पटना, (आर्यावर्त संवाददाता) । संत माइकल हाई स्कूल के सामने हार्टमन गर्ल्स हाई स्कूल है। इस स्कूल में प्लस-2 में अनिशा किस्पोट्टा पढ़ती थीं। अनिशा कहती हैं कि बिहार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ईसाई छात्राओं में अव्वल आई हूं।वहीं पूरे भारत की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (बीपीएल) की 10 मेघावी ईसाई छात्राओं में छठा स्थान में हूं। इसके आलोक में 6 अक्टूबर, 2019 को दिल्ली स्थित सी.बी.सी. आई.भवन में सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि स्मृति चिन्ह, प्रशंस्ति पत्र और नकद 10 हजार रू.मिला। इस बीच कुर्जी पल्ली के प्रधान पल्ली पुरोहित फादर सुसई राज ने जानकारी दी है कि रविवार 20 अक्टूबर को सुबह छह बजे वाली मिस्सा पूजा के बाद प्रेरितों की रानी गिरजाघर में पल्लीवासियों की ओर अनिशा किस्पोट्टा को सम्मानित किया जाएगा।
कौन है अनिशा किस्पोट्टा ?
दीघा थानान्तर्गत विकास नगर में रहते हैं शैलेन्द्र किस्पोट्टा और निर्मला किस्पोट्टा। शैलेन्द्र लोयला हाई स्कूल में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं। इन दोनों की बड़ी बेटी है अनिशा किस्पोट्टा। अनिशा की दो बहन मनिषा और गुनिशा हैं। दु:ख के साथ कहती हैं कि हमलोगों के पिताजी का निधन 2006 में हो गया। मिशनरी नियम न होने के बावजूद लोयला स्कूल के प्रबंधन ने माताजी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दे दी। पिताजी के स्वर्गवास हो जाने के बाद माताजी ही हमलोगों का ख्याल रखती हैं,उसी तरह हमलोग भी माताजी का हरसंभव ध्यान रखते हैं।
हो गया स्टूडेंट्स लाइफ पेनफुल
माताजी के घरेलू कार्य में हाथ बंटाते हैं। इसके कारण स्टूडेंट्स लाइफ पेनफुल हो गया। सुबह उठकर नास्ता तैयाक करके माताजी को काम पर भेजती हूं। बहनों को तैयार करके स्कूल भेजती हूं। इनके साथ खुद तैयार होती हूं। स्कूल से आने के बाद दोपहर का खाना बनाती हूं। इसके बाद रात का खाना तैयार करती हूं। इतना करने के बाद नौ बजे से पढ़ाई करना शुरू करती हूं। केवल माताजी परीक्षा समय में सारा काम कर देती हैं बेहतर ढंग से पढ़ाई कर परीक्षा देने को तैयार हो सके। खुदा और माताजी की कृपा से परीक्षा में शानदार ढंग से पास होती चली गयी। प्लस-2 की परीक्षा में बिहार की ईसाई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति छात्राओं में अव्वल आयी है।इसके बाद मानवता की सेवा करने हेतु नर्स बनना चाहती हैं अनिशा। उसने कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में बीएससी नर्सिंग इंट्रेस टेस्ट में बेस्ट होकर चयन हो गयी। देर से टेस्ट होने से वैकल्पिक रूप में इसी तरह की टेस्ट बर्नाबस हॉस्पिटल (झारखंड) में जाकर दी। वहां पर चयन हो गया। यहीं पर बीएससी नर्सिंग करेगीं।
आर्थिक समस्याओं से जूझ रही हैं अनिशा
अल्पवेतनभोगी परिवार है। यह डर लग रहा है कि बीएससी नर्सिंग अधूरा न रह जाए। इसके आलोक में अनिशा चाहती है कि सरकार और समाज परिवार को आर्थिक सर्पोट करें। ऐसा करने ही परिवार की माली हालात में सुधार होती रहेगी।
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