नयी दिल्ली, 23 अगस्त, उच्चतम न्यायालय ने 1999 के कारगिल युद्ध के बारे में एक ब्रिगेड के अभियान पर ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ में सुधार करने के लिए केंद्र को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) से मिले निर्देश को शुक्रवार को दरकिनार कर दिया। युद्ध का गलत ब्योरा पेश करने के एक ब्रिगेडियर के आरोप के बाद न्यायाधिकरण ने यह निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ अभियान के बारे में अधिकारियों द्वारा सौंपी गयी जानकारियों का संकलन है जिसे भावी रणनीतिक अध्ययनों के लिए रखा गया और उसका किसी भी अधिकारी के लिए कोई प्रतिकूल असर नहीं है। न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने केंद्र की अपील मान ली। केंद्र ने अधिकरण के मई, 2010 के फैसले को चुनौती दी थी। ब्रिगेडियर ने दावा किया था कि कारगिल युद्ध के दौरान ‘ऑपरेशन विजय’ में उनकी कमान वाले एक इंफैंट्री ब्रिगेड द्वारा बटालिक सेक्टर में चलाये गये अभियान के बारे में युद्ध रिकार्ड गलत हैं। उन्होंने अदालत में दावा कि उन्होंने कारगिल घुसपैठ के पैटर्न का पहले से अनुमान व्यक्त किया था लेकिन उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने उसे फौरन ही रद्द कर दिया। न्यायाधिकरण के निर्देश के विरूद्ध दायर केंद्र की अपील पर फैसला करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत नहीं आती है और उसका कोई असैन्य परिणाम नहीं है।
शनिवार, 24 अगस्त 2019
कारगिल युद्ध: उच्चतम न्यायालय ने एएफटी का निर्देश दरकिनार किया
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें