नयी दिल्ली , 20 सितंबर , केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम की जमानत अर्जी का दिल्ली उच्च न्यायालय में यह कहते हुए विरोध किया कि यह आर्थिक अपराधों का बहुत गंभीर मामला है। एजेंसी ने कहा कि वित्तीय गबन की मात्रा और उच्च सार्वजनिक पद का दुरुपयोग के चलते चिदम्बरम किसी भी राहत को पाने के हकदार नहीं हैं । केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूर्व वित्त मंत्री की जमानत याचिका पर अपने लिखित जवाब में कहा कि जिन अपराधों के लिए पूर्व वित्त मंत्री की जांच की जा रही है, उनकी गंभीरता उन्हें किसी भी राहत के अधिकार से वंचित करती है क्योंकि यह न केवल ‘भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति’ के विरूद्ध होगा बल्कि इससे भ्रष्टाचार के मामलों में गलत परिपाटी तय होगी । सीबीआई ने कहा कि यह जनता के साथ विश्वासघात का एक स्पष्ट मामला है । चिदम्बरम फिलहाल तीन अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें सीबीआई ने 21 अगस्त को यहां जोरबाग में उनके आवास से गिरफ्तार किया था। उनकी जमानत अर्जी 23 सितंबर को न्यायमूर्ति सुरेश कैत के समक्ष अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। कांग्रेस नेता ने दावा किया है कि उनके विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण और राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है। एजेंसी ने कहा कि कांग्रेस नेता के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और एजेंसी ने उनके खिलाफ मजबूत मामला बनाया है। सीबीआई ने कहा कि चिदम्बरम (73) के देश से चले जाने का खतरा और कानून की प्रक्रिया से बच निकलने की आशंका भी है। पहले भी जो लोग कानून से बच निकले, उनकी भारत में गहरी जड़ें थीं। एजेंसी ने दलील दी कि इस मामले में देश के वित्त मंत्री के रूप में बहुत ही ऊंचे और प्रभावशाली पद को संभालने वाले चिदम्बरम ने निजी लाभ के लिए व्यक्तिगत तौर पर और सह षड्यंत्रकर्ताओं के साथ भी मिलकर इसका (अपने पद का) इस्तेमाल किया। यही तथ्य उन्हें जमानत से वंचित करने के लिए इस मामले को पर्याप्त रूप से गंभीर बनाता है। सीबीआई ने कहा कि जांच से खुलासा हुआ है कि चिदम्बरम ने बतौर वित्त मंत्री अवैध पैसे की मांग की तथा उन्हें एवं उनके पुत्र को देश-विदेश में भुगतान किया गया। सह आरोपियों-- इंद्राणी और पीटर मुखर्जी ने एफआईपीबी मंजूरी के संबंध में देश-विदेश में विभिन्न खातों से भुगतान किया और (एक दूसरे से अलग रह रहे) इस दंपति की कंपनी आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा फेमा उल्लंघन से जुड़े मुद्दे आपसी सहमति के आधार पर समाधान कर लिया गया। सीबीआई ने 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी और आरोप लगाया था कि आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को 2007 में 305 करोड़ रूपये का विदेशी कोष हासिल करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितता बरती गयी। उस दौरान चिदम्बरम वित्त मंत्री थे।
शनिवार, 21 सितंबर 2019
सीबीआई ने चिदम्बरम की जमानत अर्जी का किया विरोध
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