नयी दिल्ली, एक नवंबर, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अक्टूबर में 5.29 प्रतिशत गिरावट के साथ 95,380 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल अक्टूबर में संग्रह 1,00,710 करोड़ रुपये था। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। यह लगातार तीसरा महीना है जब जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से नीचे है। सितंबर में जीएसटी संग्रह 91,916 करोड़ रुपये था। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘अक्टूबर 2019 में कुल जीएसटी संग्रह 95,380 करोड़ रुपये रहा। इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) 17,582 करोड़ रुपये, राज्य जीएएसटी (एसजीएसटी) 23,674 करोड़ रुपये, समन्वित जीएसटी (आईजीएसटी) 46,517 करोड़ रुपये (इसमें 21,446 करोड़ रुपये आयातित माल से प्राप्त हुए) और उपकर का हिस्सा 7,607 करोड़ रुपये (774 करोड़ रुपये आयात पर) रहा।’’ बयान में कहा गया है कि सितंबर महीने के लिए 30 अक्टूबर तक कुल 73.83 लाख जीएसटीआर 3बी रिटर्न (स्व आकलन वाले रिटर्न का संक्षिप्त विवरण) दाखिल किए गए। अक्टूबर महीने में नियमित निपटानों के बाद राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को सीजीएसटी के रूप में 38,224 करोड़ रुपये तथा एसजीएसटी के रूप में 37,645 करोड़ रुपये का कुल राजस्व प्राप्त हुआ। खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट ने आंकड़ों के बारे में कहा कि कम कर संग्रह का मतलब यह नहीं मानना चाहिये कि यह आर्थिक नरमी का सूचक है। आरोप लगाया कि कर संग्रह का कारण ऑफलाइन कंपनियां हैं जिन्होंने हाल में अपने विशेष बिक्री अभियान के तहत ग्राहकों के एक बड़े हिस्से को अपनी ओर खींच लिया। कैट ने कहा, ‘‘ये कंपनियां एफडीआई नियमों का उल्लंघन कर भारी छूट देने में संलिप्त हैं। इनके पास जीएसटी की चोरी कर सरकारी खजाने को चूना लगाने की दक्षता है।’’ इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अक्टूबर महीने में सालाना आधार पर जीएसटी संग्रह में गिरावट परेशान करने वाला है। हालांकि यह कहा जा सकता है कि इसके लिये जीएसटी दरों में हालिया कटौती तथा मांग में धीमा सुधार जिम्मेदार है।
शुक्रवार, 1 नवंबर 2019
जीएसटी संग्रह अक्टूबर में गिरकर 95,380 करोड़ रुपये
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