हो पाती है। प्रखंड के पंचायत झुन्नी कलां, गढ़िया बलुआ, जगैली, चनका, हसैली खुट्टी, खुट्टी धुनैली, खोखा उत्तर, खोखा दक्षिण में निचली जमीन पर मखाने की खेती होती है। किसानों ने कहा कि 5 साल पूर्व बड़ी नहर से छोटी नहर का निर्माण कराया गया था लेकिन बदहाली के कारण उसमें भी आज तक पानी नहीं छोड़ा गया है। जबकि अन्य पंचायतों के खेत में लगे स्टेट बोरिंग भी रखरखाव के अभाव में खराब पड़ा है। 

...बाढ़ से बचाव में मिल सकती है मदद : 
सूबे में यदि नहरी पानी परियोजना को दुरूस्त कर दिया जाए तो काफी हद तक बाढ़ से भी बचाव संभव हो पाएगा। आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तरी बिहार का 76 फीसदी भूभाग बाढ़ प्रभावित है जबकि सूबे के 38 जिलों में से 28 जिले प्रतिवर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं। कोसी प्रमंडल के मधेपुरा जिले का 1030 स्क्वायर किमी भूभाग बाढ़ प्रभावित है। वहीं पूर्णिया प्रमंडल अंतर्गत पूर्णिया जिले का 1260 स्क्वायर किमी, कटिहार का 1850, अररिया का 1690 व किशनगंज का 490 स्क्वायर किमी भूभाग बाढ़ से ग्रसित है। कार्यपालक अभियंता (सिंचाई, योजना एवं मॉनिटरिंग अंचल, पटना) कार्यालय से 20 अगस्त 2017 को जारी पत्र के अनुसार कोसी नहर प्रणाली के तहत कोसी नदी के वीरपुर बराज पर 1,83,560 घनसेक जलश्राव प्रवाहित हो रहा है। इसके बाद भी नहरों की स्थिति चिंताजनक है। बता दें कि पूर्णिया जिला में वर्ष 2015 में नहरों की उड़ाही हुई थी उसके बाद दोबारा नहीं हुई। 

- पूर्वी कोसी मुख्य नहर (लाभान्वित जिला- सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया व अररिया, नहर की क्षमता- 12000 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 41.3 किमी)
- शिवनगर वितरणी (लाभान्वित जिला- सुपौल, नहर की क्षमता- 32 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 4.88 किमी)
- फुलकाहा वितरणी (लाभान्वित जिला- सुपौल, नहर की क्षमता- 110 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 14.32 किमी)
- राजपुर शाखा नहर (लाभान्वित जिला- सुपौल, नहर की क्षमता- 2005 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 9.85 किमी)
- मधेपुरा उप शाखा नहर (लाभान्वित जिला- मधेपुरा व सहरसा, नहर की क्षमता- 450 क्यूसेक, नहर की लंबाई-80.25 किमी)
- गम्हरिया उप शाखा नहर (लाभान्वित जिला- मधेपुरा व सहरसा, नहर की क्षमता- 500 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 77.36 किमी)
- सुपौल उप शाखा नहर (लाभान्वित जिला- सुपौल व सहरसा, नहर की क्षमता- 400 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 74.71 किमी)
- सहरसा उप शाखा नहर (लाभान्वित जिला- सुपौल व सहरसा, नहर की क्षमता- 700 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 90.24 किमी)
- मुरलीगंज शाखा नहर (लाभान्वित जिला- सुपौल, नहर की क्षमता- 1275 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 59.2 किमी)
- परियाही वितरणी (लाभान्वित जिला- सुपौल, नहर की क्षमता- 38 क्यूसेक, नहर की लंबाई 15.85 किमी)
- रानीपट्‌टी वितरणी (लाभान्वित जिला- सुपौल, नहर की क्षमता- 230 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 47 किमी)
- लालपुर वितरणी (लाभान्वित जिला- सुपौल, नहर की क्षमता- 43 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 15.85 किमी)
- जानकीनगर शाखा नहर (लाभान्वित जिला- पूर्णिया, मधेपुरा व अररिया, नहर की क्षमता- 2010 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 77.43 किमी)
- मुरलीगंज वितरणी (लाभान्वित जिला- सुपौल, मधेपुरा व अररिया, नहर की क्षमता- 525 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 58.35 किमी)
- परिहारी वितरणी (लाभान्वित जिला- अररिया, नहर की क्षमता- 187 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 40.24 किमी)
- बनमनखी वितरणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया, नहर की क्षमता- 172 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 28.2 किमी)
- धमदाहा वितरणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया, नहर की क्षमता- 496 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 52.74 किमी)
- सुखासन वितरणी (लाभान्वित जिला- मधेपुरा, नहर की क्षमता- 87 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 13.1 किमी)
- चौसा वितरणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया, नहर की क्षमता- 275 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 34.39 किमी)
- किशुनगंज विरतणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया, नहर की क्षमता- 125 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 28.65 किमी)
- आलमनगर उप वितरणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया, नहर की क्षमता- 135 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 26.52 किमी)
- नरपतगंज वितरणी (लाभान्वित जिला- अररिया, नहर की क्षमता- 35 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 9.15 किमी)
- खरसाही वितरणी (लाभान्वित जिला- अररिया, नहर की क्षमता- 176 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 46.34 किमी)
- सिमरबनी वितरणी (लाभान्वित जिला- अररिया, नहर की क्षमता- 74 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 22.99 किमी)
- भंगहा वितरणी (लाभान्वित जिला- अररिया, नहर की क्षमता- 94 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 21.77 किमी)
- पूर्णिया शाखा नहर (लाभान्वित जिला- पूर्णिया, नहर की क्षमता- 2000 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 60.73 किमी)
- कसबा वितरणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया व अररिया, नहर की क्षमता- 350 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 35.82 किमी)
- श्रीनगर वितरणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया व अररिया, नहर की क्षमता- 400 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 48.78 किमी)
- कुरसेला वितरणी (लाभान्वित जिला- पूर्णिया व अररिया, नहर की क्षमता- 394 क्यूसेक, नहर की लंबाई- 56.58 किमी)। 

...वर्ष 2015 के बाद नहीं हुई नहरों की उड़ाही : 
वर्ष 2015 के बाद नहरों की उड़ाही नहीं की गई है। फिलहाल कोई योजना भी नहीं बनी है कि नहरों की उड़ाही हो सके। जिले के कुछ प्रखंडों में बाढ़ का पानी कम होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।  : मुकुंद प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, जल संसाधन विभाग (नहर) पूर्णिया प्रमंडल।

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