बिहार : 2200 लोगों ने बिहार की पुकार सुनी है : प्रियंका कुमारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 30 सितंबर 2019

बिहार : 2200 लोगों ने बिहार की पुकार सुनी है : प्रियंका कुमारी

priyanka-kumari-biharपटना, 30 सितम्बर (आर्यावर्त संवाददाता) । पटना में बाढ़ के कारण अब तक 29 लोगों की जान चली गई है। लोग सोशल मीडिया में मदद की गुहार लगा रहे हैं क्योंकि बाढ़ के हेल्पलाइन नंबर काम नहीं कर रहे हैं। प्रियंका कुमारी कहती हैं कि हमें अभी के अभी उन लोगों के लिए आगे आना होगा ! सोचिए अगर आपकी ज़िंदगी एक फ़ोन कॉल पर जाकर टिकी हो और वो फ़ोन कॉल ना लगे। जब बाढ़ आती है तो हमारे बिहार में ऐसा ही होता है। 

बाढ़ में फंसे लोगों के लिए आगे आएं
बाढ़ के वक्त हेल्पलाइन नंबर ज़िंदगी और मौत के बीच की दीवार बन जाते हैं। एक कॉल तय करती है कि कोई बचाया जाएगा या बह जाएगा। मेरी कोशिश है कि इस बार सब बच जाएं। बिहार में बाढ़ राहत के लिए एक राज्य स्तरीय हेल्पलाइन नंबर हो। ये हेल्पलाइन डूबते को तिनके का सहारा होगी। इससे राहत-बचाव कार्य में तेजी आएगी।

2200 लोगों ने बिहार की पुकार सुनी है
अगर आप जैसे और ज़िम्मेदार भारतीय मेरे अभियान का समर्थन करेंगे तो बिहार के करोड़ों लोग बाढ़ में अकेले नहीं रहेंगे।हम बाढ़ को तो नहीं रोक सकते हैं पर हम इतना तो सुनिश्चित कर सकते हैं कि इस बार मदद के लिए लगाई गई हर कॉल का जवाब दिया जाए। 2016- बिहार में भारी बाढ़, 28 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित! 2017- बिहार में 2008 के बाद की सबसे भयानक बाढ़, 514 लोगों की मौत!2018- बिहार में बाढ़ का खतरा बढ़ा, पटना एनएमसीएच के ICU में तैरी मछलियां! 2019- बाढ़ ने ली 134 लोगों की जान, 88.46 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित!
2020- ?

खबरों की ये हेडलाइन्स गवाह
 मेरे बिहार की सबसे गहरी चोट की। बाढ़ एक गहरी चोट ही तो है जो हर साल-दो साल पर मेरे प्रदेश को लगती है। मैं बिहार के एक छोटे से गाँव से हूँ और मुझे बिहार की इस चोट पर मरहम लगाना है। बिहार में 1979 से लेकर अब तक बाढ़ के कारण 9,500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। बिहार भारत का वो राज्य है जहाँ बाढ़ का खतरा सबसे ज्यादा है। पर इतने बड़े खतरे के बावजूद बाढ़ की तैयारियाँ हर बार अधूरी ही रह जाती हैं।बाढ़ के वक्त हेल्पलाइन नंबर डूबते को तिनके का सहारा होते हैं, राहत और बचाव कार्यों में इनका बहुत महत्व होता है। दुखद बात ये है कि बिहार के लोगों को ये सहारा भी कभी मिलता है तो कभी नहीं। 

हेल्पलाइन नंबर ठीक से काम नहीं करते 
हर बार की तरह इस बार भी बाढ़ राहत में लगे कितने लोगों ने शिकायत की कि बाढ़ हेल्पलाइन नंबर ठीक से काम नहीं करते हैं। आप सोचिए कि आपका घर डूब रहा हो, आप घुटनों तक पानी में हों और आप मदद की आखिरी उम्मीद, बाढ़ हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगाएं और वो काम ना करे, फोन ना उठे तो आप पर क्या बीतेगी। इसलिए मैंने बिहार सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी के नाम ये पेटीशन शुरू की है। मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर करें और शेयर करें ताकि पूरे बिहार में बाढ़ राहत के लिए एक आसान हेल्पलाइन नंबर जारी हो।अभी स्थिति ये है कि अलग-अलग ज़िलों के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाते हैं। अगर पूरे बिहार में बाढ़ के लिए केवल एक हेल्पलाइन नंबर हो तो इससे कई फायदे होंगे:

1. सरकार को बाढ़ के बाद अलग-अलग हेल्पलाइन नंबरों के प्रचार-प्रसार के लिए मेहनत नहीं करनी होगी।
2. एक हेल्पलाइन होने से उसका नियंत्रण आसान होगा और राहत-बचाव कार्यों में तेजी आएगी।
3. एक नंबर होने से लोगों बच्चे से लेकर बूढ़े को पता होगा कि बाढ़ के समय बचाव के लिए कहाँ संपर्क करना है।

मुझे नहीं पता कि बाढ़ को रोका जा सकता है या नहीं पर मैं जानती हूँ कि अगर बिहार के करोड़ों लोगों को इस हेल्पलाइन की सौगात मिलती है तो उनकी जान ज़रूर बचाई जा सकती है। मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर करें ताकि सरकार पूरे बिहार को बाढ़ राहत के लिए एक हेल्पलाइन की सौगात दे। बिहार सालों से बाढ़ की चोट खाता आ रहा है, सरकार इस हेल्पलाइन के माध्यम से उस चोट पर मरहम लगा सकती है। मेरी पेटीशन को शेयर करें ताकि बिहार की चोट पर मरहम लगाया जा सके।

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