मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) : एक सामान्य परिवार में बेहद तंग भवन में रह रहीं अनुमंडल के साहरघाट की उषा देवी मिथिला पेंटिंग बना कर राज्य स्तर पर अपनी खास पहचान स्थापित कर लेगी यह शायद ही किसी ने कल्पना की होगी। उषा देवी ने राष्ट्रीय मेरिट अवार्ड से सम्मानित राजनगर के घिवाही गांव निवासी अपनी मां शांति देवी के सानिध्य में 34 वर्ष पहले तकरीबन 12 वर्ष की बाल्य अवस्था में मिथिला पेंटिंग के लिए ब्रश पकड़ शुरुआत की थी, जो आज स्टेट अवार्ड के लिये चयनित होकर अपने माता, पिता, पति के साथ-साथ अपने गांव समाज, अनुमंडल और जिले का नाम रौशन की है। उषा देवी बिहार सरकार के उद्योग विभाग के तहत संचालित उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना के द्वारा सत्र 2016-17 का राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित होने के लिये 11 सितंबर को चयनित हुईं है। इनकी सफलता से अविभूत समस्त साहरघाट के लोग अपने आप को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। बधाई और शुभकामना देने का सिलसिला जारी है। पूरे परिवार और आस पड़ोस में हर्ष का माहौल व्याप्त है।
उल्लेखनीय है कि उषा देवी ने अपनी मां से पेंटिंग सीखकर सिर्फ अपने में सिमट कर नही रखा बल्कि पति भोला झा, पुत्र नितिन, पुत्री खुशबू और राखी को भी इस कला में पारंगत करने में जुट गयीं। आज उनके घर के सभी सदस्य मिथिला पेंटिंग बनाकर विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनी लगाने का काम कर रहीं हैं। 5 दिसंबर 2018 को बिहार सरकार के उद्योग विभाग द्वारा संचालित उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना के उपविकास पदाधिकारी के द्वारा सत्र 2015-16 का श्रेष्ठ हस्त शिल्प हेतु श्रेष्ठता पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं हैं। वहीं उज्जैन में महाकवि कालिदास द्वारा रचित ग्रंथ कुमार सम्भवम पर केंद्रित कथा सुनकर उनकी समस्त जीवनी की पेंटिंग बना चुकी है। वाराणसी में आयोजित वर्क शॉप में भी भाग लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी उषा देवी ने बेंगलुरु के चित्रकला परिषद, अहमदाबाद, हैदराबाद, देहरादून, चेन्नई, मुंबई और गोआ सहित कई अन्य प्रदेशों में भी अपनी स्टॉल लगाकर पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगा चुकीं हैं। इनकी मां शांति देवी 2007 में स्टेट अवार्ड से और बाद में नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकीं हैं, और इटली सहित कई देशों में मिथिला पेंटिग की प्रतिभा विखेर चुकीं हैं। मिथिला पेंटिग के बारे में पूछे जाने पर बेहद भावुक होकर उषा कहतीं हैं, कि अब तो नींद में भी अपने आपको मिथिला पेंटिंग बनाते हुए महसूस करतीं हूं। अब अधिक से अधिक लोगों को मिथिला पेंटिंग का प्रशिक्षण देकर मिथिला और मैथिली को नई ऊंचाई तक पहुंचाने का सपना पूरा करने का प्रयासरत हूं। बता दें कि कार्ड के अलावे दीवार, साड़ी, सूट और अन्य चीजों पर भी पेंटिंग उकेडती हैं। कृष्ण उनके पंसदीदा देवता हैं, इसलिये उनकी लीला पर आधारित अधिकतर पेंटिंग बना चुकीं हैं।
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