प्रधानमंत्री ने देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 3 अक्तूबर 2019

प्रधानमंत्री ने देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया

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अहमदाबाद, 02 अक्टूबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित करते हुए कहा कि केवल शौचालयों का निर्माण ही काफी नहीं है बल्कि इनके इस्तेमाल को आदत का हिस्सा बनाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के अभियान के चलते देश की उत्पादकता भी बढ़ी है। देश भर के 20 हजार सरंपंचों के महासम्मेलन को यहां साबरमती रिवरफ्रंट पर संबोधित करते हुए श्री मोदी ने देश के सभी वासियों से देशहित में एक एक संकल्प लेने का भी आहवान किया। महात्मा गांधी पर डाक टिकट तथा सिक्का जारी करने और स्वच्छ भारत मिशन के पुरस्कार वितरित करने के बाद श्री मोदी ने अपने संबोधन से पहले सभी सरपंचों को मंच से झुक कर नमन किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का स्वच्छता का सपना साकार करने में उनके योगदान के लिए वह ऐसा कर रहे हैं। देश को खुले में शौच से मुक्त करना 130 करोड़ देशवासियों के प्रयासों से संभव हुआ है न कि केवल सरकार के चलते। उन्होंने स्वच्छता ही सेवा विषय पर पत्र लेखन प्रतियोगिता के विजेता पुद्दचेरी के छात्र एस विश्वा और गोवा के छात्र शेन सावियो फर्नाडिंज के अलावा स्वच्छता अभियान के लिए बिहार के बसडीला खास की सरपंच शर्मिला देवी, छत्तीसगढ़ के जसपुर की करीना खातून और मेघायल की लंमलिनती लिंगखोए और तेलंगाना के पेद्दापल्ली शहर को पुरस्कृत किया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात को भी अलग अलग श्रेणियों में पुरस्कृत किया गया। श्री मोदी ने कहा कि आज जब देश खुले में शौच मुक्त घोषित हुआ है, उन्होंने महात्मा गांधी के आश्रम जाकर एक नयी ऊर्जा का अनुभव किया है। उन्ने यह भी लगा कि जैसे इतिहास अपने आप को दोहरा रहा हो। जैसे बापू के आहवान पर लाखो भारतवासी आजादी के लिए निकल पडे थे, उसी तरह स्वच्छता के उनके आहवान पर लाखों भारतवासियों ने दिल से सहयोग किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले जिस शौचालय की बात करने में झिझक होती थी वह आज देश की सोच का अहम हिस्सा हो गया है। 60 महीने 60 करोड लोगों के लिए में 11 करोड से ज्यादा शौाचालय का निर्माण यह सुन कर विश्व अचंभित है। इससे कई लाभ हुए हैं। माताओं बहनों को अंधेरे के इंतजार की पीड़ा से मुक्ति मिली है। गरीबों का बीमारी पर होने वाला खर्च कम हुआ है। इसने ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में रोजगार के नये अवसर भी पैदा किये हैं। 

यूनिसेफ के एक अनुमान के अनुसार बीते पांच साल में भारत में रोजगार के जो अवसर बने हैँ उनमें अधिकतर गांवों के बहन भाईयों को मिले हैं। इससे हमारी प्रोडक्टिविटी पर सकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि आज जो कुछ भी हासिल हुआ वह काफी नहीं है और एक पड़ाव भर है। अभी केवल शौचायलों का निर्माण हुआ है और अब एक इस परिवर्तन को स्थायी बनाना है। यह सुनिश्चित करना है कि शौचालय का उचित उपयोग हो। सरकार ने अभी जो साढ़े तीन लाख करोड़ का जल जीवन मिशन शुरू किया है उससे इसमें मदद मिलने वाली है। इस मौके पर श्री मोदी ने एकल प्रयोग प्लास्टिक से मुक्ति की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि बीते तीन सप्ताह मे स्वच्छता ही सेवा अभियान के दौरान करीब 20 हजार टन प्लास्टिक कचरा इकट्ठा हुआ है और प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल तेजी से घट रहा है। ऐसा होना जरूरी है। 2022 तक इससे देश को मुक्त करना है। श्री मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत के हमारे मॉडल से दुनिया सीखना चाहती है। तीन देशों इंडोनेशिया, नाइजिरिया और माली के प्रतिनिधि यहां उपस्थित हैं। भारत अपने अनुभव को दूसरे देशों से साझा करने के लिए तैयार है। गांधीजी भी स्वच्छता को सर्वोपरि मानते थे। आज हम भी स्वच्छ समर्थ सशक्त नये भारत के निर्माण में लगे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार गांधीजी के सपने के अनुरूप हर गांव को स्वावलंबी बनाने के लिए भी काम कर रही है। बापू भी मानते थे कि राष्ट्रवादी हुए बिना अंतर्राष्ट्रवादी नहीं हुआ जा सकता। नये भारत में स्वच्छता, सुरक्षा, भेदभाव से मुक्ति होगी।

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