बिहार : सासाराम में आंदोलनकारी छात्रों पर दर्ज मुकदमे वापस लो, रिहा करो: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

बिहार : सासाराम में आंदोलनकारी छात्रों पर दर्ज मुकदमे वापस लो, रिहा करो: माले

आइसा-इनौस की संयुक्त टीम ने किया सासाराम का दौरा, 30 अक्टूबर को गया जेल में आंदोलकारियों से करेंगे मुलाकात.भाकपा-माले केंद्रीय कमिटी के सदस्य व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल कर रहे टीम का नेतृत्व.
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पटना 29 अक्टूबर 2019 (आर्यावर्त संवाददाता) भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने रेलवे के निजीकरण के खिलाफ सासाराम में युवाओं के उठ खड़े हुए आंदोलन का स्वागत और सरकार की दमनात्मक कार्रवाई की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि सासाराम में रेल पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से आंदोलनकारियों पर कई प्रकार के फर्जी मुकदमे थोप दिए हैं और 18 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. अन्य आरोपितों की भी गिरफ्तारी के लिए भी प्रशासन लगातार दमनचक्र चला रहा है. भाकपा-माले इस कार्रवाई पर अविलंब रोक लगाने की मांग करती है. भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य व इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, आइसा के बिहार राज्य सचिव सबीर कुमार, भोजपुर इनौस के संयोजक शिवप्रकाश रंजन, सासाराम के जिला सचिव बबलु कुमार, शिवशंकर सिंह कुशवाहा, शिवशंकर राम, राष्ट्रीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास के छात्रा प्रधान ज्योति कुमार आदि नेताओं के नेतृत्व में आज एक उच्चस्तरीय टीम ने सासाराम का दौरा किया और आंदोलनकारियों से मुलाकात की.  इनौस नेता मनोज मंजिल ने कहा है कि प्रशासन ने सासाराम में आतंक की स्थिति पैदा कर दी है. लाॅजों में लगातार छापेमारी की जा रही है जैसे छात्र छात्र न होकर कोई आतंकवादी हों. उन्होंने कहा कि लगभग हरेक कोचिंग सेंटर पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है. स्थान के अभाव के कारण सासाराम रेलवे स्टेशन पर हजारों छात्र शाम में बैठकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी किया करते थे. प्रशासन के आतंक की वजह से छात्र पढ़ाई छोड़कर घर भागने को मजबूर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि मोदी-2 शासन में नौकरियों की हालत और भी खराब हो रही है. एक तरफ पूरे देश में भयानक आर्थिक मंदी है और दूसरी और सरकार रेलवे, हवाई अड्डों आदि का तेजी से निजीकरण करके बची-खुची नौकरियों को भी खत्म कर रही है. यह देश के छात्र-युवाओं के भविष्य के साथ घोर खिलवाड़ है. कहा कि रेलवे के निजीकरण के खिलाफ उठ रही आवाज को दबाया नहीं जा सकता है. रेलवे के निजीकरण से छात्र रेलवे का परीक्षा फार्म नहीं भर पायेंगे और न ही परीक्षा में शामिल हो पाएंगे. रोजगार मांगने पर उलटे दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है. यही भाजपा का असली चरित्र है. आज बेरोजगारी ने पुराने सारे रिर्काड तोड़ डाले हैं. उच्चस्तरीय टीम ने छात्रों के धर-पकड़ पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है. 30 अक्टूबर को यह टीम गया जाकर जेल में बंद आंदोलनकारियों से मुलाकात करेगी. रेलवे के निजीकरण के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन में बर्बर पुलिसिया दमन और गिरफ्तारी के खिलाफ आइसा व इनौस द्वारा आगामी 31 अक्टूबर को बिहार के तमाम रेलवे जिला परिसरों में एक दिन का धरना दिया जाएगा.

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