दिल्ली,21 अक्टूबर (आर्यावर्त संवाददाता) । दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती है। इस अवसर पर राजघाट , दिल्ली से जय - जगत यात्रा की शुरुआत होने जा रही है जिसके अनेक उद्देश्य है । देश , दुनिया को अराजकता और हिंसा से बाहर निकालने के लिए यह यात्रा गांधी विचार के संगठन 'एकता परिषद' के संस्थापक पी. व्ही. राजगोपाल के नेतृत्व में जिनेवा तक जाएगी । इस अभियान में दुनिया भर से पचास पदयात्री हिस्सा लेंने वाले हैं । यहां पर एक सवाल यह उठता है कि उद्देश्य की पूर्ति के लिए यात्रा ही क्यों आवश्यक है ? क्यों न दुनिया भर की सरकारों से आह्वान किया जाए और विश्व भर में खुशहाली आ जाए ? यात्रा के दौरान ऐसा भी किया जाएगा । केवल संघर्ष और संवाद का सहारा ही इसमें लिया जाएगा क्योंकि अहिंसक आंदोलन का यही अर्थ होता है । रही बात जय - जगत यात्रा की , तो इसका उत्तर यह है कि दुनियां कई तरह के क्षेत्रों , भाषाओं , संप्रदाय व लोगों से मिलकर बनती है , यही विविधता ही संसार की खूबसूरती है और इसी विविधता के कारण कई तरह के विरोधाभास उत्पन्न होते हैं । इस खूबसूरती की अहमियत को अगर समझना है , तो इसके लिए हमें इस खूबसूरती को जानना , परखना होगा और इसका सबसे अच्छा उपाय यह है कि हम उन स्थानों व उन लोगों के बीच पहुंचे , उन जगहों पर रूके व जगहों के लोगों के साथ संवाद करें , तभी हम उस सभ्यता का एक स्थान से दूसरे स्थान पर विस्तार के साथ माहौल बना पाएंगे क्योंकि यात्रा में विभिन्न क्षेत्र व समाज के लोग हैं इसलिए इस खूबसूरती को अलग - अलग तरीके से अपने-अपने क्षेत्रों में स्थापित कर पाएंगे । इसके विपरीत कहीं पर कोई विरोधाभास है तो उससे निपटने के लिए हम अपनी विविधता से अपने - अपने तरीके से उपाय ढूंढेंगे , वहां के लोगों के साथ । हर समस्या का समाधान संवाद व संघर्ष के जरिए हल करने का प्रयास करेंगे । यदि किसी समस्या का समाधान वैश्विक स्तर से ही हल होगा , तो इसके लिए जय - जगत यात्रा , इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाएगी व समस्या का अहिंसक उपाय बताएगी । यात्री वही लोग हैं जो समाज के हित को अपना जीवन मानते हैं । यात्रियों की प्रतिबद्धता यही है कि दुनिया को अशांति रहित बनाना है । यात्री , यात्रा के माध्यम से विश्व को शांति , न्याय व सद्भावना का संदेश तो देना ही चाहते हैं , इसके साथ वह दुनिया से अनैतिकता की जगह नैतिकता की स्थापना करना चाहते हैं । वह समाज के मूल्य में संवाद के साथ ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ ( सबके हित मे , मेरा हित ) की स्थापना करना चाहते हैं । वर्तमान यात्राओं के स्वरूप से 'जय - जगत - 2020' यात्रा की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि अब की यात्राएं किसी न किसी के विरोध में निकाली जाती है । पर जगत यात्रा किसी के विरोध में नहीं , बल्कि सभी को साथ में लाने के लिए है । हां , यह यात्रा अन्याय , हिंसा , असत्य और अनैतिकता के खिलाफ जरूर है । इस यात्रा के सूत्रधार पी. व्ही. राजगोपाल हैं । जिनका संपूर्ण जीवन गांधी , विनोबा जी का अनुसरण करते हुए प्रकृति और समाज के लिए बीता है इसलिए इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य गांधी के विचारों से युक्त समाज की स्थापना करने के साथ पर्यावरण संरक्षण भी है । गांधी जी आदर्श सभ्यता की बात करते थे जिसको हमारे पूर्वजों ने समाज हित के लिए बनाया है साथ ही पर्यावरण जोकि हमारी आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखेगा इसलिए हमें सभ्यता और प्रकृति दोनों का संरक्षण करना है । इसी मकसद से इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है । यात्रा का नाम जय - जगत इसलिए है क्योंकि यात्रा का उद्देश्य 'सर्वोदय' है । सर्वोदय सभी सकारात्मक शक्तियों का मिश्रण होता है , जिसका अर्थ जय - जगत होता है यानी विश्व की विजय । आज तो शास्त्रों के द्वारा की गई विजय हमेशा जख्म देती है लेकिन समतामूलक समाज बनाने में जो विजय मिलती है , उससे शान्ति की प्राप्ति होती है । जय - जगत वैश्विक परिदृश्य में समतामूलक समाज हासिल करना चाहता है । हमने अपने मन मे यही बिठा लिया है कि यदि हमें कोई आयाम हासिल करना है , तो किसी से वह आयाम छीनना पड़ेगा , ऐसा नहीं है । यदि 'जय -जगत -2020' समतामूलक समाज हासिल करना चाहता है , तो वह किसी से कुछ नहीं छीनना चाहता । वह केवल सामंतवादियों से वंचितों को उनका हक देने के लिए प्रतिबद्ध करना चाहता है ।
मंगलवार, 24 सितंबर 2019
दो अक्टूबर से ऐतिहासिक विश्व शांति के लिए जय- जगत यात्रा
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