अरुण कुमार (आर्यावर्त) बेगूसराय में अपराधियों की तो बाढ़ ही आ गई है जैसे।इस वक्त जो मामला सामने आई है वह यह है कि ऑटो से जा रहे एक व्यवसायी को अपराधियों ने गोली मार दी,इतना ही नहीं गोली मारने के बाद 70,000 रुपये की लूट का भी मामला सामने आया है। पीड़ित व्यवसायी का स्थानीय पीएचसी में इलाज चल रहा है। यह घटना तेघड़ा थाना क्षेत्रान्तर्गत केलाबाड़ी की घटना है।ऐसे में तो अब किसी को भी घर से निकलना मुश्किल हो गया है,पता नहीं कौन किधर से आ धमके और कब किसे गोलियों का निशाना बना ले और गोली खानेवालों की क्या होगा जियेगा या मरेगा इसका कोई ठिकाना नहीं।मान लेते हैं अगर मर गया तो वो तो अपनी जान से गया फिर सवाल उठता है कि उसके परिवारों के सदस्यों का क्या होगा?और अगर किसी तरह बच भी गया तो वह करेगा क्या?क्या वह गोली खाये शरीर से किसी काम के योग्य भी रहेगा या नहीं इसकी क्या गारंटी है।आये दिन इस तरहों की घटनाओं से अखबार,टीवी के न्यूज चैनलों एवं मोबाइल के व्हाट्सएप पर ब्रेकिंग न्यूज और फेसबुक पर छाया रहता है ऐसी घटनाओं की खबरें।आम लोगों के बीच तो ऐसी घटनाओं की खबर जब आम हो चुकी है तो क्या सरकार और प्रशासन क्या ऐसी खबरों से अछूता है?बड़े ही शर्म की बात है यह सरकार और प्रशासन दोनों के लिये।आखिर ऐसी वारदातों के पिछे क्या कारण हो सकता है इस बात पर सरकार जरा सी ध्यान दे दे तो ऐसी घटना घटने में निश्चित तौर पर कमी आएगी।इस घटना का मूलतः कारण है बेरोजगारी।बेरोजगारी एक ऐसी कैंसर होते जा रही है समाज के लिये जिससे बचना आज की तारीख में बड़ी ही टेढ़ी खीर जान पड़ता है।अपराधियों को भी यह सोचना चाहिये की आज जो रास्ता अख्तियार कर दूसरों को शिकार बनाते हैं तो किसी दिन हमें भी कोई शिकार बना सकता है।अतः यह बात तीनों ही पक्षों के लिये विचारणीय है।
रविवार, 15 सितंबर 2019
बिहार : मची है लूटमार और भ्रष्टाचार पता नहीं कौन हो जाये इसका शिकार
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