जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाक्टर रामेश्वर उरांव के नगर आगमन के दौरान जितनी जोरदार ढंग से विभिन्न खेमे में बंटे काग्रेसियों ने स्वागत किया ।उतने ही जोरदार ढंग से विभिन्न खेमे में बंटे कांग्रेसियों ने असंवैधानिक ढंग से अपने अपने नेताओं के नेतृत्व में एक दूसरे का विरोध करते रहे दिखे । इस संबंध में जब यह संवाददाता प्रदेशाध्यक्ष डाक्टर उरांव से जानना चाहा तो प्रदेश अध्यक्ष गुटबाजी की बात को एक सिरे से खारिज करते रहे ।लेकिन एक तरफ अध्यक्ष अनुशासन का पाठ सर्किट हाउस में पढा रहे थे और दूसरी तरफ कांग्रेसियों ने अध्यक्ष के सामने ही आपस मे जूतमपैजार करने पर उतारू थे । उसी वक्त अनुशासन का पाठ धरा का धरा रह गया । उसके बावजूद भी प्रदेश अध्यक्ष गुटबाजी मानने को तैयार नहीं ।प्रदेश अध्यक्ष विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के बिखरे कुनबे को एक सूत्र में बांधने का सपना लिए डॉक्टर उरांव जमशेदपुर के दौरे पर पहुंचे ।लेकिन डॉक्टर उरांव के समक्ष जो कुछ हुआ ।उसमें कांग्रेस का भविष्य झारखंड में तय हो गया है । लेकिन अंतत: वही हुआ जिसका डर था, डॉक्टर उरांव के समक्ष ही टिकट की बात को लेकर आपस में उलझ गए और एक दूसरे को औकात बताने तक की बात कह डाली और प्रदेश अध्यक्ष मुकदर्शक बने रहे । राजनीतिक सूत्रों के अनुसार प्रदीप कुमार बालमुचू पूर्व राज्य सभा सांसद ने डॉक्टर अजय कुमार प्रदेश अध्यक्ष झारखण्ड और सुबोधकांत सहाय पूर्व सांसद को आपस में लडाकर संगठन को कमजोर करने का प्रयास करते रहे । प्रदीप बालमुचू की बात को हमेशा खारिज करते रहना महंगा पड़ा डॉक्टर अजय कुमार को और राजनीतिक पटकनिया देकर प्रदीप बालमुचू नेअध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया । सूत्रों के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर उरांव को बनवाकर पुरे कोल्हान मे संगठन में अपने लोगों को काबिज करना चाह रहे हैं । पूर्वी सिंहभूम का इतिहास रहा है कि यहां के नेताओं का उपयोग विरोध करने या करवाने के लिए प्रदेश स्तर के नेता करते रहे हैं । विरोध करने की राजनीति डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र के समय से प्रारंभ हुआ ओ आज तक बरकरार है । डॉक्टर उरांव का प्रदेश अध्यक्ष बने अभी एक महीना नहीं हुआ कि उनका विरोध कांग्रेस के एक कद्दावर नेता ने उनके कार्य शैली का जोरदार ढंग से उठाकर विरोध जता दिया है । राजनितिक सूत्रों के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर उरांव के नगर आगमन के दौरान प्रदीप कुमार बालमुचू ,बन्ना गुप्ता और फिरोज खान गुटों के लोग ही टिकट बंटवारे और पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष विजय खाँ को हटाने के लिए करते रहे । सूत्रों के अनुसार अनुशासनहीनता का काम दूसरे दलों से भागकर जो काग्रेंस मे शामिल हुए वे लोग ही करते हैं । जिससे काग्रेंस में अनुशासन नहीं दिखता है । राजनीतिक सूत्रों के अनुसार पूरे झारखण्ड मे प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार ने झाविमो के लोगों को तोड़कर काग्रेस मे लाया और पुराने काग्रेसी या जमीन से जुड़े नेताओं की अनदेखी कर वैसे लोगों को संगठन में तरजीह दिया जाने लगा । जिससे कर्मठ वफादार काग्रेसी क्षुब्ध चल रहे थे । वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर उरांव के समक्ष फिलहाल विधानसभा चुनाव और संगठन को मजबूत करना मुख्य मुद्दा है ।जो बहुत आसान नहीं है । एक तरफ जिला अध्यक्षों का विरोध और दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव अगर फिलहाल संगठन में हेरफेर होता है तो विधानसभा चुनाव में उसका सीधा असर पडेगा । उसके बावजूद प्रदेश अध्यक्ष के सामने जिस तरह वर्त्तमान जिला अध्यक्ष का विरोध किया गया । इससे लगता है कि वर्त्तमान प्रदेश अध्यक्ष ,वर्त्तमान जिला अध्यक्ष को हटाकर नये जिला अध्यक्ष की नियुक्ति कर दें । लेकिन इसकी कौन गारंटी लेगा कि जो नये जिलाध्यक्ष बनाये जांए ओ सर्वमान्य हो । वैसे जिला अध्यक्ष की होड मे सभी गुटों की ओर से दावेदारी ठोका गया है । लेकिन सबसे सशक्त और संगठन हित मे कौन जिला अध्यक्ष मजबूत होगा यह तो आने वाला विधानसभा चुनाव ही बतायेगा । जिला अध्यक्ष की दौर में आंनद बिहारी दुबे ,राज किशोर यादव ,अखिलेश सिंह यादव ,कमलेश कुमार पाण्डेय ,रजनीश सिंह ,परविंदर सिंह ,डॉक्टर पारितोष सिंह , प्रिंस सिंह इत्यादि और कई नेता इस होड मे शामिल हैं
मंगलवार, 17 सितंबर 2019
जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम कांग्रेसियों मे घमासान , संगठन कमजोर
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