पटना, 23 अक्टूबर (आर्यावर्त संवाददाता)। दीघा थाना क्षेत्र के विकास नगर कोठियां में रहती हैं अनिशा किस्पोट्टा। हार्टमन हाई स्कूल से दस जमा दो की परीक्षा में 82 प्रतिशत अंक लायी हैं। जो बिहार में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की ईसाई छात्राओं में सर्वाधिक है। इसी तरह संपूर्ण भारत में चयनित अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की ईसाई की 10 छात्राओं में छठे स्थान पर रही।
मानव सेवा करने का प्रशिक्षण लेने रांची प्रस्थान
आधुनिग नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटिंगेल की राह पर चलकर मानव सेवा करने का प्रशिक्षण लेने अनिशा चली गयी। संत बरनाबस हॉस्पिटल कॉलेज ऑफ नर्सिंग में चार साल का बीएससी नर्सिंग का प्रशिक्षण लेना है। उसे प्रथम वर्ष में 124000 रू. देना है। इसमें जुगाड़ कर 54 हजार रू.दे दी है। द्वितीय वर्ष में 113000 रू देना होगा। तृतीय वर्ष में भी 113000 रू.देना है। चतुर्थ वर्ष में 122000 में देना है। कुल 4720000(चार लाख बहतर हजार ) रू.देना है। हॉस्टल व कॉलेज फीस है। इसके अलावे हरेक साल 10 रू. किताब व यूर्निफॉम में व्यय करना है।
अनिशा की मां निर्मला किस्पोट्टा हैं विधवा
कुर्जी में स्थित लोयोला हाई स्कूल में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं शैलेन्द्र किस्पोट्टा। 2006 में गंभीर बीमारी से शैलेन्द्र किस्पोट्टा की मृत्यु हो गयी। उक्त स्कूल के प्रबंधन ने घर की माली हालत खराब होने व तीन लड़कियों पर दया बरसाकर विधवा निर्मला किस्पोट्टा को अनुकम्पा के आधार पर स्वर्गीय शैलेन्द्र के पद पर बहाल कर दिए। 2006 मां-पिता का दायित्व निर्मला उठा रही हैं। तीन लड़कियों में बड़ी हैं अनिशा किस्पोट्टा। इसके बाद मनीषा और गुनिशा हैं। हार्टमन हाई स्कूल मनिषा 11वीं और गुनिशा नौवीं कक्षा में हैं।तीनों को रूखा -सूखा खाकर परवरिश करती रही हैं विधवा।
आर्थिक समस्याओं से जूझ रही हैं अनिशा
अल्पवेतनभोगी परिवार की अनिशा को डर लगने लगा है।क्या बीएससी नर्सिंग अधूरा ही रह जाएगा? इसके आलोक में अनिशा चाहती है कि सरकार और समाज परिवार को आर्थिक सर्पोट करें ताकि परिवार की माली हालात में सुधार हो सकें और बीएससी नर्सिंग पूरी कर सकें। दिल्ली में सी.बी.सी.आई. के द्वारा सम्मानित किया गया। स्मृति चिन्ह, प्रशंस्ति पत्र व दस हजार रू.मिला। वहीं पटना में प्रेरितों की रानी गिरजाघर में कुर्जी पल्ली के प्रधान पल्ली पुरोहित फादर सुसई राज ने स्मृति चिन्ह और तौलिया देकर सम्मानित किया। कोई मसीहा पांच लाख रू. मदद देकर यश का भागी बने.

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